ग्वालियर 23 दिसम्बर 2022/ संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में सजी नौंवी संगीत सभा में बहे सुर मखमली अहसास करा गए। संगीत कलाकारों ने ऐसा झूमके गाया-बजाया कि रसिक सुध-बुध खो बैठे। इस साल के तानसेन समारोह के तहत यह सभा बेहट में शुक्रवार को भगवान भोले के मंदिर और झिलमिल नदी के समीप स्थित ध्रुपद केन्द्र परिसर में सजी। यह वही जगह थी जहाँ संगीत सम्राट का बचपन संगीत साधना और बकरियाँ चराते हुए बीता था। लोक धारणा है कि तानसेन की तान से ही निर्जन में बना भगवान शिव का मंदिर तिरछा हो गया था। यह भी किंवदंती है कि 10 वर्षीय बेजुबान बालक तन्ना उर्फ तनसुख भगवान भोले का वरदान पाकर संगीत सम्राट तानसेन बन गया।
बेहट में सजी संगीत सभा में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गेश कुँअर सिंह जाटव सहित अन्य जनप्रतिनिधि गण एवं संभाग आयुक्त श्री दीपक सिंह ने सपत्नीक स्वर लहरियों का आनंद उठाया। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी के निदेशक श्री जयंत माधव भिसे, क्षेत्रीय एसडीएम श्रीमती पुष्पा पुषाम व जनपद पंचायत के सीईओ श्री राजीव मिश्रा सहित अन्य अधिकारी, समीपवर्ती ग्रामों और ग्वालियर व अन्य शहरों से बड़ी संख्या में रसिक इस सभा का आनंद लेने पहुँचे थे। सभा का संचालन श्री अशोक आनंद ने किया।
ध्रुपद गायन से हुई सभा की शुरूआत
तानसेन की देहरी पर संगीत सभा की शुरूआत पारंपरिक ढंग से ध्रुपद केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से हुई। यहाँ के बच्चों ने राग "अहीर भैरव" में ध्रुपद रचना प्रस्तुत की। ताल-चौताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे “ चलो सखी ब्रजराज"। इसके बाद सूल ताल में बंदिश " दुर्गेश भवानी दयानी" का सुमधुर गायन किया। इस प्रस्तुति पर ध्रुपद केन्द्र के बच्चों को रसिकों की भरपूर सराहना मिली। पखावज पर श्री संजय पंत आगले ने कसी हुई संगत की।
“सजन की सांवरी सूरत….”
चंदोगढ़ से पधारे प्रख्यात गायक प्रो हरविंदर सिंह ने जब सुर सम्राट तानसेन की दहलीज पर राग "बहादुरी तोड़ी" में तीन ताल में पिरोकर छोटा ख्याल " सजन की सांवरी सूरत" को बड़े भावपूर्ण अंदाज में गाया तो गुणीय रसिक विरह रस में डूब गए। उन्होंने इसी राग में अपने गायन का आगाज़ किया। मंत्रमुग्ध करने वाली अलापचारी के साथ एक ताल में निबद्ध बंदिश "महादेव देवन पति पारवति पति" का गायन कर गान महृषि तानसेन के आराध्य भगवान भोले के श्रीचरणों में स्वरांजलि अर्पित की। भैरवी में रसभीनी ठुमरी "वन वन धुन सुन" गाकर उन्होंने अपने गायन को विराम दिया। प्रो. हरविंदर सिंह ग्वालियर एवं आगरा घराने की गायकी में सिद्धहस्त हैं। उनके गायन में श्री मनोज पाटीदार ने तबले पर और श्री धर्मनारायण मिश्र ने हारमोनियम पर दिलकश संगत की।
तबले की जुगलबंदी से गूँजी बेहट की फिज़ा
बेहट की सभा में दूसरी प्रस्तुति में तबला वादन की जुगलबंदी हुई। ग्वालियर के उदयीमान युवा तबलाकार श्री विनय बिन्दे एवं श्री प्रणव पराडकर के तबला वादन से मनोरम अमराई और झिलमिल नदी का शांत किनारा संगीतमय हो गया। सुप्रसिद्ध तबला वादक स्व पण्डित रामचन्द्र तैलंग से इन दोनों कलाकारों ने गुरू-शिष्य परंपरा के तहत तबला वादन के हुनर सीखे हैं। युवा कलाकारों की जोड़ी ने अपने वादन के लिये ताल-तीन ताल का चयन किया, जिसमें कायदा व परन प्रस्तुत की। लग्गी बड़ी व सवाल जवाब तथा विभिन्न घरानों की बंदिशों की प्रस्तुति सुन रसिक मंत्रमुग्ध हो गए। तबला जुगलबंदी में सारंगी पर उस्ताद हमीद खां और हारमोनियम पर श्री नवीन कौशल ने नफासत भरी संगत की।
उदयीमान गायक आदित्य शर्मा की ध्रुपद गायकी ने बांधा समा
किशोरवय आयु से ही बड़े-बड़े संगीतज्ञों के चहेते बन चुके ग्वालियर के युवा गायक श्री आदित्य शर्मा की बेहट की संगीत सभा में अंतिम कलाकार के रूप में प्रस्तुति हुई। उन्होंने अपने गायन के लिये राग “मुल्तानी” का चयन किया। मधुर एवं दानेदार आवाज के धनी श्री आदित्य शर्मा ने जब अलापचारी के बाद चौताल में निबद्ध बंदिश “बंशीधर पिनाक” का गायन किया तो बड़ी संख्या में मौजूद रसिक वाह-वाह कर उठे। ध्रुपद गुरू श्री अभिजीत सुखदाणे के शिष्य आदित्य शर्मा ने बहुत कम आयु में ध्रुपद गायकी के क्षेत्र में नाम कमाया है। इनके साथ पखावज पर पं. संजय पंत आगले ने शानदार संगत की।