शहर कमल दल मुखिया: मैं चाहे ये करूँ.. मैं चाहे वो करूँ.. मेरी मर्ज़ी

( जितेंद्र पाठक, ग्वालियर )

ग्वालियर। मैं चाहे ये करूं…मैं चाहे वो  करूं…..मेरी मर्जी……चर्चा है कि ग्वालियर कमल दल के मुखिया इसी पैटर्न पर चल रहे है भाजपा के अंदरखाने में मुखिया जी की ये कार्यशैली चर्चा का विषय बनी हुई है हाल ही में मुखिया जी दो कार्यक्रमों में से नदारद दिखे, इनमें से एक कार्यक्रम तो भाजपा संगठन से जुडा था। दो दिन पहले मौन धरना और मानव श्रंखला का कार्यक्रम भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चे की तरफ से रखा गया था। इसमें भाजपा के चुनाव चिन्ह के नाम वाले मुखिया जी तशरीफ नही लाए…जबकि इसी दिन वो प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट के साथ साए की तरह घूमते नजर आए…चर्चा है कि संगठन के कार्यक्रम को इग्नोर कर मंत्री सिलावट के साथ मुखिया की हाजिरी भाजपा संगठन की कार्यशैली के अनुरूप नही है वहीं अनुसूचित जाति मोर्चे के सूत्र बताते  है कि अनुसूचित जाति मोर्चे के जिलाध्यक्ष की नियुक्ति भी शहर सदर के कोटे से नही हुई है और शहर सदर के कोटे या अनुशंसा से काम नही होता…तो फिर उसे वो भाव नही देते…

दूसरा कार्यक्रम मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष शैलेंद्र बरुआ के प्रथम नगर आगमन पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत कार्यक्रम का था गांधी रोड विश्रांति पर आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में भी भाजपा शहर सदर नदारद थे ग्वालियर सांसद भी कार्यक्रम में नही दिखे…हांलाकि बताया ये जा रहा है कि मुखिया जी ने कार्यक्रम मे न आ पाने के पीछे स्वास्थय ठीक न होना बताया है। लेकिन अगले ही दिन वो पिछडा वर्ग प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित मानव श्रंखला कार्यक्रम में शामिल जरूर हो गए……चर्चा है कि पूर्व संगठन मंत्री शैलेंद्र बरूआ के सम्मान समारोह में मुख्य भूमिका पूर्व सांसद बजरंगी दादा की थी सो शहर के ‘’कमल’’ दल के मुखिया इस कार्यक्रम में जाना नही चाहते थे और गए भी नही…

इसके पीछे कारण ये बताया जा रहा है कि पिछले दिनों ग्वालियर भाजपा कार्यकारिणी की सूची जारी होने वाली थी लेकिन सूची में शामिल महामंत्री के दो नामों पर ही बजरंगी दादा ने आपत्ति जताई थी ये दो नाम मुखिया जी के कोटे से थे नतीजा ये हुआ कि आपत्ति के बाद सूची ही अटक गई और चर्चा है कि आपत्ति वाले नाम भी कट गए…इसी बात से मुखिया जी नाराज चल रहे है। हांलाकि जिनके नाम कट गए थे वो जरूर इस कार्यक्रम में शामिल थे

(मूल मुद्दे से अलग हटकर बात करें तो एक बात इस कार्यक्रम में चर्चा का विषय थी वो ये कि भाजपा के एक मीडिया प्रभारी ने वहां बताया कि कार्यक्रम का संचालन कौन करेगा और आभार कौन व्यक्त करेगा..जबकि आमतौर पर पार्टी जिलाध्यक्ष ही ये तय करता है और अगर वो मौजूद नही है तो इसे लेकर फोन पर चर्चा हो जाती है। लेकिन एक मीडिया प्रभारी द्वारा भी ये किया जाना कई चर्चाओं को जन्म दे रहा है।)

बहरहाल बात कमल दल के शहर सदर की हो रही थी…दो साल से बिना कार्यकारिणी के संगठन चला रहे मुखिया जी आत्मविश्वास से लबरेज है सूत्र बताते है कि अपनी ढपली अपना राग बजाने के चलते पार्टी के पुराने परिंदे भी उनसे नाराज है लेकिन फिलहाल मुखिया जी को कोई फर्क नही पड रहा है देखते है बात कब दूर तलक जाएगी…..

जय हो……..

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