युवा कृषि वैज्ञानिक सोच बदले तो होगा विश्व कल्याण, कृषि वि.वि. में हुई ‘‘वन हेल्थ वन वर्ल्ड‘‘ संगोष्ठी

ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में ‘‘वन हेल्थ वन वर्ल्ड‘‘ संकल्पना पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आज विभिन्न सत्रों में वैज्ञानिकों द्वारा इस विषय से जुडे हुए अलग-अलग आयामों पर गहन विचार मंथन हुआ। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये पूर्व कुलपति एवं जाने माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. ए..के सिंह ने कहा कि कोविड संकट ने हमें समग्रता से विचार करना सिखाया।

आपने कहा कि मृदा एवं जल दोनों ही हमारी कृषि के महत्वपूर्ण घटक व परस्पर पूरक है अतः इनकी गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है। आपने खेती में आधुनिक तकनीक के प्रयोग से इसके पोषण मूल्य को बढाने पर जोर दिया और कहा कि आज जब पौध आधारित औषधियों की भूमिका बढ़ रही है तब हमें समग्रता से कृषि का चिंतन करना होगा। इस सत्र में विशिष्ट अतिथि भारतीय किसान संघ के महासचिव श्री मोहनी मोहन मिश्रा ने कहा कि हमें विदेशी चिंतन के दबाब से मुक्त होकर मौसम के अनुरूप खेती की पुर्न रचना करनी होगी। हमारी मान्यता है कि कोई भी वनस्पति खरतपतवार नहीं होती उसका औषधीय या पोषण में उपयोग होता है। इस दिशा में युवा वैज्ञानिकों द्वारा सोच बदलने की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों को किसानों के हित में आगे आना होगा।

कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला ने कहा कि भारत में प्रज्ञा, बुद्धि की कमी नही रही है उसने हमेशा विश्व को मार्ग दिखाया है आज हमें भटकाव से मुक्त होकर जिस मिट्टी से हम जन्में और जिसमे मिल जाने वाले है उसके प्रति अपने कर्तव्य को निभाना है तथा अपने भीतर अच्छाई और बुराई के संघर्ष में सत्य का साथ न छोडते हुए आगे बढ़ने का संकल्प लेना होगा। इस सत्र के प्रारंभ में स्वागत भाषण अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. मृदुला बिल्लौरे और आभार प्रदर्शन निदेशक विस्तार सेवायें व नाहेप परियोजना प्रभारी डॉ. वाय पी. सिंह ने किया। प्रारंभ में पोस्टर प्रस्तुतिकरण में श्रेष्ठ वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वाय.डी. मिश्रा ने किया।

आज संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रथम सत्र में खाद्य प्रसंस्करण के दौरान पोषक तत्वों की हानि, मानव स्वास्थ्य में न्यूट्रास्युटिकल्स की भूमिका, आयुर्वेद एवं हर्बल चिकित्सा और मानव स्वास्थ्य की गुणवत्ता एवं इस पर औषधीय पौधों का प्रभाव, मानव स्वास्थ्य के लिये मशरूम का खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन जैसे विषयों पर डॉ. सुखदेव मंगराज, सिफेट लुधियाना से डॉ. मंजु बाला, आयुर्वेद महाविद्यालय, ए.पी.एस. विश्वविद्यालय, रीवा के डॉ. देवेश प्रताप, गर्वमेंट ऑटोनोमस आयुर्वेद महाविद्यालय, ग्वालियर के डॉ. के.एल. शर्मा, आई.जी.के.वी.वी., रायपुर से डॉ. एम.पी. ठाकुर द्वारा उपर्युक्त विषयों पर व्याख्यान दिये गये।
द्वितीय सत्र में कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला द्वारा मृदा, पशु, पौधे और मानव में सूक्ष्म तत्वों के विषय पर व्याख्यान दिया गया। जिसमें उन्होंने बताया कि इन तत्वों की कमी मृदा स्वास्थ्य के साथ-साथ मानव पौधे व पशु के जीवन पर खराब प्रभाव डाल रही है।

डॉ शशांक झा ने आयुर्वेद एवं कृषि, डॉ. डी.एन. मिश्रा ने वनस्पति जगत से तैयार होने वाली होम्योपेथिक दवाओं, डॉ. ए.एस.ए.के. द्विवेदी ने असाध्य रोगो के उपचार में होम्योपेथी की भूमिका, डॉ. परदीप कुमार ने सूक्ष्म पोषक तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका, डॉ. गुरूदत्त घई ने योग के माध्यम से स्वास्थ्य में सुधार और डॉ. रमेश राठोर ने वन और समुद्र तट पारिस्थतिकी पर विशेष व्याख्यान दिया।

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