ग्वालिय01 सितंबर2025। खाटू श्याम मंदिर में राधा की हवेली पर चल रहे 14वें वार्षिक उत्सव के चौथे दिन शिव पुराण कथा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पंडित सतीश कौशिक जी ने कथा के माध्यम से बताया कि राक्षस तारकासुर के वध के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह कैसे हुआ।
पंडित कौशिक ने कथा शुरू करते हुए बताया कि भगवान शिव अपनी पहली पत्नी, माता सती, के अग्नि में भस्म होने के बाद गहन तपस्या में लीन हो गए थे। इसी बीच, राक्षस तारकासुर ने अपनी शक्तियों को बढ़ाते हुए ब्रह्मा जी से यह वरदान माँगा कि केवल भगवान शिव का पुत्र ही उसे मार सके। अमरता के इस वरदान से भयभीत होकर समस्त देवी-देवताओं ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव को उनके पास भेजा।
शिव जी ने कामदेव को देखते ही क्रोध में अपना तीसरा नेत्र खोल दिया, जिससे कामदेव भस्म हो गए। देवताओं ने शिव से निवेदन किया और उन्हें समझाया कि कामदेव को उन्होंने ही भेजा था, और यह भी बताया कि माता सती ही पार्वती के रूप में अवतरित हुई हैं। उन्होंने शिव को यह भी समझाया कि तारकासुर का अंत केवल उनके पुत्र द्वारा ही संभव है।
इसके बाद, भोलेनाथ ने माता पार्वती के साथ विवाह किया। इस विवाह में भूतों और प्रेतों की बारात शामिल थी, जो जैसे ही मंदिर प्रांगण में पहुँची, पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। कथा के अनुसार, इस विवाह के बाद उन्हें कार्तिकेय और गणेश के रूप में दो पुत्रों की प्राप्ति हुई। इसके अलावा, भस्म हुए कामदेव ने प्रद्युम्न के रूप में तीसरे पुत्र के रूप में जन्म लिया।
आयोजन के मीडिया प्रभारी शिरीष गुप्ता ने बताया कि शिव पुराण कथा का पाँचवाँ और अंतिम दिन 2 सितंबर को होगा। इसके बाद, रात 8 बजे से निःशुल्क ज्योतिष शिविर चल रहा है, जहाँ पंडित पंकज कृष्ण शास्त्री जन्मपत्री देखकर श्याम प्रेमियों को खुश रहने के उपाय बता रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिनकी जन्मपत्री में बाधाएँ आ रही हैं, उन्हें भोलेनाथ और हनुमान जी की नियमित पूजा करनी चाहिए और खाटू श्याम बाबा के मंदिर जाकर अपने कष्टों को बताना चाहिए।
कथा सुनने वालों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, श्याम सरकार उत्सव समिति ने मंदिर प्रांगण के बाहर एक बड़ी LED टीवी और बैठने की अतिरिक्त व्यवस्था की है। उत्सव के अंत में, 3 सितंबर को दोपहर 1 बजे नानी बाई का मायरा कथा का मंचन किया जाएगा।