
(लेखक भारतीय जनता जनता पार्टी के राष्टी्र राष्ट्रीय महासचिव हैं और समय समय पर अपने विचार लिखते रहते हैं।)
भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुनियाभर में लोकप्रियता लगातार बरकरार है। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए हैं। मॉर्निंग कंसल्ट की वेबसाइट पर जारी सूची में मोदी 78 प्रतिशत ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग के साथ टॉप पर हैं। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत 16 देशों के दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। पीएम मोदी को दुनिया भर में वयस्कों के बीच सबसे ज्यादा रेटिंग मिली है। सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास नारे को मोदी सरकार ने साकार किया है। कोरोना काल में मोदी सरकार की जिस तरह से स्थितियों को संभालते हुए देश की आर्थिक मोर्चे पर रफ्तार को कम नहीं होने दिया और साथ ही आपदाकाल में अन्य देशों की सहायता की। भारत के खिलाफ रहे तुक्रिये में सबसे पहले भारत के राहत दल ने जाकर भूकंप पीड़ितो को बचाया। तुर्किये में भयंकर भूकंप के बाद भारत से गए राहत दल के कार्यों की भरपूर प्रशंसा की गई है। दुनियाभर के देशों के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को विश्वभर की समस्याओं को सुलझाने में योगदान करने वाला बताया है। जी-20 सम्मेलनों की मेजबानी से भारत की साख दुनियाभर में बढ़ी है।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ लंबे समय से देश-विदेश में साजिश होती रही हैं और उन्होंने सभी साजिशों का नाकाम किया है। बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस की भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी को लेकर की गई टिप्पणी उसी साजिश का हिस्सा है। मोदी के खिलाफ टूलकिट के माध्यम से नफरत फैलाने की साजिश का पहले ही पर्दाफाश हो चुका है। किसान आंदोलन के दौरान भड़काने वाली कार्रवाई करने के लिए विदेशी फंडिग की साजिश का राज भी जनता के सामने आ चुका है।
हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भारतीय मीडिया का एक वर्ग बहुत लंबे समय से अभियान चलाता रहा है। विदेशी मीडिया भी ऐसी साजिशें रचता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विदेशी मीडिया भी लगातार अभियान चलाता रहा है। देश में नरेंद्र मोदी को तानाशाह, हिंसक और घृणा फैलाने वाला बताकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश होती रही है। केंद्र की मोदी और राज्यों में भाजपा की सरकारों ने बिना भेदभाव सभी नागरिकों के कल्याण और हित में योजनाएं चला रखी हैं। मुस्लिमों को लेकर भेदभाव करने के जो आरोप केंद्र और भाजपा की राज्य सरकारों पर लगाए गए हैं, वे सभी पूरी तरह झूठे और निराधार हैं। टाइम मैगजीन ने 2019 मोदी को डिवाइडर इन चीफ बताया था। द न्ययॉर्क टाइम्स, द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट में भी प्रधानमंत्री मोदी के बारे में झूठी खबरें प्रकाशित की गई थी। सभी का उदेश्य था भारत और मोदी के खिलाफ माहौल बनाना। इन सभी साजिशों की कलई खुल चुकी है। एक अंग्रेजी अखबार ने खुलासा किया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए साजिश हो रही है। मोदी को रोकने के लिए दिल्ली और लंदन में गुप्त बैठके हुई हैं। इस साजिश में भारत के कुछ लोग भी शामिल हैं।
बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री का दुनियाभर में ही विरोध हो रहा है। विवादित डॉक्यूमेंट्री के विरोध में भारतीय समुदाय के लोगों ने लंदन में बीबीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। भारतीय समुदाय के लोगों ने भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए बीबीसी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया था। लंदन के साथ ही ग्लासगो, न्यूकैसल, मैनचेस्टर और बर्मिंघम में विरोध प्रदर्शन हुए थे। ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों ने भारत में मुस्लिमों के साथ भेदभाव को पूरी तरह गलत बताया था।
बीबीसी के भारत में कार्यालयों में आयकर विभाग की जांच पर विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय के उप मंत्री ने ‘हाउस आफ कामन्स’ में उठाए गए सवाल के जवाब में कहा कि सरकार आयकर विभाग की जांच पर लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी नहीं कर सकती है। उन्होंने मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘मजबूत लोकतंत्र’ के आवश्यक तत्व बताया है। संसदीय उप मंत्री डेविड रटले का कहना था कि हम बीबीसी के लिए खड़े हैं। भारत की मीडिया विश्व में सबसे सशक्त और स्वतंत्र हैं। भारतीय मीडिया का स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान रहा है। भारत में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। सभी जानते हैं कि बीबीसी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता रहा है। प्रधानमंत्री रहते हुए श्रीमती इंदिरा गांधी ने बीबीसी पर प्रतिबंध लगाया था। कश्मीर को लेकर बीबीसी ने गलत नक्शा दिखाया था। बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री भी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का हिस्सा है। मीडिया में बताई गई जानकारी के अनुसार मोदी के खिलाफ अभियान चला रहे जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने 2014 से लेकर 2020 तक सौ करोड़ रुपये की फंडिग की थी। 2016 में एफसीआरए के नियमों के उल्लंघन के आरोपों में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ओपन सोसाइटी को वॉच लिस्ट में डाल दिया था। जॉर्ज सोरोस की सोसाइटी के एक बड़े पदाधिकारी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा में भी शामिल हुए थे। कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों घटते जनाधार के कारण प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर देश की छवि खराब कर रहे हैं। इसका नतीजा अगले आम चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ेगा।


