ग्वालियर 05 नवम्बर 2022/ भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग द्वारा क्रियान्वित डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत हर भू-खंड के लिए यूनिक लैंड आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूएलपीआईएन) अर्थात आधार नम्बर जारी किया जा रहा है। चौदह अंको का यह आधार नंबर अक्षांश एवं देशांतर के अनुसार आधुनिक तकनीक से जारी होता है, जो कृषि व खाद्य सहित अन्य विभागों की शासकीय योजनाओं के हितग्राहियों तक लाभ पहुंचाने में अत्यधिक उपयोगी साबित होगा।
इस आशय की जानकारी भारत सरकार के भू-संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव श्री सोनमणि बोरा ने दी। संयुक्त सचिव श्री बोरा डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम की जमीनी हकीकत जानने के उद्देश्य से ग्वालियर भ्रमण पर आए थे। उनके साथ भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के तकनीकी अधिकारी श्री मयंक राजपूत भी ग्वालियर आए थे।
ग्वालियर प्रवास के दौरान संयुक्त सचिव श्री बोरा ने संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम की विस्तृत समीक्षा की।इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि स्वामित्व योजना के तहत यूएलपीआईएन मध्यप्रदेश में आबादी क्षेत्र के लिए जारी किया जा चुका है। ग्वालियर भ्रमण के दौरान संयुक्त सचिव भारत सरकार ने डीआईएलआरएमपी के तहत मैप डिजिटाइजेशन और जियो रेफरेंसिंग सहित अन्य घटको की भी समीक्षा की और अधिकारियों को शत प्रतिशत जियोरेफरेंसिंग पूर्ण करने के निर्देश दिए। इसी योजना के तहत नागरिकों के जीवन को सरल बनाने एवं आसानी से रजिस्ट्री प्राप्त करने के लिए नेशनल जेनेरिक डॉक्युमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम का भी क्रियान्वयन भूमि संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
ग्वालियर प्रवास के दौरान संयुक्त सचिव श्री बोरा ने खेत में पहुँचकर रॉबर मशीन सिस्टम से सीमांकन, बटांकन व नक्शा निकालने की प्रक्रिया व्यवहारिक रूप से परखी। श्री बोरा ने कहा कि यह भी विशेष रूप से सराहनीय है कि मध्यप्रदेश में राजस्व सेवाएँ प्रदान करने के लिये लोक सेवा केन्द्र, राजस्व दफ्तर व ऑनलाइन आवेदन सिस्टम सहित 6 प्रकार के चैनल काम कर रहे हैं।