ग्वालियर।कांग्रेस के टिकट पर भारी बहुमत से जीतने वाले पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल और मंत्री इमरती देवी को उपचुनाव में करारी शिकस्त मिली है। ऐसे में अब उन्हे अपनी नई पार्टी बीजेपी में पुर्नवास का इँतजार है। इसके लिए मुन्नालाल गोयल और इमरती देवी दोनों की ही आस राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया पर टिकी है। अगले विधानसभा चुनाव में अभी लगभग साढे तीन साल का समय है ऐसे में इस समय को गुजारने के लिए दोनों ही किसी महत्वपूर्ण पद पर एडजस्ट होने की इच्छा रखते है। ताकि अपने क्षेत्र में भी उनका प्रभाव कायम रह सके और अपने समर्थकों के बीच भी उनकी छवि चमकती रहे। दोनों ही इस कोशिश में लगातार प्रयासरत है।
बीजेपी में अब एकमात्र सिंधिया ही खेवनहार
मुन्नालाल और इमरती देवी के लिए बीजेपी में राजनीतिक गॉडफादर ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा कोई और पैराकार नही है। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ही अब केवल एकमात्र उम्मीद इऩ दोनों पूर्व विधायकों के लिए है। सिंधिया से भी मिल रहे आश्वासनों के चलते ही मुन्ना और इमरती को बीजेपी सरकार में निगम-मंडल, प्राधिकरण या बोर्ड के अलावा किसी महत्पूर्ण पद का इंतजार है उनके समर्थक भी लगातार क्षेत्र में ये संदेश दे रहे है कि विधायकी न रही तो क्या, नेताजी का जलवा बरकरार रहेगा।
मुन्ना की टीस और इमरती का दर्द
कट्टर सिंधिया समर्थक इमरती देवी अपना दर्द तो पहले ही बयान कर चुकी है कि वो कह चुकी है कि उन्हे पहले ही पता था कि वो बीजेपी के टिकट पर चुनाव नही जीत पाएँगी। ऐसे में समझा जा सकता है कि उन्होने जान बूझकर महाराज की खातिर कुर्बानी दी है लेकिन डेढ साल के अँदर ही विधायकी और मंत्री पद दोनों ही जाने का दर्द भी शायद कम नही है। उधर पहली बार विधायक बने मुन्नालाल भी अपनी विधायकी का आनंद पूरा नही उठा पाए। लंबे संघर्ष के बाद मिली विधायकी एक झटके में चली गई, सो उनकी टीस भी जायज ही है।
बीजेपी के लिए संकट बना पुर्नवास
मुन्नालाल गोयल और इमरती देवी की तरह राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही उनके कई खास समर्थक अब बीजेपी में है ऐसे में अब वो भी सरकार-संगठन में भागीदारी चाहते है तो उधर बीजेपी के मंत्री, विधायक, और संगठन से जुडे कद्दावर नेता अपने समर्थकों का प्रतिनिधित्व चाहते है। वहीं संघ की भी सिफारिशें है ऐसे में कही न कही निगम, मंडलों और प्राधिकरणों के गठन में विलंब हो रहा है।