पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया मामले में बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने निभाई दोहरी जिम्मेदारी, पत्रकारों को दी हिम्मत तो सरकार तक पहुंचाई बात

(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)

ग्वालियर/भोपाल25मार्च2025। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल हाल ही में एक विवादास्पद घटना के कारण चर्चा में आ गई। जब पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को कटारा हिल्स थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी को लेकर आरोप लगे कि उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया था। इस घटना ने पत्रकार समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला माना गया। इस मामले में बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने सक्रिय भूमिका निभाई। वे न केवल थाने पहुंचे, बल्कि पत्रकारों के साथ धरने में भी शामिल हुए। उनके इस कदम ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में व्यापक चर्चा छेड़ दी है।

25 मार्च 2025 को भोपाल के कटारा हिल्स थाना क्षेत्र में पुलिस ने पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी की आधिकारिक सूचना भी पुलिस की ओर से स्पष्ट रूप से नहीं दी गई, जिसने संदेह को और गहरा कर दिया। इस कार्रवाई के विरोध में मंगलवार सुबह दर्जनों पत्रकार कटारा हिल्स थाने पर एकत्र हुए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारी पत्रकारों ने टीआई को निलंबित करने और कुलदीप की रिहाई की मांग की।

इस घटना की जानकारी मिलते ही बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने त्वरित प्रतिक्रिया दी। वे खुद कटारा हिल्स थाने पहुंचे और प्रदर्शनकारी पत्रकारों के साथ एकजुटता दिखाते हुए धरने में शामिल हुए। आशीष अग्रवाल का यह कदम न केवल पत्रकारों के समर्थन में था, बल्कि यह भी संदेश देता था कि बीजेपी सरकार प्रेस की आजादी के मुद्दे पर गंभीर है। धरने के दौरान उन्होंने पुलिस कार्रवाई को अनुचित ठहराया और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ कुछ अधिकारियों द्वारा की गई मनमानी करार दिया। उनके इस कदम को लेकर कई लोगों ने उनकी सराहना की, वहीं कुछ ने इसे राजनीतिक रणनीति के तौर पर भी देखा।

आशीष अग्रवाल के धरने में शामिल होने के बाद मामला और गंभीर हो गया। इसकी जानकारी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंची। मुख्यमंत्री ने इस मामले में संज्ञान लिया और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री के इस रुख से प्रदर्शनकारी पत्रकारों में उम्मीद जागी कि कुलदीप सिंगोरिया को जल्द न्याय मिलेगा।

आशीष अग्रवाल का थाने पहुंचना और धरने में शामिल होना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह बीजेपी के भीतर एक संदेश देता है कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ खड़ी है। दूसरा, यह पत्रकारों के बीच उनकी छवि को मजबूत करता है, जो बीजेपी के मीडिया प्रभारी के तौर पर उनके लिए जरूरी है। तीसरा, यह कदम सरकार पर दबाव बनाने में भी सफल रहा, क्योंकि इसके बाद मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे महज एक राजनीतिक नाटक करार दिया और कहा कि यह बीजेपी की छवि चमकाने की कोशिश है।

पत्रकार समुदाय ने आशीष अग्रवाल के इस कदम का स्वागत किया। कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ की और इसे प्रेस की एकता की जीत बताया। एक पत्रकार ने लिखा, “आशीष अग्रवाल का धरने में शामिल होना दिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए लड़ाई में सभी एकजुट हैं।” वहीं, कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या यह समर्थन सभी पत्रकारों के लिए होगा या सिर्फ चुनिंदा मामलों में दिखाई देगा।

कुलदीप सिंगोरिया की गिरफ्तारी और उसके बाद आशीष अग्रवाल का धरने में शामिल होना भोपाल में एक बड़े घटनाक्रम के तौर पर उभरा है। यह घटना न केवल प्रेस की स्वतंत्रता और पुलिस कार्रवाई के सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि राजनीतिक हस्तक्षेप से ऐसे मुद्दों का समाधान कितनी जल्दी हो सकता है। आशीष अग्रवाल का यह कदम निश्चित रूप से बीजेपी के लिए एक सकारात्मक संदेश देता है, लेकिन इसका असली प्रभाव तभी सामने आएगा जब इस मामले में ठोस कार्रवाई होगी और कुलदीप सिंगोरिया को न्याय मिलेगा। फिलहाल, सभी की निगाहें सरकार और पुलिस प्रशासन पर टिकी हैं। हांलाकि इस मामले मे पत्रकार को जमानत मिल गई है और कटारा हिल्स थाने के टीआई को निलंबित कर दिया गया है.

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