
(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर31मई2022। आईपीएल खत्म हो चुका है और ग्वालियर क्राईम ब्रांच ने ग्वालियर से सटोरियों की काफी हद तक सफाई भी कर दी है। और अब अगली तैयारी सटोरियों के बडे नाम कहे जाने वाले प्रेम खटीक, संतोष घुरैया और दीपक चौरसिया की है क्राईम ब्रांच ने इन सटोरियों के पते ठिकानों की पर्चियां खोलनी शुरू कर दी है क्राईम ब्रांच की पहली प्राथमिकता आईपीएल के दौरान ग्वालियर से इन सटोरियों के नेटवर्क की कमर तोडने की थी जिसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिला है आंकडे बताते है कि आईपीएल के इतिहास में ग्वालियर में पहली बार सटोरियों पर इतनी बडी कार्यवाही हुई है।
आईपीएल में सट्टेबाजी के खिलाफ क्राईम ब्रांच की कार्यवाही और उससे जुडे सवालों पर ग्वालियर क्राईम ब्रांच के मुखिया एएसपी राजेश डंडौतिया से इंडिया टुडे एमपी की बातचीत के अंश-

@आईपीएल पर आनलाईन सट्टा तो हर साल चलता है इस बार इतनी सख्ती की क्या वजह रही?
आईपीएल में सट्टा हारकर कई लोग कर्जदार हो गए है कुछ तो ऐसे भी मामले आए, जिनमें दो तीन साल पुराने सट्टेबाजी का कर्ज लोगों पर अभी तक बना हुआ है और ऐसे में ज्यादा दबाब और कर्ज के बोझ से दबे लोग कई बार सुसाईड भी कर लेते है ऐसी घटनाएं भी सामने आई है दूसरा माननीय डीजीपी महोदय पुलिस मुख्यालय की तरफ से ये अभियान चलाया गया था कि इस बार आईपीएल सट्टे पर हर हाल में सख्ती बरतनी है वरिष्ठ अधिकारियों की प्राथमिकता में भी इस बार आईपीएल सट्टे के खिलाफ सख्त कार्यवाही शामिल थी वहीं ये भी देखा गया है कि आईपीएल के बाद सट्टे के लेन देन के विवाद भी बढते है ऐसी कई शिकायतें भी पुलिस को मिलती है आपसी दुश्मनी हो जाती है ये बात भी सही है कि आईपीएल पर सट्टा तो सभी जगह लगता है लेकिन कही न कही इनके नेटवर्क को ध्वस्त भी किया जा सकता है आईपीएल के सटोरियों तक भी इस कार्यवाही के माध्यम से ये संदेश पहुंचना चाहिए कि हर बार चीजें मैनेज नही हो सकती है और ये संदेश ग्वालियर कार्ईम ब्रांच की तरफ से बखूबी गया भी है।
@आंकडों के लिहाज से ग्वालियर में काफी बडी कार्यवाही तो हुई है लेकिन क्या इससे आईपीएल या अन्य मैचों के आनलाईन सट्टे में कमी आएगी?
ग्वालियर में तो 100 प्रतिशत कमी आएगी। ग्वालियर में जब कार्यवाही शुरू हुई, तब कई सटोरिये शहर से बाहर हो गए और अब फिलहाल ग्वालियर में कोई बडा सटोरिया नही मिलेगा, ऐसी कार्यवाहियों से सटोरियों की चेन टूटती है इनके कस्टमर टूटते है मोबाइल में कस्टमर का रिकार्ड होता है वो जप्त हो जाता है मोबाइल में ही सैकडों क्लाईंट और ऐजेंटों का रिकार्ड होता है जो दोबारा उपलब्ध नही हो पाता, वहीं इनके साथ काम करने वाले लडके भी टूटते है नेटवर्क ध्वस्त होता है पकडे जाने पर सामाजिक छवि खराब होती है परिवार भी अपमानित होता है तो इससे कहीं न कहीं अंकुश तो लगता है
@कहा जा रहा है कि ग्वालियर में बडे सटोरियों के केवल छोटे गुर्गों पर कार्यवाही हुई है उनके सरगना तो पुलिस की पकड से दूर है?
ऐसा नही है कि बडे सटोरिए नही पकडे गए, काफी बडे सटोरिए पकडे गए है ये हो सकता है कि उनके मुख्य सरगना अभी पकड से बाहर है लेकिन जो पकडे गए है वो अपने आकाओं के बेहद खास है एक तरह से उनके राईट हैंड है ज्यादातर सटोरियों से लग्जरी कारें बरामद हुई है वो एक-डेढ लाख रूपए तक मोबाइल चला रहे थे लाखों रूपए की बरामदगी हुई है तो ये भी कोई छोटे सटोरिये नही है ये बात सही है कि सख्ती के चलते बडे नामी सटोरिए शहर छोडकर चले गए है लेकिन जल्दी ही उन पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
@गैंबलिंग एक्ट की जिन धाराओं में सटोरियों पर कार्यवाही होती है क्या उसमें सख्ती की कमी है
कानून के तहत ही इन सटोरियों पर एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जाती है ये जमानती अपराध की श्रेणी में आता है