फर्जी सिम व दस्तावेज़ से लाखों की धोखाधड़ी करने की योजना थी
ग्वालियर 13 सितंबर 2025।ग्वालियर की क्राइम ब्रांच की साइबर टीम ने एक बड़े साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश करते हुए म्यूचुअल फंड की राशि हड़पने की योजना बनाने वाले गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने लगभग 50 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर कर ठगी करने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने समय रहते खाते पर रोक लगाकर उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। पकड़े गए आरोपियों में दो ऐसे कर्मचारी शामिल हैं जो आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड कंपनी में रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं।
मामला कैसे सामने आया?
शिकायतकर्ता डॉ. दिनेश कुमार मजूमदार ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह को शिकायत दी थी कि उनके म्यूचुअल फंड खाते की मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बदल दी गई है। साथ ही 50 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर कर धोखाधड़ी का प्रयास किया गया। शिकायत मिलते ही एसएसपी ने साइबर क्राइम टीम को जांच का निर्देश दिया।
जांच के दौरान पाया गया कि डॉ. मजूमदार का म्यूचुअल फंड खाते का संचालन कैम्स कंपनी के जरिए हो रहा था। तकनीकी जांच में यह सामने आया कि फर्जी नंबर और दस्तावेज़ के आधार पर खाते में बदलाव कर धोखाधड़ी की कोशिश की गई। पुलिस ने तुरंत खाते पर डेबिट फ्रीज कर रकम ट्रांसफर होने से रोक दी।
आरोपियों की गिरफ्तारी
पहले आरोपी नीकेश रावत (27 वर्ष, विनय नगर, ग्वालियर) को फर्जी सिम का उपयोग कर खाते में बदलाव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि इस पूरी योजना का मास्टरमाइंड आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड सिटी सेंटर ऑफिस के दो कर्मचारी हैं। इनमें से मयंक राजपूत (30 वर्ष, थाटीपुर, ग्वालियर) पहले से डॉ. मजूमदार का खाता देखता था, जबकि सचिन त्रिपाठी (25 वर्ष, गोविंदपुरी, ग्वालियर) उसके साथ मिलकर फर्जी आवेदन बनाकर खाते की जानकारी बदलने की योजना में शामिल था।
तकनीकी साक्ष्य व अन्य खुलासे
मयंक ने निवेश से जुड़े कागज़ों के बीच डिटेल अपडेट फॉर्म छिपाकर डॉ. मजूमदार से हस्ताक्षर करवा लिए थे, जबकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। बाद में दोनों आरोपियों ने फर्जी आवेदन बनाकर मोबाइल नंबर और ईमेल बदलने के साथ ही फर्जी सिम का उपयोग कर करोड़ों रुपये के म्यूचुअल फंड हड़पने की योजना बनाई थी। रकम अन्य खातों में ट्रांसफर करने का प्रयास किया गया, लेकिन साइबर टीम ने समय रहते खाते पर रोक लगाकर आरोपीगण को गिरफ्तार कर लिया।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने किसी अन्य व्यक्ति से फर्जी सिम खरीदकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त मोबाइल फोन बरामद कर लिए हैं। साथ ही आरोपियों के अन्य म्यूचुअल फंड खातों में भी धोखाधड़ी की कोशिश के साक्ष्य मिले हैं। पुलिस आरोपियों का रिमांड लेकर विस्तृत पूछताछ कर रही है।
पुलिस की अपील
साइबर टीम ने आम नागरिकों से अपील की है कि कोई भी बैंक कर्मचारी या अन्य व्यक्ति दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराने से पहले उसे ध्यान से पढ़ें और समझने के बाद ही हस्ताक्षर करें। सतर्कता ही साइबर अपराध से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।
सराहनीय भूमिका
इस कार्रवाई में थाना क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अमित शर्मा, साइबर क्राइम प्रभारी निरीक्षक धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह, निरीक्षक रामबिहारी शर्मा, उनि. धर्मेन्द्र शर्मा, उनि. हरेन्द्र सिंह राजपूत, उनि. रवि लोधी, उनि. मधु बंसल, प्रआर अजय शर्मा, भरत मिश्रा, आर. शिवशंकर शर्मा, सुमित सिंह भदौरिया, गौरव भदौरिया, अनुराग यादव, भानु कुशवाहा, अजय राठौर, रमाशंकर मिश्रा, म.प्र.आर. भानुप्रिया, मआर. सुनीता कुशवाहा, मेघा श्रीवास्तव, साधना मिश्रा, ज्योति घाकड़ और वर्षा यादव की सराहनीय भूमिका रही।
ग्वालियर की क्राइम ब्रांच की साइबर टीम ने एक बड़ी साइबर धोखाधड़ी का पर्दाफाश करते हुए म्यूचुअल फंड में सेंध लगाने वाले गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरोह करीब 50 लाख रुपये की म्यूचुअल फंड राशि हड़पने की फिराक में था, लेकिन पुलिस ने समय रहते रकम ट्रांसफर होने से पहले ही होल्ड लगाकर आरोपीगण को रंगे हाथों पकड़ लिया। पकड़े गए आरोपियों में दो ऐसे लोग शामिल हैं जो आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड कंपनी में रिलेशनशिप मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं।
❗ मामला कैसे सामने आया?
शिकायतकर्ता डॉ. दिनेश कुमार मजूमदार ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ग्वालियर धर्मवीर सिंह को शिकायत दी थी कि उनके म्यूचुअल फंड खाते की मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बदल दी गई है। साथ ही 50 लाख रुपये के फंड ट्रांसफर कर धोखाधड़ी का प्रयास किया गया। शिकायत मिलते ही पुलिस ने साइबर क्राइम टीम को जांच का जिम्मा सौंपा।
✅ जांच में हुआ बड़ा खुलासा
साइबर क्राइम टीम ने जांच के दौरान पाया कि डॉ. मजूमदार का म्यूचुअल फंड खाते का संचालन कैम्स कंपनी के जरिए हो रहा था। तकनीकी विश्लेषण में पता चला कि फर्जी नंबर के आधार पर खाते में बदलाव कर धोखाधड़ी की कोशिश की गई। इसके बाद पुलिस ने तुरंत खाते पर डेबिट फ्रीज कर रकम ट्रांसफर होने से रोक दी।
🚨 आरोपियों की गिरफ्तारी
पहले आरोपी नीकेश रावत (27 वर्ष, विनय नगर, ग्वालियर) को फर्जी सिम का उपयोग कर खाते में बदलाव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
जांच में सामने आया कि इस योजना का मास्टरमाइंड आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड सिटी सेंटर ऑफिस के दो कर्मचारी हैं —
- मयंक राजपूत (30 वर्ष, थाटीपुर, ग्वालियर), जो पहले से डॉ. मजूमदार का खाता संभालता था।
- सचिन त्रिपाठी (25 वर्ष, गोविंदपुरी, ग्वालियर), जो उसके साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर मोबाइल नंबर और ईमेल बदलने की साजिश कर रहा था।
मयंक ने पहले निवेश के कागज़ों के बीच डिटेल अपडेट फॉर्म छिपाकर डॉ. मजूमदार से हस्ताक्षर करवा लिए थे, जबकि डॉ. मजूमदार को इसकी भनक तक नहीं लगी। बाद में दोनों आरोपियों ने फर्जी आवेदन बनाकर खाते में बदलाव कर करोड़ों रुपये के म्यूचुअल फंड हड़पने की योजना बनाई थी।
📱 तकनीकी साक्ष्य व अन्य खुलासे
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने किसी अन्य व्यक्ति से फर्जी सिम खरीदकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। आरोपियों से घटना में प्रयुक्त मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। साथ ही पुलिस को अन्य म्यूचुअल फंड धारकों के साथ धोखाधड़ी के प्रयास के भी साक्ष्य मिले हैं। पुलिस आरोपियों का रिमांड लेकर विस्तृत पूछताछ कर रही है।
📢 पुलिस की अपील
साइबर क्राइम टीम ने आम नागरिकों से अपील की है कि कोई भी बैंक कर्मचारी या अन्य व्यक्ति किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराने से पहले उसे ध्यान से पढ़ें और समझने के बाद ही हस्ताक्षर करें। सतर्कता ही साइबर अपराध से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।
🌟 सराहनीय भूमिका
इस बड़ी सफलता में थाना क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अमित शर्मा, साइबर क्राइम प्रभारी निरीक्षक धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह, निरीक्षक रामबिहारी शर्मा, उनि0 धर्मेन्द्र शर्मा, हरेन्द्र सिंह राजपूत, रवि लोधी, मधु बंसल, प्रआर अजय शर्मा, भरत मिश्रा, शिवशंकर शर्मा, सुमित सिंह भदौरिया, गौरव भदौरिया, अनुराग यादव, भानु कुशवाहा, अजय राठौर, रमाशंकर मिश्रा सहित कई अधिकारियों की भूमिका सराहनीय रही।