ग्वालियर29अक्टूबर2022। अगर आप शरीर के किसी इँटीमेट एरिया में फंगल एनफेक्शन की समस्या से जूझ रहे है तो किसी झोला छाप डॉक्टर या अनाधिकृत बंगाली क्लीनिक जैसी दुकानों से दवाएँ लेने के बजाए अनुभवी चर्मरोग विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही इलाज लें, अन्यथा इन्फेक्शन शुरूआत में तो कम हो सकता है लेकिन बाद में दोबारा ज्यादा फैल सकता है और कुछ दवाएँ भी काम करना कम या बंद कर सकती है ये कहना है ग्वालियर के गजराराजा मेडीकल कॉलेज में त्वचा एवं गुप्त रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. कमल भदौरिया का।
डॉ कमल भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई से नवंबर मध्य तक फंगल इनफेक्शन का ज्यादा जोर रहता है क्योंकि बारिश के चलते मौसम में नमी बनी रहती है वहीं जीवनशैली, दिनचर्या और असावधानी के चलते फंगल इन्फेक्शन के मरीज इस मौसम में बढ जाते है जयारोग्य अस्पताल की स्किन ओपीडी में भी आने वाले फंगल इनफेक्शन के मरीजों की संख्या करीब 30 प्रतिशत तक बढी है। डॉ भदौरिया के मुताबिक शरीर के इंटीमेट एरिया या अँतरंग हिस्सों में लगातार नमी और सफाई की कमी की वजह से ये इनफेक्शन होता है जिनमें से डर्मेटोफायटोसिस, टीनिया कॉर्पोसिस और टीनिया क्रूसिस ज्यादातर आम फंगल इनफेक्शन है
क्या करें
इससे बचाव के लिए ज्यादा टाईट जींस, लैगी या अन्य कपडों का इस्तेमाल कम से कम करें, इनके स्थान पर सूती, धूप में अच्छी तरह से सुखाए हुए और अपेक्षाकृत ढीले कपडों का इस्तेमाल करें। वहीं इस मौसम में जिन हिस्सों पर ज्यादा पसीना या नमी बनी रहती है वहां साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। साथ ही जहां फंगल इन्फेक्शन है वहां हाथ लगातार शरीर के अन्य हिस्सों में छूने से बचे, क्योंकि इस तरह ये इन्फेक्शन शरीर में दूसरी जगह पर फैल सकता है। इसके अलावा संबंधित व्यक्ति की तौलिया, कपडे और अन्य चीजें भी एक दूसरे को इस्तेमाल नही करना चाहिए।
क्या न करें
डॉ. कमल भदौरिया ने इँडिया टुडे एमपी को जानकारी देते हुए बताया कि अगर फंगल इनफेक्शन हो भी जाए, तो इसका इलाज किसी क्वालीफाईड, अनुभवी चर्मरोग विशेषज्ञ की सलाह से लेना चाहिए, क्योंकि अपने मन से या फिर मेडीकल दुकान संचालक की सलाह या फिर किसी झोलाछाप डॉक्टर या अनाधिकृत बंगाली क्लीनिक का इलाज भारी पड सकता है क्योंकि किस फंगल इनफेक्शन पर क्या दवाई काम करेगी, ये चिकित्सक ही बेहतर बता सकता है. जबकि अन्य तरीकों से किया गया इलाज शुरूआत में हो सकता है इन्फेक्शन कम कर दें, लेकिन ये इनफेक्शन दोबारा और ज्यादा फैल सकता है वहीं झोला छाप डॉक्टर या बंगाली क्लीनिक आमतौर पर केनापोर्ट इंजेक्शन (ट्रायमामिसिलोन एसिटोनाइड) लगाते है जो स्टीरॉयड भी है जो आपकी परेशानी बढा सकता है वहीं लगातार इस तरह से दवाएं लेने से उन दवाओं का शरीर पर असर कम या खत्म हो सकता है। या फिर दवा की मात्रा बढानी पड सकती है।