
(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर04 मार्च2023।15 ग्वालियर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की तरफ से अब तक अकेले उम्मीदवार समझे जा रहे सुनील शर्मा को इस बार टिकट के लिए भी लडाई लडनी होगी, क्योंकि कांग्रेस की तरफ से इस विधानसभा सीट से फिलहाल सबसे ज्यादा दावेदार नजर आ रहे है और सुनील शर्मा को छोडकर सभी दावेदार क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखते है। सुनील शर्मा यहां से 2020 का उपचुनाव प्रधुम्न सिंह तोमर के खिलाफ लड चुके है लेकिन इस बार कांग्रेस आलाकमान टिकट के लिए सर्वे को आधार बनाने की बात कह रहा है ऐसे में सुनील शर्मा को उपचुनाव की तरह झोली में टिकट मिलने के आसार बहुत कम नजर आ रहे है।
फिलहाल कांग्रेस की तरफ से सुनील शर्मा के अलावा जिनकी दावेदारी सामने आ रही है उनमें कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता सौरभ मुन्ना सिंह तोमर, राजेंद्र नाती, योगेंद्र तोमर, अशोक तोमर के नाम प्रमुख रूप से शामिल है। हाल ही में सौरभ मुन्ना सिंह तोमर ने मीडिया के सामने खुलकर अपनी दावेदारी जता भी दी और स्पष्ट किया कि अगर पार्टी ने चुनाव लडने के लिए उन्हे चुना तो पूरी ताकत के साथ चुनाव लडेंगें। सौरभ तोमर ने विधानसभा क्षेत्र में लोगों से विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए संपर्क बढाना शुरू कर दिया है
वहीं राजेंद्र नाती ने भी कुछ दिनों पहले अपने दादा जी कद्दावर इंटक नेता स्व. सुमेर सिंह के ऊपर एक किताब का विमोचन भी दिग्विजय सिंह के हाथों करवाया था। तो योगेंद्र तोमर धार्मिक कार्यक्रम आयोजन के जरिए लोगों से जुडने की कोशिश कर रहे है वहीं अशोक तोमर पिछले चुनाव में भी टिकट की मांग कर चुके है। इनमें एक नाम कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष स्व. दर्शन सिंह यादव के पुत्र मितेंद्र सिंह का नाम भी लिया जा सकता है जो टिकट के लिए कोशिश कर रहे है।
इस विधानसभा सीट से कांग्रेस-बीजेपी ने पिछले 6 चुनावों में क्षत्रिय समाज के दावेदारों पर दांव खेला और जीत हासिल की। यानि क्षत्रिय समाज के प्रत्याशी ने ही यहां से जीत हासिल की है इस लिहाज से भी इस बार सुनील शर्मा की दावेदारी कुछ कमजोर पड सकती है। ये बात सही है कि उपचुनाव हारने के बाद से सुनील शर्मा क्षेत्र में सक्रिय जरूर है लेकिन जातिगत समीकरण चुनावी उलटफेर में बडा फैक्टर साबित होते है ऐसे में कांग्रेस आलाकमान हर विकल्प को परखने के बाद ही फैसला लेगा, जो सर्वे का भी आधार होगा।
दरअसल इस सीट पर क्षत्रिय समाज की गणित ज्यादा काम करता है क्योंकि जानकार बताते है कि यहां क्षत्रिय समाज का प्रत्याशी केवल टिकट की दम पर जीत हासिल नही करता, बल्कि क्षत्रिय समाज के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सपोर्ट से जीतता है क्योंकि यहां चुनाव के समय बीजेपी के क्षत्रिय नेता कांग्रेस के प्रत्याशी की और कांग्रेस के क्षत्रिय नेता बीजेपी प्रत्याशी की मदद करत रहे है हांलाकि इसका कोई रिकार्ड नही है लेकिन अँदरखाने में सब जगजाहिर है ऐसे में 2023 का विधानसभा चुनाव भी इसी परंपरा पर आगे बढेगा, इसके ही आसार ज्यादा है।