भिंड में खाकी के मुखिया का जलवा, सत्ताधारी ‘’माननीय’’ टेंशन में

(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)

भिंड में खाकी के मुखिया का जलवा चल रहा है। जलवा केवल नाम का ही नही बल्कि उनकी पुलिंसिग का भी हो रहा है। खाकी के जलवे ने खादी की हालत खराब कर रखी है। सुनकर आपको अचंभा होगा कि कि जिस खादीधारी की हालत खराब है वो सत्ता पक्ष के तो हैं ही और साथ में ठाकुर साब ‘’माननीय मंत्री’’ भी है। लेकिन कप्तान साहब के आगे एक नही चल पा रही।   

साहब ने करीब डेढ साल पहले भिंड में आमद दी थी तभी से पुलिसिंग बिना अनावश्यक प्रेशर के चल रही थी। सूत्र बताते है कि करीब 10 माह पहले से खाकी और खादी की टशनबाजी की की खबरें आनी शुरू हो गई थी माननीय के सामान्य और जरूरी काम हो ही रहे थे। लेकिन चर्चा है कि माननीय के अनुज की अपेक्षाएँ लगातार बढती जा रही थी। माननीय भी धीरे धीरे कप्तान साहब पर प्रेशर टेक्टिस खेलने लगे थे। साहब पहले भी भिंड में अपनी सेवाएं दे चुके है तो रग रग नस नस का मर्ज जानते है। लिहाजा उन्होने राउडी राठौर स्टायल में काम शुरू कर दिया है

खबरी बताते है कि भिंड के आर्थिक रूप से संपन्न थाने की श्रेणी में शुमार फूप थाने में एक ठाकुर साहब दारोगा मंत्री महोदय की कृपा से ही डटे हुए थे माननीय के आशीर्वाद से दारोगा जी कप्तान साहब को भी हलके में ले रहे थे लिहाजा चटक गए। बताते है कि अभी भी चटके हुए ही है। उसके बाद एक और (महिला शक्ति) दरोगा भी सेम पैटर्न भी सेम थाने से चटक गई।   

अपने सूत्र भी लगातार नजर बनाए हुए थे उन्होने बताया है कि कप्तान साहब भी माननीय के मजे ले रहे थे सो एक ऐसे टीआई को फूप थाना दे दिया, उसकी भी माननीय से पटरी नही बैठती थी, बस फिर होना क्या था बात साख बचाने की आ गई थी तो माननीय का दर्द सरकार में ऊपर तक पहुंचाया गया, तब जाकर टीआई को संभाग के पुलिस मुखिया कार्यालय भेजा गया है।  

भिंड के कप्तान साहब काम में विश्वास रखते है और कुर्सी पर बैठकर अतिरिक्त अपेक्षा नही रखते, सो किसी से अनावश्यक दबते भी नही है। काम जायज है तो होगा ही, लेकिन अगर गलत काम को सरकार के नुमाइँदे भी दबाब बनाकर कराएंगे, तो कप्तान साहब विनम्र होकर दृढता से ‘’नो’’ करने का माद्दा भी रखते है।

अपने हरिराम कह रहे है कि फिलहाल माननीय को खाकी वाले बडे साहब की तरफ से कोई रियायात की उम्मीद नही है। दरअसल साहब भिंड में एक सम्मानित कार्यकाल पूरा कर चुके है तो अदला बदली की उन्हे कोई टेंशन नही है। वैसे भी साहब पुलिससेवा होने के बाबजूद लिखने पढने और विचार मंथन करने वाले व्यक्तित्व है तो मोहमाया के ज्यादा चक्कर में भी नही है। आगे जो शिव चाहे……………..   

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