
ग्वालियर। हथियारों का शौक रखने और रावण के बड़े पुतले जलाने के लिए मशहूर इस अंचल के लोग इस दशहरे पर दो परंपराओं से महरूम रहेंगे। चुनाव आचार संहिता लागू होने
की वजह से अंचल के लोगों के हथियार प्रशासन ने जमा करवा लिए हैं, ऐसे में यहां के लोग हथियारों का पूजन करने की परंपरा पूरी नहीं कर पाएंगे। इस बात का रंज यहां के लोगों मेंं हैं, इनका कहना है कि चुनाव त्योहार के मौसम में नहीं करवाए जाना चाहिए थे। ग्वालियर-चंबल अंचल के लोग हथियारों के शौक के लिए मशहूर हैं, यहां लोग हथियार सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि अपनी इज्जत बढ़ाने के लिए रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जिन लोगों के पास जितना महंगा हथियार होगा उसे गांव और समाज में ज्यादा इज्जत मिलती है। ऐसे में अंचल के ग्वालियर, भांडेर, मेहगांव, मुरैना, करैरा, पोहरी के इस दशहरे पर निराश हैं क्योंकि वह अपने हथियारों के पूजन की परंपरा का निर्वहन नहीं कर पाएंगे। इन इलाकों में चुनाव होने की वजह से आचार संहिता लगी है और हथियार पुलिस थानों में जमा हैं।
वहीं कोरोना संक्रमण की वजह से शहर में रावण के दहन के आयोजन भी इस बार नहीं होंगे, इनके आयोजक कहते हैं रावण के पुतले दहन होंगे तो भीड़ बिना बुलाए इकट्ठी होगी और ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा। इस वजह से आयोजन की शिकायत हुई तो उनके ऊपर बेवजह मामला दर्ज हो जाएगा। इसलिए रावण के बड़े पुतले अंचल में नहीं जलेंगे। हाालंकि गली-मोहल्लों में रावण के छोटे पुतले जलेंगे। इस बार छोटे पुतलों के दहन की संख्या बढ़ने की उम्मीद बताई जा रही है। इस लिहाज से ही कलाकारों ने बाजार में छोटे पुतलों की संख्या बढ़ाई है।
