ग्वालियर/शहडोल/भिंड04अक्टूबर2023। मध्यप्रदेश के एक और आईएएस अफसर का नौकरी से मोह भंग हो गया है। उन्होने सरकार को इस्तीफा सौंप दिया है। शहडोल कमिश्नर आईएएस राजीव शर्मा की अभी दो साल की नौकरी और बची है लेकिन अब वो नौकरी करने के मूड में नही है। शर्मा 2003 बैच के आईएएस अफसर है। बताया जा रहा है कि उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। चर्चा है कि रिलीव होने के बाद शर्मा चुनावी तैयारी शुरू कर देंगे। उनके नौकरी छोडने की वजह चुनाव लडने की इच्छा बताई जा रही है, एक प्रमुख राजनीतिक दल के टिकट पर राजीव शर्मा विधानसभा चुनाव लड सकते है।
राजीव शर्मा को सक्रिय, बेहतर प्रशासक के रूप में जाना जाता है। वे जहां रहे, वहां काम की सराहना हुुई। शासन के स्तर पर भी बेहतर प्रशासक माना जाता है। उन्होंने किताबें भी लिखी हैं। आदि गुरु शंकराचार्य पर लिखी किताब चर्चित रही। राजनीतिक तौर पर गंभीर विचार रखते हैं, इस कारण उनके चुनाव लड़ने की चर्चा भी है।
आईएएस राजीव शर्मा मूल रूप से भिंड के रहने वाले हैं। उन्होने बताया कि उनकी इच्छा अपनी जन्म भूमि भिंड के लोगों की सेवा की है, उनका जीवन स्तर सुधारने और उन्हें ज्ञान के मार्ग पर अग्रसर करने की है। अपनी इस इच्छा से भिंड लौट रहे राजीव शर्मा के लिए 6 अक्टूबर को भिंड के लोग खंडा रोड पर एकजुट होकर उनका अभिनंदन भी कर रहे हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव के समय उनके कदम से राजनीतिक हलकों में भी हलचल है।
राजीव शर्मा अपने प्रशासनिक सेवा कार्यकाल में भी अच्छे कामों के लिए चर्चित रहे हैं। अभी वह शहडोल कमिश्नर रहे, वहां पर फुटबाल क्रांति लाकर उन्होंने घर-घर फुटबाल पहुंचा दी। शाजापुर कलेक्टर रहे तो वह इतने लोकप्रिय हुए कि उनके तबादले के बाद जनता ने उन्हें लौटाने की मांग को लेकर आंदोलन कर दिया। शहडोल संभाग में आदिवासियों के बीच फुटबॉल को घर घर तक पहुंचाया जिसकी चर्चा प्रधानमंत्री मोदी अपने मन की बात में कर चुके हैं
उनका कहना है कि अब वह भिंड में बदलाव के लिए आ रहे हैं। उनका मूल मकसद भिंड की शक्ति को ज्ञान के रास्ते पर लाना है। ज्ञान का रास्ता ही भिंड का विकास कराएगा। इसके लिए उन्होंने अपने पुश्तैनी घर को सार्वजनिक लाइब्रेरी में परिवर्तित करा दिया, सरकारी स्कूलों तक भी सुख-सुविधाएं भी अपनी जमापूंजी से पहुंचाई हैं।
उनसे जुडे लोग बताते है कि राजीव शर्मा बचपन से ही योगाश्रम से जुड़ गए थे जहाँ उन्होंने योग ,प्राणायाम ,ध्यान सीखा और गौरी सरोवर में तैराकी भी सीखी । 1975 में बाबा और 1977 में पिता की असमय मृत्यु ने परिवार को दुख के भँवर में फँसा दिया , तब चाचा श्री शिव चरण उपाध्याय ने विद्यालय और परिवार की ज़िम्मेदारी सँभाली।कोटनजीन स्कूल से कक्षा 8 पास कर राजीव नंबर एक स्कूल में गए, जहाँ दो साल पढ़े …स्काउट और NCC के अलावा भाषण ,वाद विवाद ,अभिनय ,काव्य पाठ में विजेता बने।
MJS कॉलेज में पंहुचकर इतिहास में MA किया .छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीता .दैनिक उदगार ,साप्ताहिक वानखंडेश्वर,गौरी सरोवर आदि में पत्रकारिता की .1978 में तरुण कला संगम की स्थापना की .एनएसएस में भिण्ड और मप्र का राष्ट्रीय स्तर तक प्रतिनिधित्व किया .21 वर्ष की आयु में प्रथम प्रयास में ही मप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा टॉप कर प्रशासनिक सेवा में चले गए .
आईएएस राजीव शर्मा के भिंड में राजनीतिक वजह से वापसी को लेकर सियासी गलियारों में भी चर्चाएं तेजी से हो रही है क्योंकि सबकी निगाहें अब इस ओर है कि उनका टिकट किस पार्टी से फायनल हो रहा है