( जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर अँचल के एक बडे और पुराने सरकारी मेडीकल कॉलेज के डीन इन दिनों काफी टेंशन में है। करीब 8-10 दिन पहले भोपाल में चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री और अपर मुख्य सचिव के साथ हुई मुलाकात के बाद ये टेंशन और ज्यादा बढ गई है। सूत्र बताते है कि डीन की अपर मुख्य सचिव ने ही हालत खराब कर दी है। ऊपर से मंत्री महोदय ने भी तरीके से काम करने की नसीहत दी ही नही, बल्कि फेंक कर मारी है।
चर्चा है कि ये डीन महोदय जब मंत्री जी से मिलने जब बंगले पहुंचे, तो करीब डेढ घंटे बाद डीन और मंत्री महोदय का आमना सामना हो पाया, वो भी तब….जब मंत्री जी गाडी में बैठकर बंगले से निकल रहे थे मंत्री जी ने गाडी में बैठे बैठे ही डीन साहब को ‘’आप पहले अपने एसीएस (अपर मुख्य सचिव) से मिलकर आईए…’’ कहकर ही उन्हे अपर मुख्य सचिव के पास रवाना कर दिया। और खुद भी बंगले से रवाना हो गए।
कहते है कि दीवारों के भी कान होते है उन्ही कानों सुनी खबर है कि मंत्री महोदय के तेवर से ज्यादा तीखे चिकित्सा शिक्षा विभाग के एसीएस के तेवर थे। एसीएस ने डीन महोदय को जमकर खरी खोटी सुनाई है। पैरामेडीकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ की भर्ती को लेकर एसीएस ने उनकी खूब बखियां उधेडी है सूत्र बताते है कि इन डीन महोदय ने दो डेमोंस्ट्रेटर की भर्तियां भी बिना मंत्री को बताए कर ली, जबकि मंत्री महोदय को इसकी जानकारी थी। बताते है कि एसीएस महोदय ने इसकी पूरी कसर निकालने के बाद डीन महोदय को दोबारा मंत्री जी के पास ये कहकर भेज दिया, कि आप पहले मंत्री जी को जबाब देकर संतुष्ट कीजिए, फिर बात करेंगें।
राजे रजवाडों के समय स्थापित हुए ग्वालियर अंचल के इस मेडीकल कॉलेज के डीन मंत्री महोदय के पास जब मंत्रालय पहुंचे। तो वहां मंत्री महोदय पहले से गर्म मूड में थे। उन्होने साफ शब्दों में डीन को बता दिया है कि इतने सालों में जो इज्जत बनाई है वो पूरी उतर जाएगी, अगर तरीके से नही चले तो। मुझसे किसी रियायत की उम्मीद मत रखिएगा। मंत्री जी ने जाते जाते ये भी कह दिया है कि केंद्रीय सियासत में आपके जो भी मंत्री शुभचिंतक है वो भी कुछ नही कर पाएँगे, अगर मैनें कुछ करने का मन बना लिया तो….मंत्री जी ने ये कहकर डीन महोदय को दोबारा एसीएस के पास भेज दिया, कि आप तकनीकी मुद्दों पर एसीएस को संतुष्ट कीजिए..(अब वहां क्या हुआ…ये आगे की खबरों में आप तक जल्द ही पहुंचाने की कोशिश होगी)
फिलहाल तो अपने हरिराम बताते है कि डीन महोदय एक केंद्रीय मंत्री के भरोसे चल रहे है और वहीं से उनका बचाव भी हो रहा है लेकिन भोपाल के इस झमाझम एपिसोड के बाद उनके माथे पर चिंता की लकीरें है। टेंशन बढता जा रहा है क्योंकि मामले एक दूसरे से ‘’लिंक’’ होते जा रहे है और उनको सुलझाने की सही ‘’लिंक’’ फिलहाल बैठ नही रही है।
उधर डीन महोदय को एक निजी अस्पताल के संचालन में अपनी भूमिका को लेकर सभी जगह सफाई देनी पड रही है। बताया जा रहा है कि निजी अस्पताल में डीन की भूमिका और शिकवा शिकायतों का मामला एक केंद्रीय मंत्री तक भी पहुंचा है, इन केंद्रीय मंत्री की कृपा ही डीन महोदय पर बताई जा रही है। निजी अस्पताल के संचालन का मामला भी विभागीय मंत्री और एसीएस की नॉलेज में खबरों के माध्यम से पहुंचा है। बहरहाल ठंड के मौसम में ये मामला काफी गर्माया हुआ है।