
ग्वालियर10सितंबर2024। पुरानी छावनी तहसील के सैंथरी गांव के किसानों ने अपनी निजी भूमि को सरकारी किए जाने की लडाई 11 साल तक लड़ी, 6 साल पहले ग्वालियर के संभागायुक्त ने भी किसानों को असली भूस्वामी मानकर उनका नाम खसरे में दर्ज किए जाने का आदेश कर दिया, लेकिन उस पर तहसीलदार ने आज तक अमल नही किया। जिसके बाद परेशान किसान जनसुनवाई में पहुंचे और कलेक्टर से कहा है कि अगर अब आपने हमारी मदद नही की, तो हमारे पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नही बचेगा। किसानों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री और ग्वालियर सांसद को भी पत्र लिखा है।


दरअसल पुरानी छावनी तहसील वृत के ग्राम सैंथरी के सर्वे क्रमांक 718/1/2, 852 मिन, 855 /4 की लगभग 16 बीघा किसानों की पुश्तैनी भूमि को वर्ष 2007 में एक शिकायत के आधार पर खसरा के 12 नंबर खाने में शासकीय दर्ज कर दिया गया था। किसानों ने इसके बाद एसडीओ के यहां अपील की, लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद किसान अपील लेकर ग्वालियर के संभागायुक्त के पास पहुंचे। वर्ष 2018 में संभागायुक्त ने किसानों के हक में फैसला सुनाया, और उन्हे असली भूस्वामी मानते हुए खसरे में दर्ज शासकीय हटाने का आदेश दिया।
लेकिन किसानों की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई। 6 साल पहले संभागायुक्त के फैसले का अमल आज तक नही हो पाया है। किसान फैसले का अमल कराने के लिए तहसील आफिस के चक्कर पर चक्कर काटकर थक चुके है। जिसके बाद उन्होने 20 अगस्त को जनसुनवाई में लिखित आवेदन देकर कहा है कि अब भी मदद नही हुई तो आत्महत्या करनी पड़ेगी।
जानकारी के मुताबिक इस सरकारी लेतलाली के चलते लगभग दो दर्जन से ज्यादा किसान परेशान है क्योंकि संभाग आयुक्त के फैसले के बाद भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है कई किसान बेहद जरूरतमंद है लेकिन खसरे में दुरुस्ती नहीं होने के चलते वह अपनी जमीन चाहकर भी बेच नहीं पा रहे हैं
इनका कहना है :
“तहसीलदार वृत्त पुरानी छावनी के समक्ष हमने कई बार निवेदन किया कि आप कमिश्नर साहब के आदेश को खसरे में अमल कर दें। परंतु उन्होने हमारी कोई सुनवाई नहीं की है, हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, परंतु आदेश का अमल नहीं होने के कारण हम अपनी भूमि को बेच भी नहीं पा रहे, बच्चियो की शादी भी करनी है वह भी हम नही कर पा रहे। परिवार में जो सदस्य बीमार है उनका इलाज भी सही ढंग से नही हो पा रहा है, तहसीलदार साहब द्वारा जिस प्रकार की लापरवाही की जा रही है उससे हम बहुत मानसिक रूप से प्रताडित हो चुके है। 11 साल लंबी लडाई लडने के बाद हमारे हित मे वर्ष 2018 मे कमिश्नर साहब ने आदेश किया था किन्तु आज आदेश हुये 6 साल हो चुके है और उनका आज दिनांक तक अमल नहीं हुआ है, अगर अभी हमारी सुनवाई नहीं हुई तो हमारे पास आत्महत्या करने के बाद कोई रास्ता नही रह जायेगा।”
छत्रपाल, प्रभावित किसान
“पहले सेंथरी मुरार तहसील में था अभी कुछ समय पहले ही मेरे पास आया है आप जिस सर्वे नंबर और प्रकरण की बात कर रहे हैं वह मुझे अभी याद नहीं आ रहा है आप आवेदकों को मेरे पास भेज दीजिए या जानकारी भेज दीजिए उसे देखने के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा”
राघवेंद्र सिंह कुशवाह तहसीलदार पुरानी छावनी वृत्त