त्वरित टिप्पणीः बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और प्रीतम…”ये रिश्ता क्या कहलाता है ?”

भाजपा नेता प्रतीम लोधी और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री

(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)

ग्वालियर11मई2023। मैं इसकी ठठरी बार दूंगा…मसल दूंगा….ढोंगी है….पाखंडी है…..मुझे जान से मरवा सकता है….ये कुछ वो संवाद है जो कुछ समय पहले तक बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री और बीजेपी नेता प्रीतम लोधी के बीच हो रहे थे। सोशल मीडिया की सुर्खियां बन रहे थे टीवी चैनल और अखबारों में इनके बयानों की रोज नई रैसिपी तैयार कर परोसी जा रही थी। लेकिन धर्म और राजनीति का गठजोड़ हमेशा से ही अखंड है। मूर्ख तो जनता बनती है जिसे कथित तौर पर धर्माचार्य और राजनेता जनार्दन भी कहते मानते रहे है।

प्रीतम लोधी ने एक कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से ब्राह्मणों और भागवताचार्यों के लिए अभद्र भाषाशैली का इस्तेमाल किया था इसका वीडियो हर किसी के मोबाइल में था जिसके बाद तमाम ब्राह्मण संगठनों ने उबाल खाया था सरकार को प्रीतम लोधी का भाजपा में रहना संकट लगने लगा था उसे तत्काल बाहर का रास्ता भी दिखाया दिया गया था प्रीतम लोधी ने तो दूसरी पार्टी का झंडा तक उठाने की तैयारी कर ली थी लेकिन इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा उबाल खाया था बागेश्वर धाम वाले आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने।

क्या क्या धीरेंद्र शास्त्री ने प्रीतम लोधी को कहा और क्या क्या जबाब प्रीतम लोधी ने दिए, ये पूरे देश की जनता ने सोशल मीडिया के माध्यम से देखें है। इस मामले में प्रीतम लोधी, धीरेंद्र शास्त्री और बीजेपी सरकार सेलिब्रेटी टाइप के हो गए थे जनता आडियंस बनी तमाशा देख रही थी।

प्रीतम लोधी ने टिप्पणी ब्राह्मणों और भगवताचार्यों पर की थी लेकिन सुलह भाजपा और धीरेंद्र शास्त्री से हो गई। उस वक्त सभी व्यासपीठों की तरफ से धीरेंद्र शास्त्री झंडा बुलंद कर प्रीतम की लानत मलानत कर रहे थे और अब सबकी तरफ से सैटल भी हो गए। भाजपा ने प्रीतम प्यारे का दोबारा वेलकम कर ही लिया है।

खैर चुनावी साल है ये सब होना ही है वैसे भी एमपी में धर्मगुरूओं की राजनैतिक कनेक्शन किसी न किसी से जुडे ही है। लेकिन पूरे एपिसोड पर वाकई दिल जानना चाहता है कि ‘’रिश्ता क्या कहलाता है?’’

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