(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर23सितंबर2022। विपक्ष के तौर पर कमजोर साबित हो रही ग्वालियर शहर कांग्रेस को अगले दो हफ्तों में नया जिलाध्यक्ष मिल सकता है सूत्रों का कहना है कि वर्तमान जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा को चार साल पूरे हो चुके है और उनका हटना अब तय है वैसे भी जब से कांग्रेस को हटाकर सत्ता में बीजेपी आई है तब से साढे तीन साल में देवेंद्र शर्मा के कार्यकाल में और उनकी अगुआई में ग्वालियर कांग्रेस के खाते में विपक्षी पार्टी के नाते कोई बडी उपलब्धि किसी बडे जनआंदोलन, प्रदर्शन या आक्रोश नही रही है
ग्वालियर शहर कांग्रेस के नए जिलाध्यक्ष के लिए फिलहाल यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष रविंद्र सिंह भदौरिया, भिंड कांग्रेस प्रभारी वासुदेव शर्मा, शिवपुरी कांग्रेस सहप्रभारी पूर्व पार्षद कृष्णराव कल्लू दीक्षित, शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष आनंद शर्मा, शहर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष इब्राहिम पठान, प्रदेश सचिव अलबेल घुरैया के नाम चर्चा में है।
शहर जिलाध्यक्ष के लिए चर्चा में इन नामों में से वासुदेव शर्मा दिग्विजय सिंह गुट के नेता है उनके लिए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह प्रयासरत है तो कृष्णराव कल्लू दीक्षित के लिए विधायक सतीश सिकरवार प्रयास कर रहे है इब्राहिम पठान विधायक प्रवीण पाठक के नजदीकी है और विधायक पाठक ही उनकी पैरवी कर सकते है रविंद्र भदौरिया और आनंद शर्मा किसी गुट विशेष के नही माने जाते है। हांलाकि अलबेल घुरैया की पत्नी इस बार पार्षद का चुनाव हार चुकी है तो लगता है कि अलबेल जिलाध्यक्ष के लिए प्रयासरत हो सकते है वैसे उनका दिलचस्पी प्रदेश स्तर के पदों में ही रहती है।
शहर कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद के लिए समीकरण देखे जाए तो देवेंद्र शर्मा के बाद दोबारा किसी ब्राह्मण दावेदार को जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा, इसकी उम्मीद कम लगती है इसके अलावा वासुदेव शर्मा और कृष्णराव दीक्षित के पास क्रमशः भिंड और शिवपुरी की जिम्मेदारी भी है। आनंद शर्मा पार्षदी का पिछला चुनाव हार चुके है और संगठनात्मक रूप से भी कोई पैरोकार उनका नजर नही आता, प्रदेश संगठन में उनको नियुक्ति के कुछ घंटों बाद ही हटा भी दिया गया था ये भी चर्चा का विषय बना रहा था सूत्र बताते है कि विधायक प्रवीण पाठक से भी उनकी ट्यूनिंग ठीक नही है।
संगठन चलाने का अनुभव के हिसाब से आंकलन किया जाए तो रविंद्र सिंह भदौरिया की दावेदारी ग्वालियर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मजबूत हो सकती है वर्ष 1995 से 1997 तक NSUI अध्यक्ष रहे रविंद्र भदौरिया वर्ष 2000 से 2008 तक एक लंबा समय यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर सफलतापूर्व संगठन चला चुके है इन दौरान कई चर्चित आंदोलन भी रविंद्र भदौरिया की अगुवाई में यूथ कांग्रेस ने किए। उनकी छवि भी किसी गुटविशेष की नही है।
उधर अलबेल घुरैया का नाम चर्चा में आया जरूर है लेकिन उनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत नजर ऩही आती है सूत्र बताते है कि अलबेल संगठन में प्रदेश स्तर पर कार्य करने के इच्छुक है जिला उनके लिए आखिरी प्राथमिकता है।
दरअसल ग्वालियर शहर कांग्रेस कई मायनों में विफल साबित हुई है विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस कहीं खडी नही दिखी। देवेंद्र शर्मा कांग्रेस अध्यक्ष बनकर चार साल बाद तो कार्यकारिणी बना पाए, वो भी ऐसी कार्यकारिणी जिसमें 370 से ज्यादा पदाधिकारी तो सदस्य मात्र 15 थे कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद बनी भाजपा सरकार के मंत्रियों को कांग्रेस कभी घेर नही पाई, जंगी प्रदर्शनों के बजाए धरनों और मौन व्रतों से काम चलाया। स्मार्ट सिटी की लापरवाही हो या बिजली की परेशानी, सडकों की समस्या हो या स्थानीय मुद्दे, ग्वालियर शहर कांग्रेस केवल सांकेतिक दल बना रहा, विपक्ष नजर नही आया।
लिहाजा नई दम भरने की कोशिश कर रही कांग्रेस को किसी डायनामिक और आक्रामक जिलाध्यक्ष की जरूरत है जो बीजेपी के खिलाफ अगले साल चुनाव से पहले ही दमदारी से खडा हो और जनता के बीच कांग्रेस की जरूरत को पहुंचा सके, संगठन में तालमेल बना सके। देखना है कांग्रेस आलाकमान का निर्णय इस बार निष्पक्ष होता है या फिर किसी सिफारिशी को जिलाध्यक्ष को कमान सौंपी जाएगी।