ग्वालियर06सितंबर2023। ग्वालियर में राधाकृष्ण की प्रतिमा जन्माष्टमी पर पचास करोड के जेवरातों से सजेगी। सिंधिया राजवंश के यह जेवरात राधा कृष्ण की प्रतिमा पर अनुपम छटा बिखेरेंगे। यह प्रतिमा फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में विराजमान है। नगर निगम ग्वालियर की यह संपत्ति रूपी जेवरात वेशकीमती हैं और इसकी सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाएगा, उसके बाद ही आम दर्शनार्थी जेवरातों से सजी राधा कृष्ण की प्रतिमाओं को अपलक निहार सकेंगे।
जन्माष्टमी के पर्व पर गोपाल मंदिर फूलबाग की भगवान श्री राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को यह जेवरात पहनाए जायेंगे। इन वेशकीमती जेवरातों में भगवान श्री राधाकृष्ण के हीरे जेवरातों में भगवान श्री राधाकृष्ण के हीरे जवाहरातों से जडा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लडी का हार, २४९ शुद्ध मोतियों की माला, हीरे में जड़े कंगन, , हीरे और सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र , ५० किलो के चांदी के बर्तन, सहित भगवान श्री जी , राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी , चूडियां, कडे , भगवान की समई , इत्रदान , पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकडी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुभकरणी , निरंजनी आदि भी शामिल हैं। अभी यह सभी जेवरात निगम द्वारा बैंक के लॉकर में रखे हुये हैं, जिन्हें जन्माष्टमी के दिन प्रात: १०:३० बजे महापौर, आयुक्त, जिला प्रशासन के प्रतिनिधि की उपस्थिति में खोलकर यहां मंदिर लाया जायेगा।रात्रि १२ बजे भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के उपरांत इन जेवरातों को कडी सुरक्षा में निगम कोषालय में रखकर दूसरे दिन बैंक लॉकर में फिर से रखा जाएगा।
ज्ञातव्य है कि ग्वालियर के फूलबाग क्षेत्र में स्थित प्राचीन गोपाल मंदिर सिंधिया राजवंश का पुराना पूजागृह रहा है। सिंधिया रियासत के शासकों ने अपने शासनकाल में हिन्दू मंदिर , मस्जिद और गुरूद्वारे पास-पास स्थापित किये थे। जिसमें आजादी से पूर्व यहां राजपरिवार के लोग व रियासत के निवासी पूजा अर्चना करने आते थे। आजादी के बाद यह मंदिर व जेवरात भारत सरकार की संपत्ति हो गये थे उसके बाद मध्यभारत की सरकार बनने के साथ ही गोपाल मंदिर स्थानीय जिला व नगर पालिका प्रशासन के अधीन हो गया था।
इस कारण समय-समय पर सिंधिया राजवंश द्वारा भगवान श्री राधाकृष्ण को चढाये गये जेवरात , आभूषण भी नगर निगम की संपत्ति हो गये हैं, लेकिन इनके वेशकीमती होने के कारण तत्कालीन नगर निगम अधिकारियों ने इन जेवरातों को निगम के खजाने फिर बैंक लॉकरों में जमा करा दिया था । बाद में वर्ष २००७ में तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर व आयुक्त डॉ. पवन शर्मा को इन जेवरातों की सुध आई तो उन्होंने बैंक के लॉकरों को खुलवाकर जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को जेवरात पहनाये। तभी से इन जेवरातों को देखने के लिए अब जन्माष्टमी के दिन परंपरा बन गई है।
अनुमान के मुताबिक एक लाख से अधिक लोग जन्माष्टमी को भगवान श्री राधाकृष्ण के दर्शन वेशकीमती आभूषणों के साथ करते है। विशेष बात यह है कि सभी आभूषण वेशकीमती हीरे, जवाहरात और पन्ना से जडि़त हें, पन्ना व हीरे का साइज व वजन अनूठा है। मुकुट में जडे पन्ना को देखने वाले लोग इसे अपलक ही निहारते रह जाते हैं। इन जेवरातों की कीमत वेशकीमती है और सिंधिया राजवंश के समय होने के कारण इसमें उस समय के जौहरियों ने इसमें अपनी कारीगरी की अदभुत मिसाल पेश की है। निगम के तत्कालीन लेखाधिकारी दिनेश बाथम ने अपने कार्यकाल में इसका बाजार भाव पचास करोड रूपये माना था, जो अब लगभग 100 करोड के आसपास है।
चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहेगी
फूलबाग गोपाल मंदिर पर जन्माष्टमी के दिन श्री राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को पहनाये जाने वाले वेशकीमती जेवरातों को देखते हुये पुलिस प्रशासन व्यापक व्यवस्था करेगा। मंदिर परिसर में निगम के एक सैकडा कर्मचारियों के साथ ही एक सैकडा पुलिस के जवान भी तैनात किये जाएंगे। इसके अलावा समूचे परिसर को सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित किया जायेगा, ताकि प्रत्येक आने-जाने वाले व्यक्ति पर पुलिस की निगाह में रहे।