ग्वालियर23जून2025।श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास, ग्वालियर के सदस्यों ने कलेक्टर को एक पत्र लिखा है पत्र में न्यास के रिसीवर निशीथ मोदी पर मंदिर में मनमाने और नियमविरूद्ध ढंग से कार्य कराए जाने और धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाकर हस्तक्षेप की मांग की गई है। सदस्यों ने इस पत्र की प्रति केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और संभागायुक्त को भी भेजी है।
शिकायती पत्र में न्यास के सदस्य संतोष सिंह और अन्य सदस्यगणों ने लिखा है कि “ग्वालियर के सबसे प्राचीन श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के हम सभी भक्तगण एवं मंदिर न्यास के सदस्य आज अत्यंत दुखी हृदय से आपका ध्यान मंदिर परिसर में चल रहे धर्मविरोधी एवं अनियमितता पूर्ण कार्यों की ओर आकृष्ट करा रहे हैं, जिसकी एकमात्र जिम्मेदारी जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए मंदिर न्यास के रिसीवर श्री निशीथ मोदी जी की बनती है। उनके मनमाने, निरंकुश एवं अव्यावहारिक कार्यों की वजह से न सिर्फ ग्वालियर में विशिष्ट पहचान रखने वाले श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास की छवि खराब हो रही है बल्कि बार बार आग्रह के बावजूद रिसीवर श्री निशीथ मोदी जी द्वारा अपनी कार्यशैली में परिवर्तन न किए जाने से क्षुब्ध होकर बाबा अचलनाथ के बड़ी संख्या में भक्तों ने मंदिर आना ही बंद कर दिया है और घर पर ही बाबा अचलनाथ की पूजा कर रहे हैं।
रिसीवर महोदय के मनमाने, निरंकुश कामकाज एवं अव्यावहारिक निर्णयों से हम भक्तगण बिंदुबार अवगत करा रहे हैं…
नहीं बना दीपभवन : मंदिर परिसर में अभी तक दीपभवन नहीं बनाया गया है। दीपभवन बनने के पहले ही भक्तों को मंदिर परिसर में पूजा के दीपक जलाने से रोक दिया गया है। रिसीवर के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं है कि भक्त दीप कहां जलाएं?
कीमती कांच तोड़ दिए : मंदिर भवन पर लगे बहुमूल्य कांच तोड़ दिए गए हैं। नए कांच लगाने की बात की जा रही है, यह भक्तों की दानराशि का सरासर दुरूपयोग है। पुराने कांच से भी काम चलाया जा सकता था।
बंद कर दीं पुरानी सभी परंपराएं व रीति रिवाज :: तत्कालीन मंदिर प्रशासन द्वारा प्रतिदिन गायों को रोटी, कुत्तों को भोजन, पक्षियों के लिए दाना-पानी, गायों की प्यास बुझाने के लिए पानी की टँकी व जरूरतमंदों को दैनिक उपयोग की वस्तुएं भेंट करने के साथ ही अखतीज जैसे अवसरों पर प्रतिवर्ष सामूहिक विवाह सम्मेलनों के आयोजन जैसी सर्वहितकारी परम्पराएं प्रारंभ की गई थीं जो वर्तमान मंदिर प्रबंधन द्वारा बंद कर दी गई हैं। यह अन्याय क्यों? जबकि भक्तगण इन परंपराओं को कायम रखने के लिए भरपूर दानराशि एवं चढ़ावा देते हैं।
दैनिक भंडारे के नाम पर सिर्फ औपचारिकता :: मंदिर में बेसहारा प्रभुजियों एवं भिक्षुकों के लिए प्रतिदिन चल रहे भंडारे का स्तर बहुत ही घटिया कर दिया गया है। सैकड़ों निराश्रितों के भोजन की एकमात्र उम्मीद बने इस भंडारे के नाम पर रिसीवर महोदय द्वारा अब सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। अब तो भंडारे की हालत यह है कि दो दो रोटी, थोड़ी सी दाल और चुटकी भर चावल देकर भिक्षुकों व निराश्रितों को अपमानजनक ढंग से भगा दिया जाता है। ऐसा न किया जाए। भंडारे के नाम पर मखौल रोका जाए।
पुराने कर्मचारियों को हटाकर अपने लोगों की भर्ती करने का षडयंत्र :: हम चाहते हैं कि मंदिर में लम्बे समय से कार्यरत पुराने कर्मचारियों की न तो छंटनी की जाए और न ही उन्हें प्रताड़ित किया जाए। रिसीवर के मनमाने कार्यों का विरोध करने वाले पुराने कर्मचारियों को हटाकर अपने कठपुतली नुमा कर्मचारियों की भर्ती करने का षडयंत्र रचा जा रहा है जिसे रोका जाए। मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों के साथ अपने तेरे जैसा भेदभाव बरत कर उन्हें कुंठित न किया जाए, उनके साथ दुर्व्यवहार न किया जाए।
भक्तों की सुरक्षा के लिए रिसीवर ये कदम नहीं उठा रहे :: आसमानी बिजली से सुरक्षा के लिए भवन पर तड़ित चालक लगाने की जरूरत है। बरसाती पानी की सुरक्षित निकासी एवं भूजल स्तर बढ़ाने के लिए यहां वॉटर हार्वेस्टिंग नहीं कराया गया है। परिसर में पानी की सदैव उपलब्धता बनी रहे, इसलिए वाटर टैंक बनाया जाए, इसके लिए यहां काफी जगह है। परिसर व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए हैं। परिसर के चारों ओर मौजूदा अस्थायी बेरिकेडिंग के बजाए पत्थर की नक्काशीदार बाउंड्री निर्मित की जानी चाहिए।
पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया सहित कई पुराने सदस्यों के सुझाव पत्रों पर नहीं दिया ध्यान : यह अत्यंत खेदजनक पहलू है कि मंदिर न्यास के पुराने वरिष्ठ सदस्य समय समय पर जो सुझाव ज्ञापन पत्र के रूप में देते रहे हैं, रिसीवर महोदय ने उन सभी सुझाव पत्रों को गंभीरता से लेकर त्वरित कार्यवाही करने के बजाए उन ज्ञापनों को नजरंदाज कर दिया। न्यास के पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया सहित कई वरिष्ठ न्यास सदस्यों ने मंदिर न्यास के कामकाज को सुविधाजनक एवं व्यवधानारहित बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए थे, लेकिन रिसीवर महोदय ने उन्हें जनहित में मानने के बजाए निजी रंजिश से प्रेरित माना, सुझावों पर ध्यान नहीं दिया।
न्यास की चुनाव प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ करें :: श्री अचलेश्वर मंदिर लंबे समय से रिसीवर के नियंत्रण में है जबकि यह सार्वजनिक निकाय है। रिसीवर की हिटलरी और एकाधिकारपूर्ण कार्यशैली के चलते भक्तों की सुविधानुसार निर्णय नहीं हो रहे हैं। हम चाहते हैं कि यहां चुनाव प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ कर बाबा के भक्तों की इच्छानुसार अपना नया नेतृत्व चुनने का अवसर दिया जाए ताकि ऊपर से थोपे गए जबरिया नेतृत्व से मुक्ति मिल सके और मंदिर प्रबंधन में लोकतांत्रिक परंपराओं का समावेश हो सके।
सन २००५ के जिला न्यायाधीश (डीजे) के आदेश का रिसीवर कर रहे उल्लंघन :: हम आपके संज्ञान में यह बात लाना चाहते हैं कि रिसीवर महोदय की मनमानी अब इस हद तक बढ़ गई है कि वे सन २००५ के जिला न्यायाधीश (डीजे) के आदेशों, निर्देशों तक का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं। रिसीवर की नियुक्ति भव्य स्वरूप में मंदिर का पुनर्निर्माण कराने, नए पदाधिकारियों की नियुक्ति होने तक मंदिर की गतिविधियों को सुचारु रूप से संचालित करने, न्यास का वैधानिक रूप से नवनिर्वाचन कराने एवं आय व्यय पर बारीकी से मॉनिटरिंग करने के उद्देश्य से की गई थी लेकिन इस दिशा में तो रिसीवर का ध्यान ही केंद्रित नहीं है, वे तो सिर्फ मंदिर में तुगलकी अंदाज में तोड़फोड़ करने में जुटे हैं। उन्हें उनके मूल काम को करने के लिए निर्देशित किया जाए।
अचानक से बढ़ा दी भोग एवं पूजा पाठ की सहयोग राशि, निर्धन वर्ग के भक्त परेशान ::भोग एवं पूजा पाठ में भक्तों से ली जाने वाली सहयोग राशि की दरें रिसीवर ने एकदम से बढ़ा दी हैं। इन बढ़ी हुई दरों को कम या संतुलित किया जाए ताकि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले भक्त भी मंदिर संचालन से जुड़ी व्यवस्थाओं में सहयोगी बन सकें। श्री अचलेश्वर मंदिर न्यास में कितनी धनराशि की कब-कब आवक जावक हुई है, इसे रिसीवर द्वारा अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। न्यास में पूर्व में जो भी जांचें चल रही थीं, उन संपूर्ण जांचों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
तो धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे…”
पत्र के माध्यम से कहा गया है कि यदि मंदिर के रिसीवर ने जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुपालन में व्यवस्थाओं में सुधार एवं भक्तों की भावनाओं के अनुरूप कार्यप्रणाली में परिवर्तन नहीं किया तो सभी भक्तगण मजबूरी में धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे लेकिन यह स्थिति प्रशासन के हस्तक्षेप से टाली जा सकती है।