
(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर19 जुलाई2022। नगर निगम ग्वालियर और स्मार्ट सिटी ने शायद इस बार संकल्प ले ही लिया है कि हरे भरे पेडों को खत्म करने की पुरजोर कोशिश करनी है ये कोशिश लगातार जारी है और सबके सामने हो रही है लेकिन न कोई बोलने वाला, न कोई सुनने वाला और न ही किसी का ध्यान पेडों को बचाने की तरफ है। मसला भी यही है कि जब सरकारी नुमाइंदे ही आँखों पर पट्टी बांध ले, तो किसी और को क्या दोष दिया जा सकता है।

बैजाताल से महल की तरफ जाने वाले मार्ग पर महल गेट से पहले सामने की तरफ रोड किनारे काफी बडे, घने और छायादार पेड लगे है लेकिन नगर निगम की कुदृष्टि इन पर पड चुकी है इन्हे खत्म करने के लिए सबसे आसान और बढिया प्रयोग शुरू कर दिया है और उस जमीन को एक दिन पहले ही सीमेंटेंड कर दिया गया है, जिसमें ये पेड लगे हुए है। दिखावे के लिए दो इंच की जगह जड तने के आसपास छोडी गई है ताकि अगर कोई भूल चूक से इस बारे में पूछ भी ले, तो सीना चौडा करके अधिकारी बता सकें, कि पेडों पर ऐहसान करते हुए हवा पानी के जगह छोडी गई है। लेकिन जनाब ऐसा करने की अक्ल लाते कहां से है ये भी बडा सवाल है। आपको जानकर हैरानी होगी, कि अभी तक इस जगह पर पत्थर की टाइल्स लगी थी जिससे पर्याप्त पानी और हवा पेडों की जडों तक पहुंच रही थी लेकिन पेडों के पीछे की नालियों को दुरूस्त करने के साथ ही वृक्षहत्या की भी व्यवस्था सीमेंट लगाकर जमा दी गई है

एक तरफ तो बरसात के मौसम में वृक्षारोपण के लिए नगर निगम से लेकर वन विभाग तक की नर्सरी पौध तैयार कर आम लोगों को वितरण भी करने की ‘’कोशिश’’(ज्यादातर कागज में) करते है सरकार लाखों करोंडों रूपया इस पर खर्च करती है सरकारी नुमाइँदे कार्यशाला करते है ज्ञानी बनकर पेडों के संरक्षण का ज्ञान बांटते है और दूसरी तरफ जिन वृक्षों को सहेजने की जरूरत है उन्हे खत्म करने की पूरी तैयारी कर लेते है।

जानकार बताते है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पष्ट गाईडलाईन है कि किसी हरे भरे पेड के आसपास सडक या किसी अन्य प्रयोजन के सीमेंट या डामर बिछाना हो ता कम से कम 6 बाय 6 फीट जगह छोडी जानी चाहिए, इसके अलावा ये जगह पेड की उम्र और उसके साइज पर भी निर्भर है और अगर ऐसा जगह की कमी संभव नही है तो भी समुचित जगह छोडी जानी चाहिए, लेकिन उसका ये मतलब नही है कि केवल 2 इंच जगह छोडी जाए।
इस संबंध में नगर निगम का पार्क अधीक्षक मुकेश बंसल जी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो हमेशा की तरफ उनसे संपर्क नही हो पाया।
वहीं इस मामले में नगर निगम के एडीश्नल कमिश्नर अतेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि उनकी जानकारी में ये नही है वैसे आमतौर पर 2 फीट की जगह तो छोडी ही जाती है अब इसे देख लेते है क्या मामला है
वहीं इस मामले में समाजसेवी सुधीर सप्रा का कहना है कि ये कृत्य एनजीटी की आदेश की आवमानना है और दंडनीय भी है अगर ये इसी तरह चलता रहा, तो अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करवाने की तैयारी की जाएगी।