ग्वालियर/मुरैना28जनवरी2023। ग्वालियर चंबल संभाग में आज सुबह दो लडाकू विमानों के आपस में टकराने से क्रेश हो गये। इससे दो पायलट इंजेक्ट कर बच गये हैं, लेकिन वह घायल है। जबकि एक पायलट की मौत हो गई है। दुर्घटना में दोनों विमान क्रेश हो गये है और उनका मलबा दो सौ मीटर क्षेत्र में बिखर गया है। टकराने वाले विमानों में एक सुखाई-30 और मिराज 2000 शामिल है। दोनों अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है और उन्होंने ग्वालियर के महाराजपुरा वायुसैनिक हवाई अडडे से उड़ान भरी थी। वायुसेना ने इस हादसे की जांच के आदेश दे दिये हैं।
जानकारी के मुताबिक आज सुबह नियमित अभ्यास के लिये उड़े वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई – 30 और मिराज 2000 सुबह लगभग 9 से 10 बजे के बीच क्रेश हो गये। हालांकि हादसे की वजह का अभी पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनके विंग आपस में टकराने से यह हादसा हुआ होगा। सुखाई 30 में दो पायलट सवार थे। जबकि मिराज में एक। सुखोई-30 लड़ाकू विमान के दो पायलट गंभीर हालत में ग्वालियर के मिलेट्री हास्पीटल में भर्ती कराये गये है। वहीं एक पायलट की मौत होने की खबर है। ऐसा बताया जा रहा है कि सुखोई के दोनों पायलट ने अपने आपको ऐनवक्त पर इजेक्ट कर लिया होगा।
हालांकि लड़ाकू विमानों के क्रेश होने की घटना की जांच के आदेश दे दिये हैं। दोनों में से एक विमान का मलबा मुरैना जिले के पहाड़गढ़ ब्लाक के श्याम देव बाबा मंदिर के पास मिला हैं, जबकि एक विमान का मलबा यहां से 90 किलोमीटर दूर होने की खबर है। हालांकि वायुसेना ने अभी इस संदर्भ में स्पष्ट नहीं किया है।
गांव वालों की भीड़
पहाड़गढ़ ब्लाक में लड़ाकू विमान के क्रेश होने की सूचना आग की तरह फैल गई और गांव वाले आसपास जमा हो गये। लेकिन वहां पास के निरार थाने का बल वहां पहुंचा और पूरे क्षेत्र को सुरक्षा घेरे में ले लिया। विमान के क्रेश होने की खबर पर मुरैना एसपी आशुतोष बागरी व अन्य अधिकारी भी तत्काल वहां पहुंचे।
विमान का मलबा
पहाड़गढ़ क्षेत्र में जहां लड़ाकू विमान क्रेश होकर गिरा है वहां उसका मलबा बिखरा पड़ा था। वहां एक पायलट के क्षत विक्षत हाथ पैर भी पड़े थे। इस क्षेत्र को वायुसेना के अधिकारियों ने अपने घेरे में ले रखा है।
स्पीड ज्यादा होने से मलबा दूर-दूर बिखरा
तकतवर फाइटर प्लेन सुखोई-30 और मिराज-2000 की स्पीड ज्यादा होने से विमानों का मलबा और भी दूर मिलने की संभावना है। इसमे जौरा से आगे लगे राजस्थान के जिले भरतपुर की सीमा में 90 किलोमीटर दूर तक एक विमान का मलबा मिलने की संभावना है।
सुखोई-30 और मिराज-2000 की विशेषता
सुखोई लड़ाकू विमान पावरफुल लड़ाकू विमान है, यह 2600 किलोमीटर की स्पीड से उड़ता है। इसमे दो एल-31 टर्बोजेट इंजन फिट है। इसकी विशेषता यह है कि यह हवा में ही इंधन भर सकता है और अलग-अलग बम व प्रक्षेपात ले जा सकता हैं। मूल रूप से रूसी कंपनी के इस सुखोई विमान को भारतीय कंपनी एचएएल ने मिलकर विकसित किया है। 62 मिलियन डालर की कीमत का यह विमान हवा में रिफ्यूलिंग के बाद 8000 किलोमीटर तक जा सकता है।
वहीं मिराज 2000 लेजर गाइडेड बम के साथ हवा में भी मार करने में सक्षम है। 2336 किलोमीटर की स्पीड से चलने वाला मिराज 7500 किलो वजनी है। इसने कारगिल व सर्जिकल स्ट्राइक में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसे भी फ्रांस की कंपनी के तकनीकी सहयोग के साथ भारत में आयात किया गया हैं। यह 13800 किलो का गोला बारूद लेकर उड़ सकता है।
दो पायलट ने सीट इजेक्ट कर जान बचाई
हादसे के बाद सुखोई-30 के पायलेटों ने सीट इजेक्ट कर अपनी जान बचाई। जानकारी के मुताबिक फाइटर प्लेन के क्रैश के समय उसकी कंडीशन, सिस्टम और टाइमिंग पर सबकुछ कुछ निर्भर करता है। क्रैश के वक्त पायलट के पास चंद सेकेंड का वक्त होता है। फाइटर प्लेन के क्रैश होने पर पायलटों को बाहर निकालने में सबसे अधिक मदद रॉकेट पावर सिस्टम करता है। इसे इजेक्शन सीट कहते हैं। रॉकेट पावर सिस्टम पायलट के सीट के नीचे होता है। क्रैश के वक्त पायलट इसे एक्टिवेट करता है। सिस्टम एक्टिवेट होते ही प्लेन का एक छोटा हिस्सा खुल जाता है और पायलट पैराशूट के सहारे नीचे आने लगता है और सुरक्षित लैंडिंग करता है। हालांकि, कई बार क्रैश के वक्त यदि पायलट की सीट डैमेज हो जाए तो पायलट के सामने खतरा बढ़ जाता है। यानी क्रैश के वक्त रॉकेट पावर सिस्टम काम नहीं करता। ऐसे मौकों पर ही पायलट की जान चली जाती है। ऐसा ही अनुमान मिराज-2000 के पायलट की मौत के मामले में माना जा रहा है।
शिवराज ने दुख जताया
ग्वालियर चंबल अंचल में एक साथ दो लड़ाकू विमानों के क्रेश होने की घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी दुख जताया है। उन्होंने टिवट कर कहा है कि उन्होंने बचाव व राहत कार्य में वायुसेना के सहयोग के निर्देश जिला पुलिस प्रशासन को दिये हैं।