सिँधिया ने नैरोगेज ट्रेन बचाने रेल मंत्री को लिखा पत्र, रेलवे ने बेच भी दिए 18 कोच


ग्वालियर। सिंधिया राज परिवार के मुखिया और केन्द्रीय नागरिक उडडयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा ग्वालियर की प्रसिद्ध नैरोगेज ट्रेन के कोच एवं इंजन की नीलामी रोकने का आग्रह करने में बहुत देर हो चुकी है, हालांकि उनके पत्र के बाद रेलवे में हडकंप मच गया है। वहीं ग्वालियर की नैरोगेज रेलवे के १८ यात्री कोच इसी माह काटकर बेचे भी जा चुके हैं। यह कोच झांसी के एक रेलवे के कबाड खरीदने वाले वेंडर ने लिये थे। नैरोगेज यार्ड में खडे अन्य ३६ कोच भी बेचे जाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन अब सिंधिया के अचानक सक्रिय हो जाने से इन अन्य कोचों की बिक्री रूक सकेगी।


सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर लाइट रेलवे (जीएलआर) ब्रिटिश काल में ग्वालियर राज्य में तत्कालीन रियासत प्रमुख महाराज माधोराव सिंधिया ने १८९५ में ग्वालियर भिंड के बीच १८९९ में ग्वालियर शिवपुरी के बीच १९०९ में ग्वालियर श्योपुर के बीच शुरू हुई थी। शुरूआत में यह भाप इंजनों से चलाई गई थी बाद में इसे डीजल इंजनों के साथ चलाया जाता था।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नैरोगेज ग्वालियर लाइट रेलवे उत्तर रेलवे अब उत्तर मध्य रेलवे की संपत्ति हो गई थी। बीते दो वर्ष से नैरोगेज को ब्राडगेज में बदलने के कारण ट्रेन का संचालन बंद है। भिंड और शिवपुरी के लिये ब्राडगेज पूर्व में ही बदले जाने से पहले से नैरोगेज का संचालन बंद पडा है। इसी कारण नैरोगेज सेक्शन के कोच व इंजन वर्षों से नैरोगेज लोको यार्ड में पडे धूल खा रहे हैं।


इसी कारण झांसी मंडल ने नैरोगेज सेक्शन के १८ यात्री कोचों की नीलामी कर दी है, जिन्हें झांसी के एक वेंडर ने खरीदा है। अब यह वेंडर पिछले एक माह से इन १८ कोचों को स्क्रेप में बदल कर ले जा चुका है। एक-दो कोच बचे हैं तो उनको भी स्क्रेप में बदला जा रहा है।
इधर अब इन १८ कोचों को स्क्रेप में बदलने के बाद रेलवे अधिकारी नैरोगेज यार्ड में खडे अन्य कोचों को भी कबाड (स्क्रेप)में बेचने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन इसकी भनक सिंधिया को लगने के बाद उनके द्वारा रेल मंत्री को पत्र लिख दिये जाने के बाद रेलवे नैरोगेज लोको में सन्नाटा पसरा है, वहां तैनात अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
हेरीटेज की मांग वर्षो से , रेलवे अधिकारी सोते रहे
ग्वालियर की रेलवे नैरोगेज ट्रेन को हेरीटेज ट्रेन में बदले जाने की मांग वर्षो से स्थानीय जन प्रतिनिधियों से लेकर रेलवे उपभोक्ता समिति सदस्य करते रहे हैं। इस ट्रेन को शहर में मेट्रो ट्रेन की तरह चलाने की मांग भी उठी, लेकिन रेलवे अधिकारियों ने कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया है। जबकि नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर की मेट्रो ट्रेन के रूप में लाइफ लाइन साबित होगी और सडकों पर बढते सार्वजनिक यात्री वाहनों की भीड भी काफी हद तक नियंत्रित हो सकेगी।
रेल पटरी भी उपलब्ध
ग्वालियर में २ फीट वाली नैरोगेज ट्रेन को मेट्रो ट्रेन में बदलने के लिये ज्यादा कुछ करना भी नहीं पडेगा। ग्वालियर स्टेशन से लेकर घोसीपुरा, मोतीझील, मिलावली व बानमोर तक रेल पटरी भी बिछी हुई है। ग्वालियर स्टेशन से गोले का मंदिर व हजीरा के लिये रेल की पटरियां जहां पहले बिछी थी, अब उसी स्थानों पर हो गये अतिक्रमण हटा कर पुन: रेल पटरियां मेट्रो ट्रेन के लिये बिछाई जा सकती हैं।

केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने नैरोगेज ट्रेन के कोच एवं इंजिन की नीलामी रोकने के लिए रेलमंत्री से किया अनुरोध

श्री सिंधिया ने आईआरसीटीसी या किसी अन्य संस्था के माध्यम से ग्वालियर में नैरोगेज ट्रेन रूट पर पर्यटक ट्रेन चलाने की मांग की

श्री सिंधिया ने रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी को लिखे अपने पत्र में अवगत कराया है कि ग्वालियर से प्रकाशित पत्रिका अखबार में प्रकाशित खबर जिसमे उल्लखित किया गया है कि ग्वालियर-श्योपुर नैरोगेज ट्रैन के कोचों की नीलामी की जा रही है,

केंद्रीय मंत्री सिंधिया का पत्र
केंद्रीय मंत्री सिंधिया का पत्र

श्री सिंधिया ने रेल मंत्री जी से अनुरोध किया है कि जब तक  ग्वालियर नगर में प्रस्तावित हेरिटेज ट्रैन या मेट्रों ट्रेन के विषय मे जब तक अंतिम निर्णय नही हो जाता है तब तक कृपया उक्त कोचों की नीलामी न की जाए, यदि उक्त संदर्भ में सकारात्मक निर्णय होता है तो उक्त कोचों एवं रेल इंजिन की ज़रूरत पड़ेगी, इसलिए इस नीलामी प्रक्रिया को अविलंब रोका जाना आवश्यक है।

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