ग्वालियर03अक्टूबर2025। जब बात समाज में परिवर्तन की आती है, तो शिक्षा सबसे पहला और सबसे प्रभावशाली माध्यम होती है। ग्वालियर की शिक्षिका, समाजसेविका और कवियित्री श्रीमती क्रांति देवी आर्य ने पिछले दस वर्षों से गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव की मिसाल पेश की है। उनके प्रयास केवल स्कूल की पढ़ाई तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बच्चों के समग्र विकास, हुनर और रचनात्मकता पर भी केंद्रित हैं।
दस साल से बच्चों की निःशुल्क शिक्षा
क्रांति देवी आर्य पिछले दस सालों से बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रही हैं। वह न केवल पाठ्यक्रम की पढ़ाई कराती हैं, बल्कि बच्चों को पाठन सामग्री, किताबें, स्टेशनरी और अन्य आवश्यक सामान भी उपलब्ध कराती हैं। उनका मानना है कि शिक्षा तभी प्रभावी हो सकती है जब बच्चे सही संसाधनों के साथ सीखें।
उनके प्रयासों को देखते हुए उन्हें 3 जनवरी 2013 को बालभवन में “नारी शिक्षा सम्मान” से सम्मानित किया गया, यह सम्मान विशेष अतिथि मि. ग्रांट जोन (अमेरिका) द्वारा प्रदान किया गया था।
निःशुल्क लाइब्रेरी: ज्ञान का घर
क्रांति देवी ने गरीब बच्चों के लिए निःशुल्क लाइब्रेरी भी स्थापित की है। इस लाइब्रेरी में अलग-अलग कक्षाओं की किताबें और मनपसंद पुस्तकें उपलब्ध हैं। बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ ज्ञान और रचनात्मक सोच विकसित करने का अवसर मिलता है।
चित्रकला और हुनर विकास
पाठ्यक्रम के अलावा बच्चों के हुनर और कला पर भी ध्यान दिया जाता है। झोपड़ियों और गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों को चित्रकला और रचनात्मक गतिविधियां सिखाई जाती हैं। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनके अंदर छिपा कलात्मक क्षमता निखरती है।
समाज जागरूकता और बच्चों के अधिकार
क्रांति देवी आर्य अपने लेखों और कविताओं के माध्यम से बच्चों के अधिकार, शिक्षा और समाज में उनका महत्व उजागर करती हैं। उनके लेख बच्चों के लिए सुरक्षित और सशक्त वातावरण बनाने की दिशा में संदेश देते हैं। उन्होंने कई अखबारों और पत्रिकाओं में बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और उनके अधिकारों पर अपने विचार प्रकाशित किए हैं।
साहित्य और शिक्षा का संगम
एक शिक्षिका होने के नाते क्रांति देवी का मानना है कि कहानी और कविता के माध्यम से बच्चों में सोचने की क्षमता और संवेदनशीलता विकसित होती है। उन्होंने अब तक लगभग 400 कविताएं और कई कहानियां लिखी हैं, जिनमें बच्चों, शिक्षा, पर्यावरण और समाजिक जागरूकता जैसे विषय शामिल हैं।
समर्पित सेवा का असर
क्रांति देवी की सेवाओं का असर केवल पाठशाला तक ही सीमित नहीं है। उनके बच्चों की शिक्षा, हुनर और विकास पर केंद्रित प्रयासों से आज कई बच्चे बेहतर स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पा रहे हैं और आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
उनकी यह सेवा समाज में शिक्षा के महत्व को उजागर करती है और दिखाती है कि कैसे एक शिक्षक बच्चों का जीवन बदल सकता है।

सम्मान और समाज में पहचान
श्रीमती क्रांति देवी आर्य को उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें JCI Gwalior Priyadarshini Yashashwini Award, Teacher’s Award, नारी रत्न सम्मान, झलकारी बाई सम्मान, महाकुंभ रत्न सम्मान, International Icon Award शामिल हैं। ये सभी पुरस्कार उनके बच्चों के प्रति समर्पण और समाज सेवा के लिए हैं।
समापन: शिक्षा से समाज का निर्माण
क्रांति देवी आर्य कहती हैं – “शिक्षा ही समाज को बदलने का सबसे बड़ा हथियार है। हर बच्चा शिक्षित होगा, तभी समाज और देश प्रगति करेंगे। मैं चाहती हूं कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।”
उनकी कहानी यह संदेश देती है कि जब शिक्षक, समाजसेवी और लेखक का समर्पण मिल जाए, तो बच्चों के जीवन में न केवल शिक्षा, बल्कि आत्मविश्वास, हुनर और सामाजिक जागरूकता भी बढ़ती है। ग्वालियर की यह शिक्षिका बच्चों की पढ़ाई पर फोकस कर समाज में एक मिसाल कायम कर रही हैं।