ग्वालियर16 सितंबर2022।दो दिन पहले ग्वालियर के जीआर मेडीकल के छात्रों और आईपीएस अधिकारी ऋषिकेश मीणा के बीच हुए विवाद के बाद मामले का पटाक्षेप हो गया है लेकिन इस मामले का जिस तरह से पटाक्षेप हुआ है उसे लेकर म.प्र.हाईकोर्ट के अधिवक्ता और बीजेपी के पू्र्व कार्यसमिति सदस्य अवधेश सिंह तोमर का कहना है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार इस मामले को विधिसंगत तरीके से सुलझाने में अक्षम साबित हुई है
मेडीकल छात्रों के दबाब के आगे सरकार झुक गई है और पुलिस अधिकारी के साथ हुई इतनी अभद्रता के बाबजूद उसे बैकफुट पर आने के लिए मजबूर किया गया है जिससे आईपीएस अधिकारियों का मनोबल गिरा है तो निचले स्तर के अधिकारियों की स्थिति समझी जा सकती है लिहाजा प्रदेश सरकार पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए इस पूरे मामले की जांच के लिए अवधेश सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को अभ्यावेदन लिखते हुए स्वतः संज्ञान लेकर भारत सरकार की किसी स्वतंत्र ऐजेंसी या सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।
बीजेपी के पूर्व जिला कार्यसमिति सदस्य अवधेश सिंह ने अभ्यावेदन में लिखा है कि एक तरफ तो सीएम शिवराज सिंह कानून व्यवस्था की स्थिति आए दिन सही बताते है और बडे बडे मंचों से कहते है कि अपराधियों पर अंकुश है वहीं एक आईपीएस अधिकारी का मेडीकल छात्र शराब पीकर मोबाइल छीनकर तोड देेते है गाडी की चाबी छीन लेते है मारपीट करते है शासकीय गाडी पंचर कर देते है और उसके बाद कहीं मेडीकल छात्र हडताल न कर दें, इस डर से सरकार के नेता राजीनामा कराने के प्रयास करते है और बाद में छोटी मोटी धाराओं में मामला दर्ज कर इतिश्री कर ली जाती है जबकि ये बेहद गंभीर अपराध है।
तोमर का कहना है कि मध्यप्रदेश में जिस प्रकार से आपराधिक तंत्र हावी है उसी तंत्र में आईपीएस अधिकारी भी इन अपराधियों के शिकार हो रहे है मेडीकल छात्रों का यह पहला अपराध नही है इससे पहले भी इनके द्वारा ग्वालियर शहर में कई घटनाएँ इनके द्वारा की गई है जिसकी एफआईआऱ ग्वालियर के विभिन्न थानों में दर्ज है।
इनका कहना है
मध्यप्रदेश सरकार के सुरक्षा के दावों की पोल इस घटना से खुली है कि अगर आईपीएस अधिकारी के साथ ये घटना हो सकती है तो उनकी सुरक्षा की गांरटी कैसे हो सकती है एक तरफ भारत सरकार आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के मनोबल बढाने वाले कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है तो मध्यप्रदेश में उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया जा रहा है मेडीकल छात्रों पर इस घटना के बाद भी सामान्य धाराओं के तहत कायमी सरकार का दबाब साफा साफ दिखाता है जबकि आईपीेएस अफसर के साथ हुई इस घटना के बाद तो उन पर लूट डकैती के साथ साथ एनएसए का कार्यवाही की जाना चाहिए थी। लेकिन हडताल के दबाब में सरकार झुक गई है और पुलिस भी बैकफुट पर आ गई।