
ग्वालियर । ‘’भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेतृत्व को ग्वालियर की चिंता करना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार से ग्वालियर महानगर के अध्यक्ष की मनमानी जोरों पर चल रही है किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता का कोई सम्मान नही और कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है इस बात की चिंता वरिष्ठ नेतृत्व को तत्काल करना चाहिए और ग्वालियर के वरिष्ठ नेताओं से संपूर्ण मामले की जानकारी उनके द्वारा ली जा सकती है अगर इसी प्रकार अध्यक्ष की मनमानी चली तो भारतीय जनता पार्टी को बहुत बडा नुकसान होगा। कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी महानगर ग्वालियर उदाहरण के लिए तीन घटनाएं प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के साथ मुखर्जी भवन में गाली गलौज की गई एवं भगत सिंह मंडल के अध्यक्ष को बिना किसी कारण के जिला अध्यक्ष द्वारा नोटिस दिया गया एवं बृजमोहन शर्मा मंडल अध्यक्ष के साथ गाली गलौज व मारपीट की गई, ऐसी कई घटनाएं है जो कि ग्वालियर महानगर में दिन प्रतिदिन घट रही है इसकी समस्त जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी महानगर के अध्यक्ष की होती है और यह समस्त खबरें दिन प्रतिदिन दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही है जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही है पार्टी नेतृत्व को सोचना चाहिए और तत्काल निर्णय लेना चाहिए’’ फेसबुक पर लिखी गई ये पोस्ट भाजपा के पूर्व जिला कार्यसमिति सदस्य और एडवोकेट अवधेश तोमर की वॉल से शब्दशः ली गई है।

आज 22 अप्रैल को अवधेश तोमर ने ये पोस्ट फेसबुक पर डाली है। इस पोस्ट के बारे में इंडिया टुडे एमपी ने अवधेश तोमर से बात की तो उनका कहना था कि भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी पार्टी को निजी कंपनी की तरह चला रहे है मूल भाजपाई कार्यकर्ता और नेता अलग थलग पडे है उनकी कोई सुनवाई नही है और न ही उन्हे साथ लिया जा रहा है। तोमर का कहना है कि जिलाध्यक्ष अपने चार लोगों को लेकर पार्टी को मनमर्जी से चला रहा है उनका कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व को कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं का असंतोष समझना चाहिए और तत्काल इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। और अगर ऐसा नही होता तो आगामी चुनावों में इसके साइड इफेक्ट पार्टी को झेलने पडेंगें।
भाजपा के पूर्व जिला कार्यसमिति सदस्य अवधेश तोमर की इस फेसबुक पोस्टल को लेकर इंडिया टुडे एमपी ने भाजपा ग्वालियर के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी से बात की तो उनका कहना था कि वो इस पर कोई टिप्पणी नही करना चाहते है।
दरअसल ग्वालियर भाजपा के अंदरखाने में कुछ न कुछ चल रहा है भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट बताती है कि उनसे नाराजगी अब केवल पार्टी के अंदर की बात नही रही है उसे सार्वजनिक किया जा रहा है। दरअसल कमल माखीजानी जब जिलाध्यक्ष बने थे उस समय भी उनकी नियुक्ति का काफी विरोध हुआ था। उसके बाद भी कमल के खिलाफ असंतोष बना ही रहा है सूत्र बताते है कि पार्टी जिलाध्यक्ष ने असंतोष को खत्म या कम करने के लिए प्रयास करने के बजाए अपनी कार्यशैली से और पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं की उपेक्षा से उसे बढाया ही है। हाल ही मे एक निजी होटल में समर्पण निधि संग्रहण के कार्यक्रम में भी पार्टी के पुराने नेता और पूर्व मेला उपाध्यक्ष से जिलाध्यक्ष महोदय की तीखी बातचीत भी चर्चा का विषय बनी रही।