ग्वालियर04 दिसम्बर 2024 – जिले में डेंगू व चिकनगुनिया केस की वृद्धि व वर्तमान स्थिति को देखते हुये इनकी रोकथाम व डेंगू से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी की गई है।
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वैभव श्रीवास्तव एवं डॉ. अनुज शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि नगर निगम आयुक्त श्री अमन वैष्णव के निर्देशानुसार डेंगू, चिकनगुनिया से बचाव हेतु एडवाइजरी की गई है। जिसमें डेंगू व चिकनगुनिया एडीज नामक मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारी है। यह मच्छर हमारे घर व आसपास साफ एवं रुके पानी में ही पनपता है। डेंगू का मच्छर सामन्यतः दिन में काटता है व उत्पत्ति स्थल के 400 मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है तथा घरों में नमी व अंधेरे वाले स्थानों में छुपकर विश्राम करता है।
हमारे घर, छत एवं आसपास विभिन्न प्रकार के खुले पडे जलपात्रो जैसे पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिटटी के दिये, छत, मटके, पाइप, गढ़ढे, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोटल कप, गिलास, टूटा फुटा सामान, खिलौने, कनस्तर व अन्य सामान में भरा साफ पानी मच्छरों के पनपने के प्रमुख स्थान है। इनमें मच्छर अण्डे देते हैं. इनसे 2-3 दिवस में लार्यों निकलता है 3-4 दिन बाद प्यूपा में बदलकर 3 दिन बाद मच्छर बनकर उड़ जाता है इस प्रकार 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक्र साफ व रुके पानी में पूर्ण करते हैं। अतः इनकी रोकथाम हेतु एसे समस्त जलपात्रों में भरा पानी शीघ्र खाली करें व नियमित रुप से 7 दिवस के भीतर जलपात्रों में भरा पानी खाली करे।
एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वास्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते है और स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू से बीमार हो जाते है। डेंगू संक्रमित व्यक्ति को प्रारंभिक लक्षण जैसे कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं इसके पश्चात मरीज के शरीर, आखों में रक्त के चकत्ते दिखना या नाक, मसूड़े, या अन्य स्थान से रक्तस्राव होने व उल्टी के लक्षण दिखायी देते है। उपचार में विलम्ब से बीमारी की गंभीरता में मरीज को चक्कर आना, मूर्छित होना, या साक में चले जाने की स्थिति बन सकती है। अतः उक्त लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित उपचार लेना चाहिये।
डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा विशेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे मरीज गंभीर भी हो सकता है अतः चिकित्सक से परामर्श उपरान्त ही उचित उपचार लेवें। बुखार होने पर पेरासिटामोल की दवा (उम्रानुसार उचित मात्रा में) ली जा सकती है। संभावित डेंगू के लक्षण होने पर झोलाछाप व अप्रशिक्षित, अवैध उपचार करने वालों से उपचार नहीं करावे इससे स्वास्थ्य स्थिति बिगड सकती है।
डेंगू होने पर डरने व घबराने की अनावश्यक नहीं है अनावश्यक दवाओं व भ्रांतियों से बचे व चिकित्सक अथवा अस्पताल में उचित उपचार लेवें। जिले में डेंगू व चिकनगुनिया की जांच जिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में निःशुल्क की जाती है। संभावित रोगी तत्काल अपनी जांच करावें। ताकि समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान कर उपचार किया जा सके व प्रभावित क्षेत्र में नियंत्रण कार्यवाई की जा सके। जांच में डेंगू या चिकनगुनिया की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलों का रस, नारियल पानी, दाल का पानी, ओ.आर.एस, का घोल व पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से शीघ्र लाभ मिलता है।
डेंगू चिकनगुनिया के प्रसार को रोकने व बचाव के लिये अपने घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नहीं होने दें व खुली टंकियों को ढक कर रखें, अनावश्यक कबाड़ का सामान नष्ट करें या उनमें पानी इकटठा न होने दें। सप्ताह में एक बार आवश्यक रुप से टंकी, मटके, कूलर व अन्य उपयोगी जल पात्रों में भरा पानी बदले व जिन अनुपयोगी जल पात्रों को का पानी नहीं बदल सकते उनमें मिटटी का तेल, खाने का तेल, गाड़ियों से निकला ऑयल डालने से लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते है। मच्छरों से बचाव के लिये हमें पूरे बांह के कपडे पहनना चाहिये, दिन में मास्क्यूटो रिपेलेंट व मच्छर रोधी क्रीम, अगरबत्ती का उपयोग करना चाहिये तथा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिये।
डेंगू व चिकनगुनिया से बचाव की जानकारी आपस में अपनी परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों व सोसाइटी को भी बताये जिससे सभी जन स्वयं अपने घर व आसपास डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति को राकने में अपना सहयोग दे सकें। डेंगू की जानकारी व जन सहयोग से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है।