
ग्वालियर। दाल बाजार स्थित श्री राधास्वामी ब्लड बैंक के संचालक को ठगने वाले अारोपी डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अारोपी डॉक्टर ने ब्लड बैंक संचालक से रुपए लेने की बात भी कुबूल ली है। डॉक्टर के साथी व ठगे गए ब्लड बैंक संचालक के दोस्त से एक लाख रुपए बरामद कर जेल भेज दिया।
श्री राधास्वामी ब्लड बैंक के संचालक कप्तान सिंह कुशवाह ने शुक्रवार की देर रात 39 लाख रुपए की ठगी की शिकायत पुलिस अधीक्षक अमित सांघी से की थी। कप्तान सिंह के अनुसार उसके दोस्त देवेंद्र कोरी ने अपने साथी डॉ. विवेक चक्रवर्ती के साथ पहुंचकर केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग का पत्र दिखाकर ब्लड बैंक सील होने व गिरफ्तारी का भय दिखाकर कार्रवाई से बचाने के लिए 70 लाख रुपए की मांग की थी। अारोपियों ने कप्तान से 40 लाख रुपए में डील तय की थी अाैर बाद में 39 लाख रुपए ले गए थे। इस पर क्राइम ब्रांच ने ठगी का मामला दर्ज किया था।
बाद में 8 जनवरी को केंद्रीय टीम ने श्री राधास्वामी ब्लड बैंक पर तीसरी बार निरीक्षण किया था। तीसरी बार के निरीक्षण के दौरान ब्लड बैंक के कामकाज व गतिविधियों को बंद करने के निर्देश टीम ने दिए थे। इसके बाद ही कप्तान सिंह ने देवेंद्र कोरी व डॉ. विवेक चक्रवर्ती को रुपए देने के बाद भी कार्रवाई होने का कारण पूछते हुए रुपए वापस करने के लिए दबाव बनाया था। अारोपी रुपए वापस करने का भरोसा देते हुए टाल रहे थे इसके बाद कप्तान सिंह ने पुलिस को शिकायत की।
ठगी के अारोप में पकड़ा गया डॉ. विवेक चक्रवर्ती का इटावा ब्लड बैंक है अौर ग्वालियर में कैंसर अस्पताल का काम भी डॉ. विवेक अनुबंध के तहत देखता है। कैंसर अस्पताल के काम को देखने के लिए विवेक ग्वालियर अाता रहता है। बताया गया है कि डॉ. चक्रवर्ती की केंद्रीय टीम के साथ अाए सदस्य राकेश से नजदीकी थी। पकड़े गए विवेक ने पूछताछ में यह बात कुबूल की है।
ब्लड बैंक संचालक से ठगी गई रकम में से एक लाख रुपए देवेंद्र कोरी के मिले थे, जो पुलिस ने बरामद कर लिए। शेष 38 लाख रुपए में से डॉ. विवेक ने किसी अन्य को भी दिए या पूरी रकम अपने पास ही रख ली यह पुलिस पूछताछ कर रही है।
प्लाज्मा कांड के खुलासे के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल अाफ इंडिया की टीम ने 15 दिसंबर को पहली बार ब्लड बैंक का निरीक्षण किया था। टीम दूसरी बार 28 दिसंबर को भी ग्वालियर अाई थी अौर तीसरी बार टीम 8 जनवरी को ग्वालियर अाई। 8 जनवरी को टीम ने ब्लड बैंक की प्लाज्मा व खून लेने व देने पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। जबकि कप्तान कुशवाह का कहना है कि डॉ. विवेक ने उन्हें 14 दिसंबर को जो पत्र मोबाइल में दिखाया था उसमें उनके ब्लड बैंक को सील करने का उल्लेख था। यदि उसी समय कार्रवाई की जाना थी तो टीम तीन बार क्यों अाई अौर कार्रवाई 24 दिन बाद क्यों की। डॉ. विवेक पर पत्र कैसे पहुंचा कार्रवाई 24 दिन बाद होने से यह प्रक्रिया भी संदेह के दायरे में हैं।