18 विस्वा जमीन खरीदकर 22 बीघा पर नाम चढवाने वालों को एसडीएम न्यायालय से झटका, 22 करोड की जमीन के मामले में आया फैसला

ग्वालियर। उंगली पकडकर पोंचा पकडना…ये कहावत आपने जरूर सुनी होगी। ग्वालियर में जमीनों से जुडे मामले में भी एक ऐसा ही कारनामा सामने आया है जिसमें कुछ लोगों ने अलग अलग सर्वे नंबरों की 22 बीघा जमीन में से अलग अलग हिस्सों में केवल 18 विस्वा जमीन खरीदी, लेकिन इस 18 विस्वा जमीन की आड में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से सांठगाठ कर पूरी 22 बीघा जमीन ही अपने नाम पर चढवा ली। वर्तमान में इस जमीन का बाजारू मूल्य करीब 22 करोड रूपए माना जा रहा है। मामला सिरौल के सर्वे क्रमांक 296/1,297,299/1,299/2 एवं 327का है करीब 16 साल बाद इस फर्जीवाडे का खुलासा हुआ और एसडीएम न्यायालय के आदेश से उन लोगों के नाम उस जमीन के नामांतरण से हटाए गए, जो सांठगांठ कर बटंवारे के नाम पर दर्ज करवा लिए गए थे।

क्या है मामला

केजी शर्मा पुत्र रामप्रकाश शर्मा निवासी माल रोड मुरार (प्रसिद्ध महिला चिकित्सक स्व.डॉ.अनीता शर्मा के पति और कल्याण मेमोरियल हॉस्पीटल वाले) ने विक्रय पत्र के जरिए ग्राम सिरौल के सर्वे क्रमांक 296/1,297,299/1,299/2 एवं 327 में करीब 22 बीघा जमीन खरीदी थी। जिसरा राजस्व अभिलेखों में नामांकरण भी करवाया गया। वर्ष  2005 के जनवरी माह में उक्त भूमि में से 18 बिस्वा भूमि की रजिस्ट्री सरदार सिंह निवासी सिरौल की कर दी गई, लेकिन वर्ष 2005 में ही मात्र 18 बिस्वा भूमि की रजिस्ट्री करवाने के 8 महीने बाद ही नामंतरण पंजी क्रमांक 04/5.10.2005 पारित आदेश दिनांक 2.12.2005 में बंटवारा आदेश से पूरी 22 बीघा जमीन ही सरदार सिंह निवासी सिरौल, रामदयाल निवासी सिरौल एवं अन्य के नाम पर दर्ज कर दी गई। इस संबंध में के.जी. शर्मा को कोई जानकारी ही नही थी। किसी माध्यम से उन्हे ये जानकारी करीब 15 साल बाद मिली, कि उनके साथ फर्जीवाडा हो गया है। लिहाजा उन्होने बंटवारा आदेश के खिलाफ एसडीएम न्यायालय झांसी रोड में अपील पेश की।

अनुबंध दिखाया 22 बीघा का रजिस्ट्री दिखाई केवल 18 बिस्वा की

एसडीएम न्यायालय में जमीन के स्वत्व को लेकर चली बहस में महत्वपूर्ण बिंदु ये भी रहा कि विक्रय अनुबंध पत्र के अनुसार केजी शर्मा द्वारा सरदार सिंह के साथ जो विक्रय अनुबंध पत्र किया गया,उसमें ये उल्लेखित था कि ग्राम सिरौल के उक्त सर्वे नंबरों में कुल रकबा4.587 हेक्टेयर में से सरदार सिंह को कुल 2.330 हैक्टेयर भूमि प्रतिफल 198000 रूपए प्राप्त कर विक्रय  की गई, और भूमि का आंशिक कब्जा सौंप दिया गया। इस संबंध में खास बात ये  है कि वर्ष 2004 में 2.333 हेक्टेयर भूमि की गाईडलाईन कीमत 198000 नही हो सकती थी तत्पश्चात केजी शर्मा द्वारा लिखतम विक्रय पत्र द्वारा  दिनांक 21.12.2004 को 0.188 हैक्टेयर भूमि सरदार सिंह के पुत्रगणों भूपेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह , जितेंद्र सिंह निवासी सिरौल को विक्रय की गई। इस विक्रय पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि रूपए 140000 प्राप्त कर उक्त भूमि बेची गई, इस प्रकार वर्ष 2004 में जब 18 विस्वा भूमि की कीमत 140000 रूपए थी तो वर्ष 2004 में ही 2.333 हैक्टेयर भूमि की कीमत 198000 कैसे हो सकती है वहीं बंटवारा प्रकरण में भूमि स्वामी केजी शर्मा को कोई सूचना नोटिस नही जारी किया, न ही उन्होने कही किसी तरह के हस्ताक्षर  किए न ही किसी तरह की कोई सूचना प्रकाशन अखबार आदि के जरिए किया गया। इसी तरह के अन्य बिंदुओं के आधार पर एसडीएम न्यायालय ने केजी शर्मा की अपील को सही पाते हुए बंटवारा आदेश खारिज कर दिया। 

केजी शर्मा की अपील में पक्षकारों ने भी उठाया महत्वपूर्ण बिंदू

केजी शर्मा की अपील पर आपत्ति करते हुए पक्षकारों ने भी एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया है पक्षकारों ने एसडीएम न्यायालय में कहा कि केजी शर्मा द्वारा सर्वे क्रमांक  296/1, 297, 299/1, 299/2 एवं 327 की 22 बीघा भूमि विक्रय पत्र के जरिए खरीदना बताया है लेकिन केजी शर्मा द्वारा उक्त भूमि किससे खरीदी गई, विक्रय पत्र में इसका उल्लेख ही नही है यानि केजी शर्मा द्वारा इस बात को छिपाया गया है कि उक्त सर्वे नंबरों की भूमि का उनसे पहले कौन स्वामी था और क्या उन्होने उक्त भूमि उसके वास्तविक स्वामी से खरीदी है।

किसी को जमीन बेचें तो सावधान रहें

इस मामले में से एक बात और साफ हो गई है कि आज के समय में किसी को बडी भूमि का कुछ हिस्सा अगर बेच रहे है तो सावधान रहे और समय समय पर अपनी भूमि की कागजों में स्थिति चैक करते रहे, खास तौर पर शहर के बाहरी हिस्सों में खुली भूमि पर इस तरह की गडबडियां ज्यादा होती है इसलिए यदि आप किसी से जमीन खरीद भी रहे है तो उस भूमि का ज्यादा से ज्यादा पुराना रिकार्ड चैक करवाने की कोशिश करें, जिससे वास्तविक भूस्वामी की स्थिति पता चल सके और धोखाघडी से बचा जा सके।

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