ग्वालियर । कभी बीजेपी के नेता रहे सतीश सिकरवार विधानसभा उपचुनाव में टिकट के लिए बीजेपी छोडकर कांग्रेस में शामिल हो कर विधायक तो बन गए है। लेकिन सरकार बीजेपी की बन गई है। तो अब सतीश के लिए संकट भी है। क्योंकि सतीश बीजेपी से बगावत करके कांग्रेस में शामिल हुए, और बीजेपी प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल को हराकर विधायक बने है ऐसे में कहीं न कही बीजेपी सरकार की सतीश सिकरवार से अनबन से इंकार नही किया जा सकता। ऐसे में सतीश सिकरवार विधायक तो बन गए है लेकिन बीजेपी सरकार में अपने क्षेत्र में विकास के लिए सरकार से मदद लेने के लिए एडी चोटी का जोर लगाना पडेगा। सूत्र बताते है कि उपुचनाव के पहले ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में करोडों के विकास कार्यों का भूमिपूजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था वो भी फिलहाल खटाई में पड गए है। क्योंकि अब समीकरण बदल गए है और यहां से अब बीजेपी के बगावती और कांग्रेस के टिकट पर चुने गए सतीश सिकरवार विधायक है।
नीटू बीजेपी से बाहर और गजराज भी हाशिए पर
सतीश सिकरवार के लिए विधायक बनने के बाद भी परेशानी इसलिए है क्योंकि उनका पूरा परिवार ही बीजेपी के झंडे पर राजनीति करता रहा है सतीश के पिता गजराज और भाई सत्यपाल (नीटू) भी बीजेपी कोटे से विधायक रह चुके है यही नही सतीश सिकरवार को भी बीजेपी से टिकट मिला, लेकिन वो चुनाव हार गए। ऐसे में मात्र दोबारा चुनाव लडने के लिए सतीश सिकरवार का कांग्रेस में शामिल होना सरकार में शामिल बीजेपी के नेताओं को रास नही आ रहा है। यही वजह है कि उपचुनाव के दौरान ही बीजेपी ने उनके भाई सत्यपाल को बीजेपी से निष्काषित कर दिया और पिता गजराज सिंह को अपनी स्थिति बताने के लिए नोटिस जारी किया था। फिलहाल वो पार्टी में हाशिए पर है।
ग्वालियर पूर्व सीट पर बीजेपी की अभी से फील्डिंग
बीजेपी सरकार को उम्मीद थी कि मुन्नालाल गोयल बीजेपी के टिकट पर सतीश सिकरवार को हराकर सीट निकाल लेंगे, क्योंकि मुन्ना करीब 15 महीने पहले ही कांग्रेस के टिकट पर सतीश को हरा चुके थे लेकिन पांसा उलट गया। ऐसे में सरकार की कोशिश हो सकती है कि सतीश सिकरवार के विधानसभा क्षेत्र को वो सौगात न मिले, जिसकी घोषणा चुनाव से पहले सीएम शिवराज करके गए थे मुन्नालाल गोयल भी यही चाहते है कि विपक्षी विधायक सिकरवार शेष कार्यकाल में केवल विपक्ष की भूमिका ही निभाएं, सरकार से क्षेत्र में विकास के नाम पर कोई सहयोग उन्हे न मिल पाए।