
ग्वालियर16अगस्त2022। जबलपुर में नियम विरूद्ध तरीके से चल रहे न्यू लाइफ मल्टीस्पेश्लिटी हॉस्पीटल में हुए भीषण अग्निकांड हादसे में 8 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा, उसके बाद सरकार ने प्रदेशभर में चल रहे हॉस्पीटल्स संचालन के लिए जारी दिशा निर्देशों की जांच प्रशासन से करवाना शुरू कर दी है। ताकि मनमर्जी से चल रहे नियम विरूद्ध हॉस्पीटल्स का संचालन न हो सके। हांलाकि ग्वालियर में ये मामला फिलहाल ठँडे बस्ते में पडा हुआ नजर आ रहा है।
ग्वालियर में स्वंय के उपयोग के लिए आवासीय परमीशन की अनुमति लेकर उस पर तीन मंजिला आलीशन इमारत बनाकर 2 हॉस्पीटल, मेडीकल स्टोर्स और आप्टीकल की दुकान भी संचालन हो रहा है। यानि इस इमारत को हॉस्पीटल या कमर्शियल बनाने के लिए नगर निगम या टीएंडसीपी की कोई अनुमति नही ली गई है उसके बाबजूद स्वंय के उपयोग के लिए अनुमति लेकर बनाई गई इमारत का हॉस्पीटल के रूप में पूर्ण व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस अस्पताल में भी जबलपुर के न्यू लाइफ हॉस्पीटल की तरह एंट्री और एग्जिट का एक ही द्वार है। जिससे किसी भी तरह का हादसा होने पर मरीजों और वहां मौजूद अन्य लोगों की जान पर जोखिम बन सकता है।

इस खबर में जिस हॉस्पीटल की बात की जा रही है वो हॉस्पीटल दिव्य दृष्टि नेत्रालय एवं लेजिक सेंटर और पुलकित बाल चिकित्सालय के नाम से संचालित किया जा रहा है यानि इस इमारत में दो हॉस्पीटल का संचालन किया जा रहा है। ओल्ड हाईकोर्ट के गिर्राज जी मंदिर वाले मार्ग पर खूबी की बजरिया में काली माता के मंदिर के पास नेत्र विशेषज्ञ डॉ विजय आहूजा और उनकी पत्नी डॉ संध्या आहूजा ने वर्ष 2018 में जोन 13 वार्ड 57 में हाउस नंबर 1246 के लिए नगर निगम से स्वंय के उपयोग के लिए अवासीय भवन निर्माण की अनुमति हासिल की, इस अनुमति में स्पष्ट उल्लेख है कि आवेदक द्वारा दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक अनुमति का इस्तेमाल केवल आवासीय भवन के निर्माण में होगा और प्रकोष्ठ प्रतिबंधित रहेगा। चूंकि ये अनुमति आवासीय निर्माण के लिए थी लिहाजा इसमें बेसमेंट पार्किंग बनाने की अनुमति भी नही है लेकिन अनुमति लेने वाले डॉ साहब की मंशा ही इसका कमर्शियल इस्तेमाल की थी तो बेसमेंट पार्किंग भी बना ली गई।

हॉस्पीटल या अन्य किसी व्यवसायिक गतिविधि के संचालन के लिए भवन निर्माण की अनुमति भी उसी श्रेणी में लेनी पडती है जिस श्रेणी में उसे इस्तेमाल किया जाना है कमर्शियल अनुमति के नियम अवासीय से अलग होते है और उसके लिए अलग प्रक्रिया भी है ये प्रक्रिया सुरक्षा मानकों और अन्य प्रयोजनों के नियोजन के लिए अपनाई जाती है जिससे वहां आने-जाने वाले लोगों के लिए अलावा काम करने वाले लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जा सके, और अगर कोई हादसा हो भी जाता है तो लोगों को रेस्क्यू करने की व्यवस्था भी इस अनुमति के लिहाज से परखने के बाद ही दी जाती है इसी सबसे बचने के लिए आसान तरीका अपनाया जाता है और वो है आवासीय अनुमति हासिल कर उसका व्यवसायिक इस्तेमाल। लेकिन हॉस्पीटल जैसे व्यवसाय में इसका विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योंकि यहां बीमार व्यक्तियों को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।

दरअसल ये हॉस्पीटल तो एक उदाहरण है जो नियम विरूद्ध तरीके से बनाई गई इमारत में संचालित हो रहा है शहर में ऐसे कई हॉस्पीटल है जो इसी तर्ज पर चल रहे है लेकिन इन्हे जिन नियमों को ध्यान में रखकर संचालित होना चाहिए, उन नियम कायदों की सुध सरकार और प्रशासन को तभी आती है जब जबलपुर जैसे हादसों में लोगों को अपनी जान गंवानी पडती है। इस पूरे मामले में नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भी पूरी मिलीभगत नजर आती है जिसकी वजह से ये संभव हुआ है
इनका कहना है

‘’तीन मंजिला में से हम दो का कमर्शियल टैक्स दे रहे है आवासीय अनुमति पर हॉस्पीटल के लिए इमारत बनाने के मामला थोडा कंट्रौवर्शियल है पूरे प्रदेश में में इस पर कुछ चल रहा है मेरा हॉस्पीटल आवासीय की अनुमति पर है ये पूरी तरह सही नही है हमें सीएमएचओ कार्यालय से हॉस्पीटल चलाने की अनुमति है फायर एनओसी ले रखी है। अब जब आपके पास अनमुति की कॉपी है ही, तो मैं और क्या बता सकता है अभी आपके और सवालों के जबाब दे नही पाउँगा, पेशेंट देख रहा हूं आधे घंटे बाद बात करता हूं’’ डॉ विजय आहूजा, संचालक, दिव्य दृष्टि नेत्रालय एवं लेजर सेंटर