ग्वालियर27अगस्त205। ग्वालियर व्यापार मेला की दुकानों को ईटेंडरिंग के जरिए नीलाम किए जाने की मेला प्राधिकरण की तैयारियों के खिलाफ सभी मेला व्यापारी कल गुरुवार, 28 अगस्त को मेला प्राधिकरण मुख्यालय पर ढोल ताशे बजाकर अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह ऐलान आज श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र भदकारिया, संयोजक उमेश उप्पल, सचिव महेश मुदग़ल, संयुक्त अध्यक्ष व प्रवक्ता अनिल पुनियानी, सह संयुक्त अध्यक्ष कल्ली पंडित, कार्यकारी अध्यक्ष अनुज सिंह गुर्जर, उपाध्यक्ष हरिकांत समाधिया ने संयुक्त रूप से किया।
मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारीगण ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला की 75 प्रतिशत दुकानों को ईं टेंडर के माध्यम से आवंटित किए जाने के मेला प्राधिकरण बोर्ड के निर्णय से मेला में विगत कई पीढ़ियों से दुकानें लगाते आ रहे पारंपरिक व्यापारियों एवं दुकानदारों में अपने एवं इस सवासौ साल पुराने मेला के भविष्य के प्रति गहन चिंता व्याप्त हो गई है। मेला व्यापारियों ने प्राधिकरण के इस प्रस्ताव को अपने पारंपरिक व्यापार व्यवसाय पर चोट के साथ ही ग्वालियर की सवासौ साल पुरानी ऐतिहासिक विरासत पर भी प्रहार निरूपित किया है।
मेला व्यापारियों ने उक्त निर्णय शीघ्र वापस लिए जाने की मांग करते हुए मेला प्राधिकरण पर दवाब बनाने के लिए अभी तक कई बार विरोध प्रदर्शन किए हैं लेकिन मेला प्राधिकरण के कर्ताधर्ता अपनी हठधर्मिता पर बने हुए हैं। मजबूर होकर मेला व्यापारी संघ ने कल गुरुवार, 28 अगस्त को पूर्वान्ह 11 बजे मेला प्राधिकरण मुख्यालय पर ढोल ताशे बजाकर मेला प्राधिकरण एवं राज्य शासन को निद्रा से जगाने की घोषणा की है।
इस धरना प्रदर्शन के बाद भी बात नहीं बनती है तो मेला व्यापारियों का आने वाले वक्त में प्रदर्शन और जंगी होगा और इसमें मेला व्यापारियों के अलावा शहर के अन्य व्यापारी संगठन और शहरवासी भी सम्मिलित होंगे।
प्रदर्शन से भी बात नहीं बनी तो उठाएंगे अन्य कठोर आंदोलनात्मक कदम
ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र भदकारिया, संयोजक उमेश उप्पल, सचिव महेश मुदग़ल, संयुक्त अध्यक्ष व प्रवक्ता अनिल पुनियानी ने मेला प्राधिकरण के कर्ताधर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि इससे पहले कि यह आंदोलन उग्र रूप धारण करे, मेला प्राधिकरण को तत्काल प्रभाव से यह व्यापार विरोधी फैसला वापस ले लेना चाहिए।
ग्वालियर का व्यापार जगत यह निर्णय बदलवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यह नई तुगलकी प्रक्रिया अपनाए जाने पर उन्हें मेला व्यापारियों को दुकान आवंटन में भविष्य में होने वाली असुविधा एवं समस्याओं की आशंका सता रही है।
मेला व्यापारी अभी सिर्फ ढोल ताशे बजाकर ही शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रख रहे हैं। दुकान आवंटन की ईटेंडर प्रक्रिया अपनाए जाने से मेला व्यापारियों की दुकानों पर मंडरा रहे इस संकट को लेकर मेला व्यापारी संघ अपनी चिंताओं से वरिष्ठ जनप्रतिधिनियों को पहले ही अवगत करा चुका है।
ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने पर नहीं एतराज
श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र भदकारिया, सचिव महेश मुदग़ल, संयुक्त अध्यक्ष व प्रवक्ता अनिल पुनियानी ने मांग कि मेला में विगत वर्ष दुकानें लगाने वाले व्यापारियों से तत्काल पैसा जमा कराकर उन्हें दुकानें आवंटित की जाएं। मेला व्यापारी संघ को ऑनलाइन प्रक्रिया पर कोई एतराज नहीं है लेकिन ईटेंडर प्रोसेस को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने मेला प्राधिकरण के अव्यावहारिक एवं असंवेदनशील निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि व्यापार मेला की 75 प्रतिशत दुकानों को ईं टेंडर के माध्यम से आवंटित किया जाना और सिर्फ 25 प्रतिशत दुकानें ही पुराने दुकानदारों को प्राथमिकता के आधार पर आवंटित करना कहीं से भी उचित नहीं है। मेला व्यापारी संघ के मुताबिक हो सकता है कि मेला में पांच प्रतिशत शिकमी दुकानदार हों, अथवा वे दुकानों का गलत तरह से हेरफेर करते हों लेकिन उनके इस कृत्य की सजा सभी सौ प्रतिशत दुकानदारों को नहीं दी जा सकती है।
मेला व्यापारी संघ ने कहा कि ग्वालियर मेला में यदि शिकमी या नकली दुकानदार है तो उसकी जांच कर उनके आवंटन निरस्त किए जाएं। निष्पक्ष जांच कराने का दायित्व मेला प्राधिकरण का है। व्यापारी संघ ने अपने इस मत को दोहराया कि मेला में दुकान आवंटन की वही प्रक्रिया अनवरत रखी जाए जो पिछले 119 साल से मेला में जारी है। अधिकांश दुकानदार आधुनिक तकनीक से अनभिज्ञ हैं, नतीजन ई टेंडर करने से पीढ़ी दर पीढ़ी दुकानें लगाते आ रहे पारम्परिक दुकानदार वंचित रह जाएंगे क्योंकि अधिक बोली लगाने वाले लोग दुकानें हासिल कर लेंगे।
मेला प्राधिकरण बोर्ड को यह ध्यान में रखना चाहिए कि मेला आयोजन का उद्देश्य सरकार द्वारा मुनाफा कमाना नहीं बल्कि ग्वालियर मेला के जरिए व्यापारिक एवं सांस्कृतिक वातावरण विकसित करना है। महान सिंधिया शासकों द्वारा स्थापित गौरवशाली विरासत की रक्षा जरूरी है और इसके लिए मेला व्यापारी किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं