(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर01मार्च2023। ग्वालियर के जीआर मेडीकल कॉलेज के जिन एक ‘’संघधारी’’ ऐसोसिएट प्रोफेसर की लोकायुक्त में जांच चल रही है उसमें लोकायुक्त भोपाल ने डीन जीआर मेडीकल को भी शिकायत के संबंध में तथ्य उपलब्ध कराने के संबंध में लिखित निर्देश दिए है। सूत्रों के मुताबिक करीब डेढ़ महीने पहले डीन महोदय लोकायुक्त भोपाल दफ्तर में हो भी आए है। जाहिर सी बात है जो भी कागज कागज पत्तर मांगे गए हो होंगे, वो उपलब्ध भी कराए होंगे।
वहीं कुछ खास खबरी बताते है कि लोकायुक्त अफसरों की आपसी चर्चा में ये बिंदु निकला कि आखिर इन संघधारी डॉक्साब के पीछे कोई इतना क्यों पडा है तो जबाब भी वहीं मिल गया कि इन्होने भी कोई कसर नही छोडी है दूसरों के पीछे लगने में ! शिकवा, शिकायत, पद दिलवाना, पद से हटाना, पीआईएल लगवाने के मास्टर है ये डॉक्साब।
प्रदेश की आर्थिक राजधानी के शिकायतकर्ता भिया ने लोकायुक्त को की शिकायत में चिकित्सा शिक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव की नोटशीट का वो पन्ना भी लगाया है जिसमें उन्होने इन ऐसोसिएट प्रोफेसर साहब की स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सा शिक्षा विभाग में संविलियन का प्रावधान नही होने का स्पष्ट उल्लेख करते हुए माननीय सीएम साहब को भी सूचित किया है। अपनी शिकायत के समर्थन में अड़े भिया ने एमसीआई से लेकर शासन तक के नियमों तक के संबंध में 13 बिंदू भी लोकायुक्त को भेजे है।
जानकार बताते है कि अपने प्रदेश में रहे संघ के एक बड़े पदाधिकारी की छत्रछाया में ‘’संघधारी’’ डॉक्साब का जलवा चलता रहा है हांलाकि अब संघ के वो आदरणीय अपने प्रदेश में सक्रिय नही है लेकिन उनसे जुडे कई लोग अब भी यहीं है सो डॉक्साब उनसे अभी भी ‘’भाईसाहब से बात हो गई है’’, की तर्ज पर प्रभाव बनाए रखे हुए है।
और हां…एक समय में जयारोग्य अस्पताल समूह में तीन तीन अधीक्षक बनाए जाने के पीछे का श्रेय भी पर्दे के पीछे इन्ही को जाता है हांलाकि ये व्यवस्था तीन या चार महीने ही चल पाई थी।
बाकी लोकायुक्त के गलियारे से जो बयारें इस मामले में बहेंगी, उसे आप तक पहुंचाएंगे अगली बार की चर्चा में…..