साढे पांच करोड की जमीन की रजिस्ट्री 29 लाख नगद में

40 लाख रूपए की स्टांप ड्यूटी चुकाकर

साढे पांच करोड की जमीन की रजिस्ट्री 29 लाख नगद में

ईओडब्ल्यू  और लोकायुक्त की जांच जारी शुरू की जांच

ग्वालियर। ग्राम सिरौल की भूमि सर्वे क्रमांक 358 की लगभग 10 बीघा जमीन के मालिकाना हक को लेकर प्रशासन की जांच चलती रही, उधर दूसरी तरफ जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई। इतना ही नही कलेक्टर गाईड लाईन के हिसाब से करीब साढे पांच करोड रूपए कीमत की भूमि की रजिस्ट्री एमके एंटरप्राइजेज नाम की फर्म के कर्ताधर्ताओं ने महज 29 लाख रूपए में  करा ली। ये 29 लाख रूपए भी रजिस्ट्री में नगदी के रूप में अग्रिम भुगतान किया जाना बताया है। सबसे मजेदार बात ये है कि कि जमीन की कीमत महज 29 लाख रूपए चुकाकर 40 लाख रूपए स्टांप ड्यूटी के चुकाए गए। अब इस मामले की शिकायत प्रदेश के प्रमुख सचिव राजस्व से लेकर कमिश्नर, कलेक्टर, लोकायुक्त, आयकर विभाग और ईओडब्ल्यू में की गई है ईओड्ब्ल्यू ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

स्वामित्व की जांच चलती रही और हो गई रजिस्ट्री

दरअसल सिरौल क्षेत्र में सर्वे क्रमांक 358 की करीब 10 बीघा विवादास्पद जमीन के स्वामित्व को लेकर तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने जांच शुरू की थी वर्ष 2011 में कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने सिरौल क्षेत्र में जमीनों की खरीद बिक्री की गडबडियों की शिकायतों पर कारवाई करते हुए जांच के निर्देश दिए थे जिसके बाद इस जमीन को भी विवादित मानते हुए फरवरी 2011 में जांच शुरू करवाई, और पेंसिली अभिलेख में दर्ज करवाया। जांच जारी रहने के दौरान ही दिसंबर 2013 में इस जमीन को विजिट रजिस्ट्री के माध्यम से एमके एंटरप्राइजेज के कर्ताधर्ताओं ने उत्तम सिंह नाम के व्यक्ति से खरीद लिया। इस रजिस्ट्री के लिए एमके एंटरप्राइजेज ने 29 लाख रूपए नगद, विक्रेता उत्तम सिंह को रजिस्ट्री में देना बताए है, जबकि 40 लाख रूपए की स्टांप ड्यूटी चुकाई है। खास बात ये है कि कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक ही जमीन की कीमत करीब साढे पांच करोड रूपए बताई गई है। कमाल की बात ये है कि रजिस्ट्री करने के बाद भी उत्तम सिंह अपनी जमीन का मोह छोड नही पाया और 5 जनवरी 2014 को उत्तम सिंह ने कलेक्टर को पेसिंली आदेश हटाने के लिए आवेदन दिया, जिसमें उसने खुद को नाथूसिंह का पुत्र बताया, जबकि 21 मार्च 2014 को इसी जमीन के सीमांकन के लिए अधीक्षक भूभिलेख को जो आवेदन दिया, उसमें खुद को स्व. लज्जाराम का पुत्र बताया। आवेदन में ये भी लिखा कि वह उक्त जमीन पर खेती करता है। इस तरह एमके एंटरप्राइजेज और उत्तम सिंह के बीच इस जमीन की खरीद फरोख्त भी संदिग्घ नजर आती है। जबकि  इस आवेदन में सही तथ्यों को छिपाकर मार्च 2016 में विवादित जमीन को पेंसिली अभिलेख से हटा दिया गया। और जमीन का नामांतरण भी हो गया। बाद में ये मामला कलेक्टर के संज्ञान में आने पर अक्टूबर 2016 में फिर जमीन को विवादित मानते हुए विवादित पेंसिली कॉलम में दर्ज कर दिया। प्रशासन अब भी इस जमीन के मामले की जांच कर रहा है।

क्या है स्वामित्व का विवाद

सिरौल में सर्वे क्रमांक 358 की करीब 10 बीघा जमीन राजस्व रिकार्ड में लज्जाराम के नाम पर दर्ज थी लज्जाराम अपने पिता की इकलौती संतान थी और उसने शादी भी नही की। जनवरी 2010 में लज्जाराम की मौत हो गई। लज्जाराम की मौत के बाद ये जमीन गुपचुप तरीके से उत्तम सिंह के नाम दर्ज कर दी गई। उस समय पटवारी के पद पर रामपाल सिंह जादौन पदस्थ थे।  वर्ष 2016 में तथ्यों को छिपाकर तहसीलदार न्यायालय से एमके एंटरप्राइजेज के नाम नामांतरण करा लिया गया। लेकिन बाद में तथ्य सामने आने पर तहसीलदार ने नामांतरण विधि विरूद्ध पाते हुए एमके एंटरप्राइजेज का नामांतरण भी निरस्त कर दिया। और तथ्यों को छिपाने में एमके एंटरप्राइजेज, उत्तमसिंह और पटवारी की भूमिका संदिग्ध मानी। उसके बाद एसडीएम न्यायालय ने उत्तम सिंह के नाम हुए नामांतरण को भी निरस्त कर दिया। वर्तमान में ये भूमि लज्जाराम पुत्र रानाजीत के नाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।

एमके एंटरप्राइजेज  के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ हुई है शिकायत

उत्तम सिंह से रजिस्ट्री एमके एंटरप्राइजेज द्वारा पार्टनर श्रीमती उर्मिला बैस पत्नी श्री एस बी सिंह एवं श्रीमती कुसुम गोयल पत्नी श्री जी सी गोयल द्वारा कराई गई है इनमें से उर्मिला बैस के पति श्री एस बी सिंह रिटायर्ड सब रजिस्ट्रार बताए जाते है। शिकायत करने वाले कमल गौड ने अपनी शिकायत में लिखा है कि इस मामले में विजिट रजिस्ट्री करने वाले अभिषेक चतुर्वेदी उपपंजीयक ग्वालियर, रिटायर्ड सब रजिस्ट्रार एसबी सिंह के अधीनस्थ भी रह चुके है। शिकायतकर्ता कमल गौड ने इनके द्वारा गलत तरीके से रजिस्ट्री कराने, जमीन की रजिस्ट्री के लिए संपूर्ण धनराशि नगद दिए जाने की शिकायत की है। उधर लोकायुक्त ने शिकायत के आधार पर 5 सितंबर 2019 को खुली जांच पंजीबद्ध किए जाने की अनुशंसा पुलिस महानिदेशक विशेष पुलिस स्थआपना लोकायुक्त कार्यालय भोपाल से की है। वही इओडब्ल्यू ने भी शिकायत को परीक्षण के लिए भोपाल भेजा है।

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