ग्वालियर22अगस्त2022। राजस्थान के जालोर में दलित छात्र की मौत सहित देश के कुछ स्थानों पर कभी पानी छूने व पानी भरने के नाम पर तथा कभी विवाह समारोह में घोडी चढने के नाम पर हो रहे जातिगत भेदभाव की घटनाओं से दुखी शहर के समान विचारधारा रखने वाले नौजवानों ने सवयं पहल करते हुये आज फूलबाग स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष एकत्रित होकर जातिवाद के खिलाफ सामूहिक लडाई जरूरी बताते हुये एक जुटता का संदेश देने की कोशिश की।
महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष 2 घण्टे तक चली चर्चा में वहाॅ पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष रविन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद हम अमृत महोत्सव मना रहे है लेकिन समाज में आज भी छूआछूत जैसी घोर निंदनीय एवं शर्मनाक घटनायें हो रही है उन्होंने कहा कि जातिवाद राष्ट्र के विकास में मुख्य बाधा है जो सामाजिक असमानता और अन्याय के प्रमुख स्त्रोत के रूप में काम करता है। उन्होने कहा कि एक तरफ जहाॅ हम पूरे विश्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर टेक्नोलाॅजी के क्षेत्र में आगे बढ रहे है ऐसे समय में जाति, समुदाय, लिंग के आधार पर भेदभाव के बढते मामले बडी चिंता का विषय है उन्होंने कहा कि यदि हम भारत को महाशक्ति के रूप में देखना चाहते है तो भविष्य का भारत जातिविहीन, वर्ग विहीन होना चाहिये इसके लिये युवाओं को आगे आना होगा।
उन्होने कहा कि महात्मा गांधी छुआछूत के सख्त खिलाफ थे वो चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगों को बराबरी का दर्जा हासिल हो क्योंकि सभी को एक ही ईश्वर ने बनाया है। उन्होने कहा कि अकेला चना कभी भाड नहीं फोड सकता इसलिये इस विषय पर सामूहिक चर्चा करना और इस समस्या के समाधान हेतु आगे आना और मिलजुलकर प्रयास करना ही कुप्रथा का तोड साबित हो सकता है। भदौरिया ने कहा कि आर्थिक और राजनैतिक दोषों के लिये सरकार और नेताओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है लेकिन अगर समाज में दलितों के प्रति आज भी घृणा का भाव रहेगा तो देश कैसे आगे बढेगा नया भारत कैसे बनेगा इसलिये आज समय है सभी को अपने अपने गिरेवान में झांकने का।
कोली समाज के प्रदेश सचिव सुभाष माहौर ने कहा कि स्वार्थी राजनीतिज्ञों के कारण जातिवाद ने पहले से ही अधिक भयंकर रूप धारण कर लिया है जिससे सामाजिक कटुता बढी है। युवा समाजसेवी मनोज गोले ने कहा कि आज देश में मानवता की कमी महसूस की जा रही है मानव होने के बावजूद लोग मानवता के भाव से परे है लोग जितना ज्यादा तरक्की कर रहे है उनके मन में मानवता की भावना उतनी ही कम होती जा रही है।
राजेश गुप्ता ने कहा कि हमें संवेदनशील बनकर लोगों की संवेदनाओं को मरने से रोकना होगा अपनी सोच बदलनी होगी जिसकी शुरूआत हमें सबसे पहले स्वयं से करनी होगी।
उपस्थित सभी लोगों ने संकल्प लेते हुये कहा कि जातिवाद की जडे कितनी भी गहरी हो हम उनके खिलाफ है और उनको मिटाने के लिये कृत संकल्पित है। इस अवसर पर जीवाजी राव मण्डोले, शुभम मदुरिया, सुनील मेहता, आजम खान, सोनू भदौरिया, प्रभात गुप्ता, सिद्धार्थ शर्मा, सिकन्दर करोसिया, गोविंद अग्रवाल, संतोष बाथम, रामनरेश शर्मा, राजेश पाण्डे, गिर्राज चंदोरिया सहित अनेक लोग उपस्थित थे।