(जितेन्द्र पाठक,ग्वालियर)
ग्वालियर । इस बार दीपावली आई और निगम की मेहरबानी से एक बडे बाजार का अच्छा खासा धंधा हो गया। धँधे के पीछे कहानी कुछ ऐसी थी कि निगम के प्रचार प्रसार का जिम्मा संभालने वाले साहब बहादुर ने दीवाली पर 250 से भी अधिक कूपन खबरनवीसों को बंटवाए। एक कूपन एक हजार रूपए की कीमत का था और खबरनवीसों के चेहरे के हिसाब से किसी पर 5 हजार तो किसी पर 10 हजार के कूपनों की कृपा की गई। पांच और दस कूपनों का गिफ्ट सेट बनाकर निगम के पब्लिक रिलेशन वाले एक साहब ने बंटवा दिए।
कुल कूपनों की कीमत लाखों में पहुंच गई है। कूपनों के खेल में खेलने वाले खबरी कहते है कि इन कूपनों के लिए रकम का इंतजाम निगम के ठेकेदारों को किए जाने वाले भुगतान से किया गया है। निगम के वित्त विभाग के एक आला अफसर ने इसके लिए उगाही की, और खबरनवीसों से सतत संपर्क में जुटे साहब को बंद लिफाफा थमा दिया।
अपने हरिराम बताते है कि निगम के विनम्र मुखिया महोदय के‘कान’लगे प्रचार वाले साहब ने अपने चहेतों की लिस्ट बनाई और अपने चेले चपाटों को एक टैक्सी मे भेजकर उन्हे बकायादा मिठाई के संग बंटवाया। इसमें पी……ओ साहब का फायदा ये हुआ कि उन्होने आधे कूपन तो खबरनवीसों को बांटे और आधे दबा लिए।
अब ये साहब बडे बाजार का रोज चुपचाप चक्कर लगा रहे है और घर गृहस्थी का आयटम कूपनों से ही पर्चेज कर रहे है। फिलहाल उनकी दीवाली तो अभी तक चल रही है। जिन खबरनवीसों को कूपन मिले, वो बडे बाजार में कूपन खर्च कर रहे है और जब दूसरा खबरनवीस भी वहां मिल जाता है तो एक दूसरे से नजर चुराते नजर आते है।
चर्चा है कि शहद की तरह नामधारी मिठास वाले पी….ओ साहब जैसा मुखिया महोदय को घुमा रहे है वैसा ही वह घूम रहे है। और हो भी क्यों न….क्योंकि बडे साहब ने निगम में कदम रखने के बाद पहली कलम भैया जी के पुर्नवास आदेश के लिए चलाई थी।
कूपन जैसे खेल पहले भी हो चुके है लेकिन पी..ओ साहब की सेटिंग तगडी है कमलनाथ सरकार में जय कमलनाथ बोल रहे थे अब मंत्री जी के भाई की जय बोल सबको घुमा रहे है। बहरहाल पिक्चर अभी बाकी है……..