पार्ट 2
( जितेंद्र पाठक, ग्वालियर )
ग्वालियर। ग्वालियर (शहर) भाजपा अध्यक्ष कमल माखीजानी जी ने ठान लिया है कि चाहे जो हो जाए…चाहे कोरोना की तीसरी लहर के बाद चौथी और पांचवी लहर भी आ जाए…लेकिन वो तो मास्क पहनेंगे ही नही और खास तौर पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में तो बिलकुल ही मास्क का उपयोग नही करेंगे।
कमल माखीजानी पिछले दिनों से कई उन सार्वजनिक कार्यक्रमों में लगातार शामिल हो रहे है जिनमें सीएम से लेकर केंद्रीय मंत्री और प्रदेश सरकार के मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, पार्टी कार्यकर्ता और आम लोग मौजूद रहे, लेकिन माखीजानी की मास्क को लेकर गंभीरता तो छोडे बल्कि उन्होने मास्क लगाने की अपीलों का मजाक ही बनाया है।
25 जनवरी को कंट्रोल कमांड सेंटर में ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट के साथ तमाम अधिकारियों की शहर के विकास को लेकर बैठक थी जिसमें आईजी. एसपी, कलेक्टर, कमिश्नर, समार्ट सिटी सीईओ के साथ तमाम अधिकारी मौजूद थे बैठक में इकलौते कमल माखीजानी ही ऐसे शख्स थे जो बिना मास्क के बैठे हुए थे।
25 जनवरी को ही प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने स्वतंत्रता संग्राम व लोकतंत्र सैनानियों, कलाकारों एंव उत्कृष्ट खिलाडियों को उनके घर जा जाकर सम्मानित किया, इस दौरान भी कमल माखीजानी पूरे समय प्रभारी मंत्री सिलावट व अन्य लोगों के साथ बिना मास्क ही नजर आए।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर अजाक्स द्वारा आयोजित अभिनंदन एवं सम्मान समारोह में भी प्रभारी मंत्री सिलावट के साथ कमल माखीजानी मौजूद थे लेकिन मजाल है कि इस कार्यक्रम में भी उन्होने मास्क लगाया हो, यहां उनका साथ देने के लिए उनके ही जैसे एक और साथी पूर्व विधायक मदन कुशवाह भी बिना मास्क के ही मौजूद नजर आए।
26 जनवरी को ही हेमसिंह की परेड स्थित एक निजी हॉस्पीटल का उद्घाटन प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने किया, यहां भी कमल माखीजानी बिना मास्क के ही मंत्री जी से फीता कटवाते नजर आए।
ग्वालियर के एसएएफ मैदान पर आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में भी कमल माखीजानी बिना मास्क के ही दिखे है।
ग्वालियर भाजपा (शहर) अध्यक्ष बिना मास्क के जिस तरह से घूमते फिरते, सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होते, सीएम, मंत्री, विधायकों, अधिकारियों के साथ फोटो सैशन कराते नजर आते है उससे ऐसा लगता है कि या तो उन्होने कोरोना को मात दे दी है। या फिर मास्क पहनने की अपीलें और बिना मास्क के होने वाले खतरे को वो खिलवाड समझते है। लेकिन उन्हे इतना जरूर समझना चाहिए कि वीआईपी लोगों के साथ खिंचवाई गई तस्वीरों में चेहरे दिखाने से ज्यादा जरूरत जिम्मेदारी समझने और निभाने की आवश्यकता है।