15 करोड. की जमीन हडपने की साजिश, GDA के अधिकारियों ने दौडाए केवल कागजी घोडे.

(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)

ग्वालियर। ग्राम विक्रमपुर में सर्वे क्रमांक 215 की जमीन जीडीए की लापरवाही और भूमाफिया के फर्जीवाडे का शिकार हो रही है। भूमाफिया की जमीन खुर्द बुर्द करने की तैयारी का आलम ये है कि उसने सरकारी विभागों को ही गुमराह कर नजूल एनओसी और डायवर्सन तक हासिल कर लिया, इतना ही नही कुछ प्लॉटों की तो रजिस्ट्री तक हो चुकी है। लेकिन जीडीए के अधिकारी सोते रहे और सरकारी जमीन हाथ से जाती रही। इस जमीन का वर्तमान बाजारू मूल्य करीब 15 करोड रूपए बताया जाता है। हांलाकि अब जीडीए के अधिकारी नींद से जागकर कुछ पत्राचार जरूर कर रहे है। या यूं कहें, कि अब भी कागजी घोडे दौडा रहे है।

क्या है मामला

ग्राम विक्रमपुर के सर्वे क्रमांक 215 की 5 बीघा 9 बिस्वा जमीन ग्वालियर विकास प्राधिकरण(जीडीए) द्वारा अनुबंधित भूमि है जिसे जीडीए ने वर्ष 1996 में कृषक कल्याण सिंह पुत्र जालिम सिंह निवासी ग्राम विक्रमपुर से स्याद्वाद गृह निर्माण समिति के माध्यम से त्रिपक्षीय अनुबंध के जरिए प्राप्त किया था। एवं उक्त भूमि के बदले प्लॉटों का आवंटन भी कर दिया था लेकिन इसके बाद भी रेखा पाल पत्नी मुरारी पाल एवं पिंकी पाल पत्नी मनीष पाल निवासी रेजीडेंसी कॉलोनी, गोले का मंदिर, मुरार  ने सबकुछ जानते हुए भी वर्ष 2003 में ये जमीन कल्याण सिंह से रजिस्टर्ड बयनामे के जरिए खरीद ली। इस मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में रिटी पिटीशन क्रमांक 5025/2008 मुरारीलाल बघेल विरूद्ध म.प्र.शासन वर्तमान में भी विचाराधीन है।

ग्राम विक्रमपुर के सर्वे क्रमांक 215 की 5 बीघा 9 बिस्वा जमीन ग्वालियर विकास प्राधिकरण(जीडीए) द्वारा अनुबंधित भूमि है जिसे जीडीए ने वर्ष 1996 में कृषक कल्याण सिंह पुत्र जालिम सिंह निवासी ग्राम विक्रमपुर से स्याद्वाद गृह निर्माण समिति के माध्यम से त्रिपक्षीय अनुबंध के जरिए प्राप्त किया था। एवं उक्त भूमि के बदले प्लॉटों का आवंटन भी कर दिया था लेकिन इसके बाद भी रेखा पाल पत्नी मुरारी पाल एवं पिंकी पाल पत्नी मनीष पाल निवासी रेजीडेंसी कॉलोनी, गोले का मंदिर, मुरार  ने सबकुछ जानते हुए भी वर्ष 2003 में ये जमीन कल्याण सिंह से रजिस्टर्ड बयनामे के जरिए खरीद ली। इस मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में रिटी पिटीशन क्रमांक 5025/2008 मुरारीलाल बघेल विरूद्ध म.प्र.शासन वर्तमान में भी विचाराधीन है।

उच्च न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण

भूमाफिया ने प्रशासन से लेकर हाईकोर्ट तक को गुमराह किया

कल्याण सिंह से जमीन खरीदने वाली रेखा पाल(बघेल) पत्नी मुरारी पाल एवं पिंकी पाल(बघेल) पत्नी मनीष पाल का उक्त जमीन से संबंधित मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था लेकिन उससे पहले ही इन्हे जमीन को खुर्द बुर्द करने की जल्दी थी लिहाजा इन्होने एसडीएम, मुरार, ग्वालियर के न्यायालय में नजूल अनापत्ति आवेदन (प्रकरण क्रमांक 109/2011-12/बी-121) दिया गया, जिसमें दिए गए शपथ पत्र में कहा गया कि इस भूमि पर किसी भी न्यायाल में कोई भी विवाद प्रचलित नही है, जिसके चलते आदेश दिनांक 03.9.2012 के द्वारा नजूल एनओसी हासिल कर ली गई। इसी प्रकार फर्जी तथ्यों और तथ्यों को छिपाकर (प्रकरण क्रमांक 116/2017-18/172-1 आदेश दिनांक 22.9.2018) इस जमीन का डायवर्सन भी करा लिया गया। जबकि इस मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में रिटी पिटीशन क्रमांक 5025/2008 मुरारीलाल बघेल विरूद्ध म.प्र.शासन वर्तमान में भी विचाराधीन है।

जीडीए कार्यालय भवन

जीडीए के अधिकारी सोते रहे, प्लॉटों की रजिस्ट्री भी कर दी गई

रेखा पाल एवं पिंकी पाल ने जीडीए के अधिकारियों की लापरवाही और सुस्ती का पूरा फायदा उठाया। और बिना टीएंडसीपी एवं नगर निगम की अनुमति खंड खंड कर प्लॉटों की बिक्री शुरू कर दी। जानकारी के मुताबिक दिनांक 03.8.2010 को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के जरिए सर्वे नंबर 215 में से 1200 वर्गफीट की रजिस्ट्री श्रीमती ममतादेवी पत्नी श्यामवीर सिंह भदौरिया निवासी पिंटों पार्क गोला का मंदिर, 1400 वर्गफीट जमीन की रजिस्ट्री दिनांक 23.8.2012 को श्रीमती राजेश पाल पत्नी स्व.बालेश्वर दयाल निवासी पंडित विहार कॉलोनी ग्वालियर, 23.8.2012 को ही 1400 वर्गफीट भूमि जमीन की रजिस्ट्री विनोद कुमार पाल पुत्र देवीदयाल पाल के हित में संपादित कर दी गई, इसके अलावा अन्य प्लॉटों के विक्रय की जानकारी भी सूत्र बताते है।

विक्रमपुर की संबंधित जमीन पर रेखा पाल अपने पति मुरारी के साथ(फाइल फोटो)

खानापूर्ति करते रहे जीडीए के अधिकारी, मौके पर कॉलोनी कटती रही

इस मामले में जीडीए ने अपनी अनुबंधित जमीन बेचने के मामले में विक्रेता किसान कल्याण सिंह के खिलाफ महाराजपुरा थाना में वर्ष 2020 में एफआईआर दर्ज करवा दी थी लेकिन मौके पर जमीन को बचाने की कोई ठोस कोशिश नही की। उधर जमीन खरीदने वालों ने जीडीए की जमीन पर सीवर-सडके बिछाने का काम शुरू कर दिया, प्लाटिंग की लाइनिंग भी कर दी थी। लेकिन शिकायत होने के बाद दो साल पहले जरूर जीडीए ने सख्ती कर मौके पर कब्जा ले लिया था। लेकिन अब फिर वही हालात हो गए है।

जीडीए की दो वर्ष पूर्व की कार्यवाही का फाईल फोटो

समाचार पत्रों की विज्ञप्तियों तक में हुआ में जीडीए की जमीन का बंदरबांट का खेल

जीडीए अपनी जमीन को बचाने के लिए जो भी प्रयास कर रहा है उससे ज्यादा प्रयास इस जमीन की बंदरबांट के लिए हो रहा है रेखा पाल और पिंकी पाल द्वारा उक्त भूमि को बेचने के लिए जो अनुबंध किया गया है उस अनंबुध को निरस्त कर किसी और से अनुबंध करने तक की विज्ञप्तियों की अखबारों में खुलेआम प्रकाश कराया गया। जिसका खंडन आदि भी समाचार पत्रों के माध्यम से ही प्रकाशित हुआ, इसके बाद जीडीए के अधिकारी नींद से जागे और अन्य शासकीय विभागों में पत्राचार कर सर्वे क्रमांक 215 की भूमि का ले आउट पास न करने, रजिस्ट्री न करने, नामांतरण, बटांकन, सीमांकन न करने के लिए कहा है।

अधिकारियों ने अब भी नजूल एनओसी और डायवर्सन निरस्त कराने नही उठाया कदम

जीडीए के अधिकारियों ने संयुक्त संचालक टीएंडसीपी, तहसीलदार, जिला पंजीयक और नगर निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर ले आउट पास न करने, रजिस्ट्री न करने, नामांतरण, बटांकन, सीमांकन न करने के लिए पत्र लिखा है लेकिन अब भी रेखा पाल और पिंकी पाल द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर हासिल की गई नजूल एनओसी और डायवर्सन निरस्त कराने के संबंध में अब तक कोई कार्यवाही नही है यही वजह है कि मौके पर एनओसी और डायवर्सन दिखाकर प्लॉट बेचे जा रहे है वहीं जीडीए के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है।

जीडीए द्वारा विभिन्न शासकीय कार्यालयों को लिखे गए पत्र

अभी भी मौके पर अवैध कॉलोनी बनाने की हो रही है तैयारी

वर्ष 2020 में ग्वालियर में चल रहे एंटी माफिया अभियान के तहत जरूर यहां पर कार्यवाही कर जीडीए ने मौके पर अपना अधिपत्य लेकर वाहवाही लूटी थी और अखबारों में जमीन मुक्त कराने की खबरें प्रकाशित करवाई थी लेकिन उसके बाद अधिकारी दोबारा नींद में चले गए, और हुआ ये कि अब भी मौक पर जमीन को खुर्द बुर्द करने वाले सडक सीवर डालने का काम कर रहे है। लेकिन उसके बाद जीडीए के साईट इंजीनियर, संपदा अधिकारी, सीईओ का ये रवैया बताता है कि उनकी ये ढील ही जीडीए की जमीनों को हडपने वालों के हौसलें बुलंद करती है।

मौके पर सडक सीवर बिछाने के काम जारी

शिकायतों के बाद जीडीए का रवैया गैरजिम्मेदाराना

कायदे से जीडीए के साईट इंजीनियरों से ये बात छिपी नही है कि विक्रमपुर के सर्वे नंबर 215 की जमीन को खुर्द बुर्द करने की तेजी से तैयारी चल रही है लेकिन उन्होने खुद उस पर किसी तरह की स्वंय संज्ञान लेकर कार्यवाही करने में लापरवाही बरती, यहां तक कि शिकायकर्ता भूपेंद्र सिंह द्वारा की गई शिकायतों और शिकायत के रिमाइँडर के  बाद भी त्वरित कार्यवाही की जानी चाहिए थी लेकिन जीडीए शायद इंतजार कर रहा है कि ये सरकारी जमीन भी भूमाफिया का शिकार हो जाए। शिकायतकर्ता भूपेंद्र सिंह ने पूरे मामले की शिकायत प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन, डीजीपी मप्र., कमिश्नर ग्वालियर संभाग, कलेक्टर ग्वालियर, सीईओ जीडीए और एसडीएम मुरार को की है फिलहाल इस मामले में कलेक्टर ग्वालियर द्वारा भी अवैध कॉलोनाइजिंग के संबंध में जांच कराई जा रही है।

शिकायकर्ता भूपेंद्र सिंह द्वारा की गई शिकायतें

उच्च न्यायालय की अवमानना का मामला भी

किसान कल्याण सिंह से जमीन खरीदने वाली रेखा पाल पत्नी मुरारी पाल एंव पिंकी पाल पत्नी मनीष पाल की हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में रिट पिटीशन क्रमांक 5025/2008 मुरारीलाल बघेल विरूद्ध म.प्र.शासन वर्तमान में भी विचाराधीन है इस तरह मामला उच्च न्यायालय में लंबित रहने के दौरान भी विक्रमपुर की सर्वे नंबर 215 की जमीन की प्लॉटिंग कर बेचना और न्यायालय में चल रही पिटीशन की जानकारी छिपाकर नजूल एनओसी हासिल कर डायवर्सन कराना न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है क्योंकि जब तक प्रकरण का निराकरण नही हो जाता, तब तक उक्त भूमि एक तरह से न्यायालय की ही मानी जाएगी, और न्यायालय ही उस जमीन के स्वत्व, स्वामित्व और अधिपत्य का फैसला करेगा, लेकिन उससे पहले ही उक्त कृत्य न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है

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