(जितेंद्र पाठक)
ग्वालियर। ग्वालियर ससंदीय सीट से सांसद भले ही विवेक शेजवलकर हो, लेकिन वो सांसदी का जलवा कायम रखने में नाकामयाब ही साबित रहे है। और अब तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद शेजवलकर के हाथ से रहा सहा मौका निकला चला जा रहा है। जब तक सिंधिया कांग्रेस मे थे। तब तक बात अलग थी भाजपा सांसद के नाते शेजवलकर की चल रही थी लेकिन अब सिंधिया राज्यसभा के रास्ते न केवल सांसद है बल्कि केबिनेट मिनिस्टर है। उनकी भाजपा में एंट्री भी शाह-मोदी की सहमति से हुई है। सो सीधी सी बात है कि अभी तो वही पावर में है। अब भले ही जनता के वोटों से चुनाव जीतकर विवेक शेजवलकर को सांसदी मिली हो।
प्रशासनिक अधिकारियों के लिए सिँधिया का आर्डर ही फायनल
भाजपा का दामन थामते ही सिधिँया ने ग्वालियर को चमकाने की कवायद शुरू कर दी थी उन्होने लगातार अधिकारियों को टाईट किया, और उनकी ग्वालियर के विकास के लिए की जा रही प्लानिंग की फीडबैक लेते रहे। कई अनआफियशियली बैठकें भी सिंधिया ने महल में कमिश्नर, कलेक्टर, आईजी जैसे बडे अधिकारियों के साथ की। राज्यसभा पहुंचने और मंत्री बनने के बाद तो सिंधिया ने ग्वालियर में अधिकारियों को ताकीद कर दी, कि ग्वालियर के विकास के लिए जो भी प्लानिंग हो, बिना उनकी मंजूरी के लिए लागू नही होना चाहिए। लिहाजा अधिकारी भी प्रजेंटेशन सिंधिया को दिखाने के लिए ही तैयार करते है। हांलाकि मौका शेजवलकर के पास भी था लेकिन वो इस मामले में पीछे रह गए। वो न तो ग्वालियर के विकास का विजन तैयार कर पाए और न ही इसके लिए प्रशासन से कोई तालमेल बना पाए। और अब गेंद उनके पाले से चली ही गई सी लगती है।(क्रमशः)