
(लेखक शिक्षाविद् डॉ. एसपी सिंह है, जो ग्वालियर में 105 वर्षों से संचालित प्रतिष्ठित मिसहिल स्कूल के वर्तमान में प्राचार्य हैं)
हर साल जब गर्मियों की छुट्टियाँ पास आती हैं, तो बच्चों के चेहरों पर एक अलग ही चमक दिखाई देती है। स्कूल बैग को कुछ हफ्तों के लिए कोने में रख देना, सुबह देर तक सोना, दोपहर में आम खाना और रात को परिवार के साथ टीवी देखना — यह सब बचपन की वही मीठी यादें बनती हैं।
लेकिन एक प्राचार्य और शिक्षक के रूप में मेरा मानना है कि छुट्टियाँ सिर्फ आराम का समय नहीं, एक सुनहरा अवसर भी हैं — खुद को जानने, सीखने और मजबूत बनाने का।
घर में रहते हुए भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है
ग्वालियर के बच्चे आज तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन साथ ही उन्हें भावनात्मक, सामाजिक और रचनात्मक विकास की भी उतनी ही ज़रूरत है। छुट्टियों के दौरान बच्चे समय का सही उपयोग कर सकते हैं और इसके लिए कोई भारी-भरकम कोर्स या ट्यूशन की जरूरत नहीं।
पढ़ाई से ब्रेक लें, पर “सीखना” बंद न करें
- एक रोचक कहानी की किताब पढ़ें।
- दिन में 15 मिनट किसी भी विषय पर कुछ नया जानें — जैसे, हमारा सौरमंडल, भारतीय त्योहार, या ग्वालियर का इतिहास।
- हर दिन एक नया शब्द या अंग्रेज़ी वाक्य सीखें — धीरे-धीरे भाषा में आत्मविश्वास आएगा।
रचनात्मक गतिविधियाँ: व्यक्तित्व का विकास
- ड्राइंग, पेंटिंग, संगीत या डांस — ये सब बच्चे की सोच को खुला करते हैं।
- पुराने अखबारों से क्राफ्ट बनाना, रसोई में माँ की मदद करना — यह उन्हें ज़िंदगी के छोटे कौशल सिखाते हैं।
मानसिक शांति और स्वास्थ्य का ध्यान रखें
- हर सुबह थोड़ी देर योग या ध्यान करें — इससे मन और शरीर दोनों में संतुलन आता है।
- मोबाइल और टीवी का समय सीमित रखें, ताकि नींद और आँखों को नुकसान न हो।
परिवार के साथ रिश्ता मज़बूत बनाएं
छुट्टियाँ एक सुनहरा मौका हैं बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए —
- साथ में खाना खाना, खेल खेलना, या बस बिना फोन के बात करना — ये सब रिश्तों में मिठास घोलते हैं।
- दादी-नानी से कहानियाँ सुनना बच्चों के अंदर जड़ें मजबूत करता है।
अपने स्कूल में भी हम बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देते, हम उन्हें ज़िंदगी को समझना सिखाते हैं।
इसलिए इन छुट्टियों में मैं सभी बच्चों से यही कहना चाहता हूं कि
“आराम करो, खेलो, घूमें — लेकिन खुद को थोड़ा रोज़ गढ़ो।
किताबें बंद हैं, लेकिन ज़िंदगी खुली है — उससे कुछ सीखो।”
जब आप छुट्टियों के बाद स्कूल लौटेंगे, हम चाहेंगे कि आप सिर्फ धूप में नहीं निखरे हों, बल्कि भीतर से भी कुछ नया लेकर लौटे हों।