दीपों का पर्वः आशा, आत्मविश्वास और एकता का प्रतीक-आशीष अग्रवाल

(लेखक: आशीष अग्रवाल, मीडिया प्रभारी, भारतीय जनता पार्टी (मध्यप्रदेश)

दीपावली केवल पंचांग की तिथि या वर्ष में एक बार आने वाला धार्मिक अनुष्ठान मात्र नहीं है; यह ‘राष्ट्र के नव-जागरण’ का वो विराट उत्सव है, जो भारत की सभ्यता और सनातन संस्कृति की आत्मा में बसा है। यह पर्व चिर-पुरातन काल से हमें एक शाश्वत संदेश देता रहा है—तमसो मा ज्योतिर्गमय—अर्थात, हमें अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर अग्रसर होना है। यह केवल प्रतीकों का खेल नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की, नकारात्मकता पर सकारात्मकता की, और हर चुनौती पर अदम्य आशा की विजय का उद्घोष है।

हर टिमटिमाता दीपक हमें यह याद दिलाता है कि भले ही परिस्थितियाँ कितनी भी विषम क्यों न हों, कर्तव्यनिष्ठा और सकारात्मकता की एक छोटी सी लौ भी घनघोर निराशा को परास्त करने की शक्ति रखती है। एक नागरिक के रूप में, दीपावली हमें व्यक्तिगत आत्ममंथन का अवसर देती है। हम जिस मनोयोग से अपने घरों की साज-सज्जा और स्वच्छता करते हैं, ठीक उसी तरह हमें अपने विचारों, वाणी और व्यवहार को भी स्वच्छ, उज्जवल और सद्भाव से परिपूर्ण करने का संकल्प लेना चाहिए।

आज जब देश एक ‘अमृत काल’ से गुज़र रहा है, तब इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। दीपावली हमें सिखाती है कि हमें अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन उसी समर्पण से करना है, जिससे प्रभु श्री राम ने धर्म की स्थापना की थी।

एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता के तौर पर मेरा यह मानना है कि स्वच्छता, सद्भाव और संगठनात्मक एकता ही दीपावली के सच्चे अर्थ हैं। हम सभी के भीतर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना का एक दीपक प्रज्वलित है। यह दीपक है—सकारात्मक सोच का, कर्तव्य के प्रति अटूट निष्ठा का, और देशभक्ति के प्रबल राष्ट्रवाद का।

यदि हम हर दिन, प्रत्येक कार्य में उस आंतरिक प्रकाश को जलाए रखें, उसे अपनी ऊर्जा का स्रोत बना लें, तो हम न केवल अपने जीवन को समृद्ध करेंगे, बल्कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के संकल्प को भी सिद्ध कर पाएंगे।

दीपावली के इस पावन अवसर पर, मेरा सभी देशवासियों से यही विनम्र आह्वान है: आइए, हम अपने भीतर की शक्ति और प्रकाश को पहचानें। हर ज़रूरतमंद के जीवन में थोड़ी सी आशा की रोशनी बाँटें, और इस पर्व को केवल मिठाई तक सीमित न रखकर, सच्चे अर्थों में ‘राष्ट्रीय उत्थान और सामूहिक चेतना का महाउत्सव’ बनाएं।

शुभ दीपावली!

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