ग्वालियर/भोपाल29मार्च2024। प्रदेश स्तर पर वन विभाग मुख्यालय के द्वारा बरती गई लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। इसी महीने में उपवन क्षेत्रपालों (डिप्टी रेंजरों) को कार्यवाहक पदोन्नत करते हुये वन परिक्षेत्र अधिकारियों के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां तक तो सब ठीकठाक है। लेकिन इसी कार्यवाही में पदोन्नत होने वाले कार्यवाहक वन क्षेत्रपालों को गृह जिले में नवीन पदस्थापना दे दी गई है। यह सब लापरवाही है कि जानबूझकर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिये ही ऐसा किया गया है। यह जांच का विषय बना हुआ है।
असल में ट्रांसफर नीति के कंडिका 28 के तहक कार्यवाहक वन परिक्षेत्र अधिकारियों को गृह जिले में पदस्थ नहीं किया जा सकता है। उधर अभी लोकसभा चुनाव होने है और ऐसा किया जाना निर्वाचन आयोग के अनुसार बहुत बड़ी खामी है। यह खामी या घोर लापरवाही इसीलिये और माना जा सकता है क्योंकि ऐसा कोई एक या दो अधिकारियों के साथ नहीं बल्कि 35 लोगों को उनके गृह जिले में ही पदस्थ कर दिया गया है। पदस्थापना का बीती 7 मार्च को ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख मध्यप्रदेश वन विभाग भोपाल द्वारा आदेश जारी किये गये है।
यहां बता दें कि कुल 86 उपवन क्षेत्रपालों को कार्यवाहक पदोन्नति देते हुये वन परिक्षेत्र अधिकारी बनाया है। जिसमें यह भी नियम का जिक्र किया गया है कि कार्यवाहक पदोन्नत अधिकारियों को किसी भी समय बिना नोटिस दिये सक्षम अधिकारी द्वारा पुनः मूल पद पर वापस किया जा सकता है।
सर्वाधिक बालाघाट, बैतूल व सागर में दिया लाभ
गृह जिले में ही नवीन पदस्थापना का लाभ मिलने वाले वन अफसरों में सर्वाधिक बाघ बालाघाट, बैतूल एवं सागर जिले के हैं। हालांकि पन्ना, रायसेन और नमृदापुरम जिले से 3-3 अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। इस तरह कुल 85 पदोन्नत वन क्षेत्रपालों में से 35 वन अफसर गृह जिले में ही पदोन्नत होकर शासन के नियम कंडिका 28 का पालन नहीं करने वाले बताये है।