(जितेंद्र पाठक , ग्वालियर)
ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे पुराने मेडीकल कॉलेज और उससे सटे सरकारी अस्पताल के साहिबानों के बीच कोल्ड वार की कहानियां दूर दराज तक सुनाई जा रही है इस विभाग के राजनीतिक मुखिया से लेकर प्रशासनिक अलाकमान तक खबरें उछल उछल कर पहुंच रही है। राजधानी तक चर्चे है कि मेडीकल कॉलेज के मुखिया और अस्पताल संभालने वाले साहब की बन नही पा रही है। वैसे तो अंचल के इस सबसे बडे अस्पताल की व्यवस्थाएं बीते कई सालों से भगवान के भरोसे ही है लेकिन जब से सरकार ने एक ही विभाग की दो तलवारों को मेडीकल कॉलेज और अस्पताल में छोटे मियां बडे मियां बनाया है तब से कॉलेज और अस्पताल में व्यवस्थाओं की ‘’हड्डियां’’ ज्यादा ही चटक रही है।
अस्पताल संभालने वाले साहब की आगामी मुसीबत
मेडीकल कॉलेज से बहने वाली बयार बता रही है कि देश को कई जाने माने डॉक्टर देने वाले इस कॉलेज से जुडे अस्पताल के मुखिया की परेशानी आने वाले दिनों में बढने वाली है बात ये है कि कॉलेज के मुखिया अपनी प्रशासनिक परेशानियों और निजी अस्पताल के संचालन से जुडे मामलों को हवा देने के लिए अस्पताल वाले साहब को पुरखुलूस जिम्मेदार मान बैठै है तो अस्पताल वाले साहब हलाकान इसलिए है क्योंकि कि उन्हे पता है कि उन्हे काम करने से रोकने के लिए जो भी संभव हो सकता है वो डीन महोदय पूरी शिद्दत से कर रहे है। अब नई कहानी है ये है कि अस्पताल वाले साहब के लिए विधानसभा में जल्दी ही एक सवाल लगवाने की तैयारी हो रही है सवाल एक नए नवेले विधायक महोदय लगाएँगे। अब सवाल लगेगा तो परेशानी बढना लाजिमी है ही। दरअसल अस्पताल वाले साहब भी अपने कुछ किस्सों को हलके में लेकर चल रहे है लेकिन ये किस्से पोस्टकोविड जैसी परेशानी साबित हो सकते है जो आसानी से पीछा नही छोडती। (इसके बारे में चर्चा अगली बार)
मंत्री जी, इन्हे जरा समझा दीजिए
खबरों का थर्मोमीटर ये भी बता रहा था कि कुछ समय पहले अपने ‘लिंक’ वाले एक केंद्रीय मंत्री के पास कॉलेज की कुर्सी संभालने वाले साहब, अस्पताल संभालने वाले साहब की शिकायतों की पर्चियां लेकर गए थे और निवेदन भी किया था कि छोटे साहब को जरा अच्छे से समझा दिया जाए, क्योंकि वो उनके कॉलेज के कामकाज के अलावा उनके अन्य सेवा संस्थानों को लेकर अपने संपर्कों के जरिए न्यूसेंस क्रिएट करवा रहे है इसके बाद छोटे साहब भी केंद्रीय मंत्री के पास पहुंचे थे उन्हे उम्मीद थी कि वो मंत्री महोदय को कन्वेंस कर ही देंगें, लेकिन इस बार पलडा, कॉलेज वाले आदरणीय का ही भारी रहा है। सो अस्पताल वाले साहब बुझे मन से वापस चले आए।
आपको पता नही है शायद, माननीय अपने पार्टनर है
दरअसल चर्चा में ये बात भी है कि डीन की कुर्सी संभालने से पहले तक निर्विवादित और सौम्य छवि वाले डॉक्टर साहब ने अब अपने आपको मजबूत करने और विरोधियों के हौसलें डंवाडोल करने के लिए ये बात फैला रखी है कि एक केंद्रीय मंत्री उनके साथ कारोबारी पार्टनर है। अब डीन महोदय का माननीय से वास्तव में कारोबारी ‘’लिंक’’ है या नही, ये तो वही जानें, लेकिन इसका फायदा उन्हे मिल भी रहा है और छोटी मोटी परेशानियां माननीय के पार्टनर होने की चर्चा से ही दूर हो जाती है। तो इसमें क्या बुराई है।लेकिन हकीकत पता करने की कोशिश में मेडीकल कॉलेज और अस्पताल वाले कई डॉक्टर लगे हुए है।