भाजपा – निगम-मंडल में नियुक्तियों के उम्मीदवारों के सपने टांय टांय फिस्स !

(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)

ग्वालियर13जनवरी2023।निगम मंडलों में नियुक्तियों की बाट जोह रहे भाजपा नेता-कार्यकर्ताओं का अब सब्र टूट चुका है पिछले दो साल से लगातार संगठन और आलाकमान के तरफ से मिल रही इलाचियों से अब उनका भरोसा भी उठ चुका है वैसे भी अब अगर आज की तारीख में नियुक्तियां हो भी जाती है तो बमुश्किल पांच से छह माह ही उन्हे काम करने के लिए मिलेगा, जो किसी दीन का नही है वैसे भी इतना समय तो विभाग को समझने में ही निकल जाता है।

ग्वालियर की बात करें तो यहां मेला प्राधिकरण और ग्वालियर विकास प्राधिकरण, साडा जैसे महत्वपूर्ण विभाग लंबे समय से खाली पडे हुए है राजनीतिक नियुक्तियां न होने से बजट, नई योजनाएँ सहित कई विकासपरक काम या तो अधूरे पडे है या शुरू नही हो पा रहे है। ग्वालियर में सिंधिया कोटे से केवल मुन्नालाल गोयल और इमरती देवी ही नियुक्तियां पा सके है बाकी अन्य मूल भाजपाईयों के खाते खाली ही पडे है।

दरअसल पहले नेता अपने गुट के खास कार्यकर्ताओं और नेताओं को भरोसा दिलाते रहे कि निगम मंडल में उनकी जगह पक्की है लेकिन नियुक्तियां नही हो पाई और समय निकलता गया, वैसे भी अब ये चुनावी साल है। ऐसे में जिनको जगह नही मिल पाई या जो नेता अपने नजदीकियों को कुर्सी नही दिलवा पाएँगें, उनके लिए चुनाव में बडी मुसीबत खडी हो सकती है वहीं संतुष्ट और असंतुष्टों का खेला भी अलग शुरू हो जाएगा।

इसलिय चर्चा है कि सत्ता और संगठन से जुडे लोग भी नही चाहते कि अब नियुक्तियां हो, क्योंकि पिछले तीन माह में हुई बैठकों के दौरान ये मुद्दा उठा था और नाम भी फायनल किए गए थे लेकिन घोषणा नही हुई। इसलिए अब इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि अब नियुक्तियां हो पाएँ। लेकिन नियुक्तियां न होना भी चुनावों में पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

नियुक्तियों के उम्मीदवारों में भी आपस में चर्चा चल रही है कि पार्टी को अगर कुर्सियां खाली रखना ही मंजूर है तो चुनावी कार्यक्रमों में उनकी तरफ से कुर्सियां भरवाने में कोई मेहनत की उम्मीद नही की जानी चाहिए। बहरहाल इसके साइड इफेक्ट तो चुनाव में पता चल ही जाएँगे।    

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