ग्वालियर19अगस्त2023। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के 16 वें स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि के क्षेत्र में चुनौतियों तथा नवाचारों के आधार पर अपार संभावनाओं को प्राप्त करने के विषय में उपयोगी विमर्श हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी व विशिष्ट अतिथि के रूप में देश के जाने माने कृषि विशेषज्ञ एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर पूर्व कुलपति डॉ. एन.एस. राठौड थे। अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला द्वारा की गई।
अपने उद्बोधन में डॉ राठौड ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों का काम एक वृक्ष के समान है जिसमें शिक्षण, अनुसंधान, तकनीकी के हस्तांतरण तथा उद्यमिता विकास के माध्यम से बहुत बड़ा समाजोपयोगी कार्य किया जा सकता है। आपने कहा कि हमारी कृषि में नवा चारों की बहुत बड़ी आवश्यकता है। किसान हितेषी अच्छे कानून, वैज्ञानिकों द्वारा कृषि के ज्ञान को सरल ढंग से कृषकों तक पहुंचाने हेतु उनके मध्य अपनी उपस्थिति बढ़ाना, डिजिटल तकनीक का सही उपयोग करते हुए मौसम, वर्षा आदि का पूर्वानुमान करने से हमारी कृषि बहुत आगे बढ़ सकती है।
आपने प्राकृतिक और जैविक खेती की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की खाद्यान जरूरतों की पूर्ति के लिए हमें आवश्यकतानुसार ही उर्वरकों का उपयोग करने का अभ्यास करना होगा। हमारी मृदा में ऑर्गेनिक कार्बन की उपलब्धता बहुत कम होने से उत्पादकता में अभी हम अमेरिका, चीन से बहुत पीछे हैं। डॉ राठौड ने कहा कि हमें नैनो फर्टिलाइजर के उपयोग को बढ़ावा देना होगा साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए आधुनिक तकनीक के द्वारा पूर्वानुमानों का उपयोग करना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा मानव अपनी विकास यात्रा में आज कृषि संग्राहक से पैकेजिंग तक पहंुच चुका है। दुग्ध उत्पाद, डेयरी उत्पाद आदि जिनसे हमारा जीवन प्रभावित होता है, सभी कृषि से जुड़े व्यवसाय है। बढ़ती जनसंख्या के साथ कृषि विकास को प्रमुखता दी जानी चाहिए। भूमिगत जल की मात्रा को बढ़ाने के साथ ही हमें प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। डॉ. तिवारी ने कहा कि स्वस्थ वायु से ही स्वस्थ आयु होती है, अतः हमें पर्यावरण की चिंता करनी होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय युवा और ऊर्जावान विश्वविद्यालय है, अतः इसके समक्ष चुनौतियों के साथ-साथ अपार संभावनाएं भी हैं। उन्होंने कृषि के बदलते हुए परिदृश्य के संदर्भ में विद्यार्थियों को आवाहन किया कि वे बहुत सौभाग्यशाली चयनित विद्यार्थी है और उन्हें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर देश हित में बड़ा काम करने का संकल्प लेना चाहिए। कृषि शिक्षा भी आज बहुत प्रतिष्ठित व्यावसायिक शिक्षा है तथा हम डिजिटल केंपस तथा अन्य आधुनिक माध्यमों का प्रयोग करते हुए अपने किसानों के लिए बहुत उपयोगी हो सकते है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय परिवार भी अपने कर्तव्य को समझते हुए सकारात्मक काम में लगे तो हम इसे बहुत ऊंचाइयों तक ले जा सकेंगे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. दीपक हरि रानडे द्वारा दिया गया। उन्होंने विगत वर्षों की विश्वविद्यालय को प्राप्त उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया। इस अवसर पर प्रगतिशील किसानों श्रीमति साधना तिवारी, सतना, श्री रामगोपाल सिंह गुर्जर, भिण्ड, श्री राकेश दुबे, नरसिंहपुर, श्री कुलवंत सिंह, ग्वालियर को कृषक फैलो के रूप में सम्मानित किया गया।
स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय की प्रगति में योगदान देने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिकों सर्वश्री डॉ. आई.एस. तोमर, डॉ. राजसिंह कुशवाह, डॉ. ए.के. दीक्षित, डॉ. के.पी. असाटी, डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. स्वाति बार्चे, डॉ. आर.के. यादव, डॉ. धारवेन्द्र सिंह, डॉ. डी.के. श्रीवास्तव, डॉ. एस.पी. श्रीवास्तव, डॉ. लेखराम, डॉ. ऊषा सक्सेना एवं कर्मचारीगण सर्वश्री संदीप श्रीवास्तव, कु. स्मृता रैकवार, श्रीमती शैवी पटेरिया, मनोज परिहार एवं कु. मेघा शर्मा को प्रशस्ति पत्र भी दिए गए।
कार्यक्रम के अंत में निदेशक शिक्षण व छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। संचालन डॉ. वाई.डी मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में कुलसचिव श्री अनिल सक्सेना, अधिष्ठाता कृृषि महाविद्यालय ग्वालियर डॉ. एस.एस. तोमर सहित समस्त अधिकारी, कर्मचारी, श्रमिक, विद्यार्थी एवं बडी संख्या में किसान मौजूद रहे।