(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर।04अप्रैल2023। मध्यप्रदेश शासन के राजस्व में अरबों रूपए का योगदान देने वाले परिवहन विभाग में परिवहन निरीक्षक से नीचे का मैदानी अमला बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहा है ये परेशानी काम को लेकर नहीं बल्कि शासन के सौतेले व्यवहार को लेकर है। प्रमोशन के लिए विभाग में आरक्षक, आरक्षक(चालक),प्रधान आरक्षक, एएसआई से लेकर सबइँस्पेक्टर तक सालों से इंतजार कर रहे है। लेकिन न तो आयुक्तों, प्रमुख सचिवों ने इसमें कोई रूचि दिखाई है और न ही मंत्रियों ने। हांलाकि पुलिस विभाग में अब कार्यवाहक के रूप में पदोन्नति दिए जाने और राजस्व विभाग में प्रभारी के रूप में प्रमोशन दिए जाने के बाद परिवहन विभाग के अमला भी इसी तरह की पदोन्नति की उम्मीद कर रहा है।
फील्ड में तैनात अमले की पदोन्नति के लिए आखिरी डीपीसी वर्ष 2010 में हुई थी उसके बाद कोई डीपीसी नहीं हुई, बाद में प्रमोशन में आरक्षण का मामला कोर्ट में पहुंचकर अटक गया। लेकिन शासन ने इसके लिए रास्ता निकालते हुए पुलिस विभाग में कार्यवाहक व्यवस्था लागू कर पदनाम में प्रमोशन तो दे ही दिया। वहीं राजस्व विभाग में भी हाल ही में तहसीलदारों की हडताल के बाद शासन ने उन्हे भी प्रभारी डिप्टी कलेक्टर पदनाम दे दिया है।
राजस्व विभाग संभालने वाले मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पास ही परिवहन विभाग है लेकिन उन्होने इस तरफ ध्यान नही दिया है। वो भी तब जबकि परिवहन विभाग में थोक के भाव पद खाली पडे है और उनमें से भी कई अधिकारी कर्मचारी इसी साल रिटायर होने वाले है।
सूत्र बताते है कि पदोन्नति के मामले में रोड़ा अटकाने के लिए परिवहन विभाग के निरीक्षक (मैदानी तैनाती वाले) ही मुख्य सूत्रधार है कार्यवाहक या प्रभारी के तौर पर पदोन्नत करने की व्यवस्था अटकाने में भी इन्ही की भूमिका बताई जाती है। क्योंकि विभाग में परिवहन निरीक्षक का पद ही सबसे ज्यादा कमाई वाला पद माना जाता है और कोई भी परिवहन निरीक्षक इस पद को छोडना नही चाहता है इसी वजह से वो प्रमोशन या प्रभारी बनना नही चाहते है और इसके लिए निरीक्षक मंत्रायलय स्तर और सचिवालय स्तर तक लॉबिंग भी बडी आसानी से कर लेते है। 12 साल और इससे ज्यादा समय से भी परिवहन निरीक्षक इसी पद पर बने हुए है। जिसके चलते अधीनस्थों को पदोन्नति का मौका नही मिल पा रहा है।
परिवहन विभाग में इस समय ARTO की भी बेहद कमी है जिसके चलते एक एक ARTO और RTO को 3 से 4 जिलों तक का प्रभार संभालना पड रहा है। अगर परिवहन निरीक्षकों को पुलिस और राजस्व की तरह ही प्रभारी ARTO बना दिया जाए, तो नीचे से ऊपर तक अमले की कमी से निजात मिल सकती है। और पदोन्नति मिलने से अमले का हौंसला भी बढता है।
सूत्र बताते है कि कुछ समय पहले एक परिवहन आयुक्त ने इस दिशा में पहले की थी और परिवहन निरीक्षकों को प्रमोशन लेने या फील्ड में तैनाती न लेने का शपथ पत्र देने का निर्देश दिया था लेकिन परिवहन निरीक्षकों की लॉबी ही ज्यादा पावरफुल निकली और नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
बहरहाल अब अंदरूनी स्तर पर परिवहन विभाग में भी फिलहाल पुलिस और राजस्व की तरह ही कार्यवाहक या प्रभारी पर पदोन्नति की मांग पर चर्चा होने लगी है अब देखना ये है कि विभाग के मुखिया के कानों तक इस चर्चा के पहुंचने पर इसका क्या हल निकलता है