गैर घरेलू उपभोक्ताओं पर लक्ष्य पूर्ति हेतु की जाने वाली बिलिंग को अविलंब रोकने एवं बिल सुधार की प्रक्रिया पूर्ववत की जाये : एमपीसीसीआई
एमपीसीसीआई द्बारा प्रदेश के मुख्यमंत्री-श्री शिवराज सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री-श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रमुख सचिव, ऊर्जा विभाग एवं प्रबंध संचालक, म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि. को लिखा पत्र
ग्वालियर 25 अगस्त । गैर घरेलू उपभोक्ताओं पर लक्ष्य पूर्ति हेतु की जाने वाली बिलिंग को अविलंब रोकने एवं बिल सुधार की प्रक्रिया पूर्ववत किये जाने की मांग को लेकर एमपीसीसीआई द्बारा प्रदेश के मुख्यमंत्री-श्री शिवराज सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री-श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रमुख सचिव, ऊर्जा विभाग एवं प्रबंध संचालक, म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि. को पत्र लिखा गया है।
एमपीसीसीआई अध्यक्ष-विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव-ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल द्बारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अवगत कराया गया है कि ग्वालियर शहर के अंदर ऐसे गैर घरेलू उपभोक्ता जो समय पर बिजली बिल भरते हैं व उपयोग की गई बिजली का पूरा दाम देते हैं। उन पर बिजली कंपनी की विगत कुछ माह से की जाने वाली कार्यवाही से ऐसा प्रतीत होता है कि बिजली कंपनी अपने हिडन एजेंडे के तहत जो उपभोक्ता ईमानदारी से समय पर बिजली बिल भरते हैं, इसके विपरीत कुछ लोग डण्डे के जोर पर खुलेआम सीधे तार डालकर बिजली चोरी करते हैं उनसे होने वाले नुकसान को पूरा करने के लिए लक्ष्य पूर्ति हेतु बिलिंग की कार्यवाही की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कि यदि कोई गैर घरेलू उपभोक्ता जिसका कनेक्शन 10 किलोवाट से अधिक स्वीकृत भार का है। वह कनेक्शन एम.डी. बेस्ड टैरिफ के तहत आता है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के टैरिफ अनुसार जिस माह की एम.डी. बढी है, उस माह की बिलिंग हो जाती है और 10 किलोवाट से कम स्वीकृत भार के उपभोक्ता कनेक्टेड लोड बेस्ट टैरिफ के अंतर्गत आते हैं। यदि इन उपभोक्ता की एम.डी. बढी आती है, जिसका उपभोक्ता को तकनीकी रूप से ज्ञान नहीं होता है, तब ऐसे उपभोक्ता के यहां वितरण कंपनी की बी.आई. सेल की टीम जिसमें डी.जी.एम. स्तर का अधिकारी होता है, वह छापामार कार्यवाही कर, एक वर्ष की दोगुनी दर से बिलिंग करता हे।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि जो उपभोक्ता ईमानदारी से बिजली का उपयोग करते हुए समय पर बिजली बिल भर रहा है, उन्हीं के यहां छापामार कार्यवाही कर, उपभोक्ता को तकनीकी जानकारी का ज्ञान नहीं होने का लाभ उठाकर करोड़ों रूपये की वसूली ग्वालियर शहर में बिलिंग कर, की जा रही है। इसके विपरीत बिजली कंपनी को करोड़ों का लाइन लॉसेस हो रहा है, जिसका प्रमुख कारण डंडे के जोर पर लोगों द्बारा संगठित होकर सीधे तार डालकर बिजली का उपयोग करना है, जिसकी जानकारी बिजली कंपनी के कनिष्ठ अधिकारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक को है। इनके खिलाफ कार्यवाही करने से वितरण कंपनी के अधिकारी डरते हैं।
एमपीसीसीआई ने पत्र में उल्लेख किया है कि व्यापारी चूंकि एक सॉफ्ट टारगेट होता है, तब उसके यहां धड़ल्ले से बिलिंग की जा रही है। यह बिलिंग आजादी से पूर्व के शासकों द्बारा की जाने वाली कार्यवाही का भान कराती है। इससे बिजली कंपनी की छवि तो धूमिल हो रही है लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान के विरूद्घ व्यापारियों एवं आमजन में तेजी से नाराजगी बढ रही है। बेहतर होता कि यदि कंपनी द्बारा ऐसे गैर घरेलू उपभोक्ताओं पर कार्यवाही के पूर्व उन उपभोक्ताओं को भार वृद्घि की सूचना देकर, निर्धारित अवधि में भार वृद्घि करने को कहा जाता और उस अवधि में उपभोक्ता भार वृद्घि कराने में असफल हो जाता तब इस प्रकार की कार्यवाही को अंजाम दिया जाता तो ऐसी कार्यवाही न्यायप्रिय कही जा सकती थी। वर्तमान में की जा रही कार्यवाही एक तुगलकी शासक द्बारा एकाधिकार का दुरूपयोग करते हुए की जाने वाली कार्यवाही प्रतीत होती है।
वहीं दूसरी ओर बिजली कम्पनी के ग्वालियर शहर में करीब 1.50 लाख उपभोक्ता हैं जिनका प्रतिमाह बिल जनरेट होता है, जिनके बिलों में कम रीडिंग, अधिक रीडिंग, आंकलित खपत CCB से सीधे राशि जोड़ना, ASD का गलत आंकलन, पिछला जमा होने के बाद एरियर के रूप में लगकर आ जाना, इसके अलावा कई और ऐसे कारण होते हैं जिसकी वजह से हजारों उपभोक्ताओं को प्रतिमाह बिल सुधार करवाने जाना पड़ता है जो कि पूर्व में जोन पर ही 20,000/- रूपये तक की राशि विसंगति होने पर संशोधन हो जाती थी और उसके अधिक DGM कार्यालय में अनुमोदन के लिए जाती थी।
वर्तमान में प्रबंध संचालक के निर्देश के बाद यह सभी बिल एक रूपये से कितनी भी राशि के संशोधन के लिए महाप्रबंधक को अधिकृत किया गया है।
पदाधिकारियों ने कहा है कि ग्वालियर शहर में 20 जोन हैं और प्रत्येक जोन में औसतन 500 उपभोक्ता के, जिनकी बिलिंग संबंधी समस्या आती है तो 10 हजार उपभोक्ता जो कुल उपभोक्ता का लगभग 6% हैं, को संशोधन के लिए प्रबंधक से उपमहाप्रबंधक व महाप्रबंधक कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं जो प्रस्ताव जोन से बनाकर भेजा जाता है, उपमहाप्रबंधक कार्यालय पर उसको कई बार संंशोधित करने के लिए वापिस कर दिया जाता है, कई बार महाप्रबंधक कार्यालय से वापिस किया जाता है, जिससे वास्तविक रूप से गलत बिल भी समय पर सुधार नहीं हो रहे या बिल्कुल भी नहीं हो रहे हैं। परिणामस्वरूप उपभोक्ता को बेहद मानसिक व आर्थिक हानि हो रही है, जो कि इस लोकप्रिय सरकार को अलोकप्रिय करने का कार्य कर रही है। बेहतर होता कि यदि प्रबंधक और उपमहाप्रबंधक की कार्यकुशलता संदिग्ध लगती है तो जो 20 हजार रूपये तक के संशोधन जोन पर ही हो जाते थे, उसको कम करके 10 हजार किया जा सकता था और जितने बिलों में संशोधन किया गया है, रेण्डमली हायर ऑफिसर उसमें से 5-7 बिल निकालकर चैक कर सकता था, जिससे शंका का समाधान हो सकता था लेकिन प्रबंध संचालक द्बारा जो निर्देश दिया गया है, वह उपभोक्ता को परेशान करने वाला व सरकार की छवि खराब करने वाला साबित हो रहा है।
एमपीसीसीआई ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि ऐसी कार्यवाहियों को तत्काल रोका जावे व ऐसा न किये जाने की स्थिति में मजबूरन चेम्बर ऑफ कॉमर्स को कड़े कदम उठाने होंगे, जिसके प्रभावों के लिए वितरण कंपनी जिम्मेवार होगी।