(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर22अगस्त2023। ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के लिए प्रत्याशी का चुनाव भी इस बार आसान नजर नही आता, क्योंकि तीन बार के विधायक और मंत्री नारायण सिंह कुशवाह के पिछला विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद अन्य दावेदारों ने भी इस बार ताल ठोंकी है। जिसमें अनूप मिश्रा चार महीने पहले ही घोषणा कर चुके है कि वो दक्षिण विधानसभा से चुनाव लडेंगे। भाजपा से अनूप के अलावा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर तीन बार के पार्षद और एमआईसी मेंबर रहे सतीश बोहरे भी तैयारी में लगे है।
इनके अलावा अन्य कई नाम और भी है जो दावेदारी जता रहे है लेकिन अभी फिलहाल नारायण सिंह, अनूप मिश्रा और सतीश बोहरे के चर्चा करें, तो नारायण सिंह कुशवाह के लिए राहत भरी खबर ये है कि भाजपा ने 39 प्रत्याशियों की सूची में ऐसे हारे हुए लोगों को भी प्रत्याशी बनाया है जो 32 हजार से भी ज्यादा वोटों से हारे है नारायण सिंह 121 वोटों से हारे थे उनके समर्थक चर्चा में कहते है कि भाजपा की बागी प्रत्याशी समीक्षा गुप्ता के निर्दलीय खडे होने की वजह से करीब 30 हजार वोटों उनके खाते में चलते गए, जो भाजपा के थे, लेकिन फैक्ट ये भी है कि इन वोटों में से करीब 10 हजार वोट कांग्रेस के भी थे इस हिसाब से नारायण सिंह बडे अंतर से हार सकते है।
भाजपा के सर्वे में हार के अंतर को लेकर नारायण सिंह आगे है लेकिन लोकप्रियता, सक्रियता, पार्टी के कार्यक्रमों में भागादारी के सर्वे में नारायण सिंह के नंबर कटना तय है जातिगत वोटों के आधार पर नारायण सिंह थोडे भारी पड सकते है। वैसे भी ग्वालियर ग्रामीण से सीट से भारत सिंह कुशवाह मंत्री है, अगर वो दोबारा प्रत्याशी बने, तो दक्षिण से कुशवाह समाज के नारायण सिंह का प्रत्याशी बनना खटाई में पड सकता है।
कांग्रेस के विधायक प्रवीण पाठक के खिलाफ अगर भाजपा ब्राह्मण चेहरा लाती है तो उसके लिए अनूप मिश्रा पहले से ही तैयार खडे है अनूप लगातार दक्षिण से चुनाव लडने के बात कह रहे है वो यहां से लडने के लिए इतने उतावले हैं कि उन्होने यहां तक कह दिया है कि टिकट मिले या न मिले, चुनाव यहां से लडना तय है। अनूप मिश्रा पिछला विधानसभा चुनाव भितरवार से हार चुके है लंबे समय से पार्टी में हाशिए पर है और अब दक्षिण से टिकट के लिए आलाकमान पर प्रेशर टेक्टिस बना रहे हैं। कांग्रेस के युवा विधायक प्रवीण पाठक के मुकाबले मिश्रा की उम्र भी 65 प्लस है। ये कारण उनकी दावेदारी पर ब्रेक लगा सकते है। वैसे भी अब तक अटल जी के भांजे होने की वजह से ही उनका सिक्का चलता रहा है। अब परिस्थितियां अलग है।
भाजपा के लिए कांग्रेस के खिलाफ युवा ब्राह्मण चेहरे सतीश बोहरे भी दावेदार है सतीश बोहरे तीन बार खुद पार्षद और एमआईसी मेंबर रहे है वर्तमान में बोहरे की पत्नी पार्षद है। सतीश बोहरे मुखर होकर दावेदारी नही जता रहे है लेकिन उनकी तैयारी लगातार जारी है उनके जन्मदिन पर पर दक्षिण विधानसभा में लगे होर्डिंग बैनर इसी तैयारी की हिस्सा थे। सतीश का छवि भी साफ, पार्टी लाइन पर चलने वाले गंभीर और विनम्र नेता के तौर पर भाजपा के अंदर है। किसी गुट विशेष का हिस्सा न होना भी उनके लिए प्लस पाइंट है। सबसे बड़ी बात सतीश विधानसभा चुनाव के लिए नए चेहरे है। कोई एंटी इनकंबेसी भी उनके साथ नही है।
बहरहाल ग्वालियर दक्षिण सीट बीजेपी के लिए बेहद प्रतिष्ठापूर्ण सीट है कांग्रेस के कब्जे से ये सीट वापस हासिल करने के लिए सर्वे ही आधार होगा या आलाकमान की पसंद या फिर केवल जातिगत समीकरण…ये भी भाजपा की अगली हारी हुई सीटों की सूची में सामने आने की संभावना है।