
ग्वालियर28जनवरी2023। यूं तो आम तौर पर मेलों में जाने वाले सैलानी वहां लगे रेस्टरेंट और फूड स्टॉलों पर खाते ही है लेकिन कहीं न कहीं उनके मन में साफ सफाई और खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली हाइजीन को लेकर शंका रहती है लेकिन ग्वालियर व्यापार मेले में पिछले 30 सालों से चल रहा मद्रास कैफे साफ सफाई और हाईजीन को लेकर कोई समझौता नही करता है और ऐसा यहां नजर भी आता है।

ग्वालियर व्यापार मेले में झूला सेक्टर के पास बने मद्रास कैफ में सैलानियों की भीड यहां केवल खाने के स्वाद को लेकर ही नही बल्कि यहां रहने वाली साफ सफाई और हाईजीन की वजह से आती है। आमतौर पर मेलों के रेस्टोरेंट में बाहर तो साफ सफाई और झांकी सुंदर नजर आती है लेकिन अंदर गंदगी पसरी रहती है और खाना बनाने वाले जगहों पर तो हालत और भी खराब रहती है। लेकिन मद्रास कैफे में अँदर और बाहर एक जैसी सफाई नजर आती है।

1990 से ग्वालियर मेले में मद्रास कैफे का संचालक कर रहे अनिल पुनियानी बताते है कि 1990 में पहली बार महाराज माधवराव सिंधिया के फोटो के साथ ये रेस्टोरेंट शुरू किया था तब से आज तक हार साल बिना स्व. माधवराव सिंधिया के फोटो के रेस्टोरेंट शुरू नही होता, उनके साथ ही अब उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पूरे परिवार का फोटो सम्मानपूर्व रेस्टोरेंट के अँदर और बाहर लगाते है लिहाजा साफ सफाई और शुद्धता तो रखनी ही है।

अनिल पुनियानी के मुताबिक हमारे रेस्टोरेंट में चाहे एक ग्राहक हो या 100 ग्राहक हो, हम साफ सफाई बराबर रखते है कोई भी ग्राहक रेस्टोरेंट की किचिन से लेकर राशन, सब्जियां रखने वाली जगह चाहे तो विजिट कर सकता है क्योंकि हम स्वाद के साथ शुद्धता का पूरा ध्यान रखते है जैसी सफाई हमारे घर की किचिन में होती है वैसी ही हम यहां मेले में मद्रास कैफे में रखते है।
